लखनऊ : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में 22 फरवरी को आठ माह की बच्ची का शव परिवारीजन छोड़ कर चले गए थे. चार दिन बाद पुलिस प्रशासन ने खोजा तो वह रविवार को अस्पताल आए और मर्च्यूरी से शव लेकर अंतिम संस्कार किया. मृतक बच्ची के पिता के अनुसार, 'बेटी की मौत के बाद पत्नी की स्थिति नाजुक हो गई थी. इस वजह से वह शव छोड़ कर चले गए थे.'
शाहजहांपुर के जोगीपुरा निवासी श्रीकृष्ण की आठ महीने की बच्ची धनदेवी को 22 फरवरी को सिविल अस्पताल में भर्ती किया गया था. उसे तेज बुखार था और सांस लेने में परेशानी हो रही थी. हालत नाजुक होने पर उसे पीआइसीयू में भर्ती किया गया. यहां पर देर रात लगभग ढाई बजे बच्ची की मौत हो गई. अस्पताल के कर्मचारियों ने परिवारीजन की तलाश की, लेकिन सुबह तक पता नहीं चल पाया. इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने बच्ची का शव मर्च्यूरी में रखवाया और पुलिस को खबर की. शनिवार को शव का पोस्टमार्टम किया गया. पुलिस की खोजबीन के बाद रविवार दोपहर घरवाले बच्ची का शव लेने के लिए पहुंचे.
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि 'दो दिनों तक परिवारीजन का इंतजार करने के बाद शनिवार को शव का पोस्टमार्टम करवाया गया था, जिसमें सेप्टीसीमिया की पुष्टि हुई थी. परिवारीजन ने अपना पता और नंबर सही नहीं लिखवाया था. पुलिस की मदद से उन्हें रविवार को खोज लिया गया, जिसके बाद उन्हें शव सौंप दिया गया.'
क्या होता हैं सेप्टीसीमिया : सेप्टीसीमिया रक्त का संक्रमण है. इसके कारण शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं. संक्रमण गंभीर होने पर रक्त दाब तेजी से गिर सकता है, आर्गेन फेलियर हो सकता है, जो मृत्यु का कारण बन सकता है. सेप्टीसीमिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन बच्चों, बुजुर्गों और जिनका इम्यून तंत्र कमजोर है उनमें इसकी आशंका अधिक होती है. जितनी जल्दी इसका इलाज कराया जाए उतना इसे नियंत्रित करना आसान होता है.
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