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नियामक आयोग ने यूपीपीसीएल के निदेशक से दो सप्ताह में मांगी रिपोर्ट, जानिए वजह

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को नियामक आयोग चेयरमैन से मुलाकात की.

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Published : Jun 6, 2023, 7:52 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी को रोकने के बाद बिजली दरों में कमी कराने को लेकर 29 अप्रैल को उपभोक्ता परिषद की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की गई थी. प्रदेश के उपभोक्ताओं को 10 प्रतिशत की रिबेट दिए जाने के संबंध में दाखिल इस याचिका पर आयोग के सचिव की तरफ से पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य और मुख्य अभियंता रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट से दो सप्ताह में रिबेट संबंधी याचिका पर विस्तृत आख्या आयोग ने मांगी है. नियामक आयोग से रिपोर्ट मिलने के बाद बिजली दरों में कमी किए जाने के संबंध में एक बार फिर कार्रवाई शुरू हो गई है. इससे प्रदेश की बिजली कंपनियों में हड़कंप मच गया है.

  • प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर वर्ष 2023 -24 के टैरिफ आदेश में निकले रुपया 7988 करोड सरप्लस पर उपभोक्ता परिषद की याचिका 10 प्रतिसत उपभोक्ताओं को रिबेट दिए जाने पर विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य से 2 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट।

    — avadhesh kumar verma (@uprvup) June 6, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">





10 फीसद रिबेट देने की मांग : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि 'प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर जहां पहले 25,133 करोड़ रुपया सरप्लस निकला था, उसके एवज में उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों में अगले पांच साल तक सात प्रतिशत कमी किए जाने की मांग उठाई थी, लेकिन बिजली कंपनियों ने उसमें यह कहकर अडंगा लगा दिया कि इस पूरे मामले पर अपीलीय प्राधिकरण में पावर कारपोरेशन ने मुकदमा कर रखा है, जबकि मुकदमा करने से कोई कार्रवाई नहीं रुकती, फिर भी पूरा मामला अभी विद्युत नियामक आयोग के सामने विचाराधीन है. इसी बीच जब वर्ष 2023-24 की टैरिफ 25 अप्रैल को जारी की गई तो उसमें प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर वर्ष 2023-24 के टैरिफ आदेश में भी लगभग 7,988 करोड़ सरप्लस निकल आया. इसे आधार बनाकर उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्त्व याचिका दाखिल की. यह मुद्दा उठाया कि इस सरप्लस 7,988 की धनराशि पर कोई भी मुकदमा नहीं है. ऐसे में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग नोएडा पावर कंपनी की तर्ज पर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में 10 प्रतिशत की रिबेट उपभोक्ताओं को देने के लिए अविलंब आदेश जारी करे.'




उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि 'उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां पर अगर कुल सरप्लस की बात की जाए तो प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का लगभग 33,121 करोड़ रुपया सरप्लस निकल रहा है. ऐसे में बिजली दरों में कमी किया जाना प्रदेश के उपभोक्ताओं का संवैधानिक अधिकार है. जब उपभोक्ताओं का ही बकाया है तो बार-बार बिजली दर बढ़ाने के लिए प्रस्ताव ही दाखिल क्यों किया जा रहा है. पहले उपभोक्ताओं के बकाया पर बिजली दरें कम की जाएं. जब बकाया बराबर हो जाए तब बिजली दरें बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव दाखिल करने पर विचार किया जाए.'

यह भी पढ़ें : प्रिंसिपल ने हाईस्कूल की छात्रा को बनाया हवस का शिकार, अश्लील वीडियो किया वायरल

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी को रोकने के बाद बिजली दरों में कमी कराने को लेकर 29 अप्रैल को उपभोक्ता परिषद की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की गई थी. प्रदेश के उपभोक्ताओं को 10 प्रतिशत की रिबेट दिए जाने के संबंध में दाखिल इस याचिका पर आयोग के सचिव की तरफ से पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य और मुख्य अभियंता रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट से दो सप्ताह में रिबेट संबंधी याचिका पर विस्तृत आख्या आयोग ने मांगी है. नियामक आयोग से रिपोर्ट मिलने के बाद बिजली दरों में कमी किए जाने के संबंध में एक बार फिर कार्रवाई शुरू हो गई है. इससे प्रदेश की बिजली कंपनियों में हड़कंप मच गया है.

  • प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर वर्ष 2023 -24 के टैरिफ आदेश में निकले रुपया 7988 करोड सरप्लस पर उपभोक्ता परिषद की याचिका 10 प्रतिसत उपभोक्ताओं को रिबेट दिए जाने पर विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य से 2 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट।

    — avadhesh kumar verma (@uprvup) June 6, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">





10 फीसद रिबेट देने की मांग : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि 'प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर जहां पहले 25,133 करोड़ रुपया सरप्लस निकला था, उसके एवज में उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों में अगले पांच साल तक सात प्रतिशत कमी किए जाने की मांग उठाई थी, लेकिन बिजली कंपनियों ने उसमें यह कहकर अडंगा लगा दिया कि इस पूरे मामले पर अपीलीय प्राधिकरण में पावर कारपोरेशन ने मुकदमा कर रखा है, जबकि मुकदमा करने से कोई कार्रवाई नहीं रुकती, फिर भी पूरा मामला अभी विद्युत नियामक आयोग के सामने विचाराधीन है. इसी बीच जब वर्ष 2023-24 की टैरिफ 25 अप्रैल को जारी की गई तो उसमें प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर वर्ष 2023-24 के टैरिफ आदेश में भी लगभग 7,988 करोड़ सरप्लस निकल आया. इसे आधार बनाकर उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्त्व याचिका दाखिल की. यह मुद्दा उठाया कि इस सरप्लस 7,988 की धनराशि पर कोई भी मुकदमा नहीं है. ऐसे में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग नोएडा पावर कंपनी की तर्ज पर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में 10 प्रतिशत की रिबेट उपभोक्ताओं को देने के लिए अविलंब आदेश जारी करे.'




उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि 'उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां पर अगर कुल सरप्लस की बात की जाए तो प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का लगभग 33,121 करोड़ रुपया सरप्लस निकल रहा है. ऐसे में बिजली दरों में कमी किया जाना प्रदेश के उपभोक्ताओं का संवैधानिक अधिकार है. जब उपभोक्ताओं का ही बकाया है तो बार-बार बिजली दर बढ़ाने के लिए प्रस्ताव ही दाखिल क्यों किया जा रहा है. पहले उपभोक्ताओं के बकाया पर बिजली दरें कम की जाएं. जब बकाया बराबर हो जाए तब बिजली दरें बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव दाखिल करने पर विचार किया जाए.'

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