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लखनऊ में है छोटी अयोध्या; राजा टिकैत राय ने करवाया था जीर्णोद्धार, बनवाया था मंदिर के साथ बड़ा तालाब

Ram Mandir 2024: लखनऊ की राजाजी पुरम कॉलोनी का भी भगवान राम और सीता माता से जुड़ाव रहा है. यहां के राम जानकी मंदिर को माता सीता ने बनाया था. इसके बाद टिकैत राय ने इसका जीर्णोद्धार करवाया और पास में ही तालाब बनवाया. आईए जानते हैं इस मंदिर और तालाब की क्या है कहानी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 12, 2024, 12:57 PM IST

लखनऊ की छोटी अयोध्या पर संवाददाता श्यामचंद्र की खास रिपोर्ट.

लखनऊ: अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर जहां पूरे प्रदेश में लोगों में एक उत्साह का माहौल है, वहीं दूसरी तरफ पूरे अवध के क्षेत्र में भगवान राम व उनसे जुड़े मंदिर और स्थलों की एक अपनी ही अलग से पहचान है. राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम स्थित टिकैत राय तालाब क्षेत्र में एक ऐसा ही राम जानकी मंदिर स्थापित है, जिसे लोग छोटी अयोध्या के नाम से जानते हैं.

मान्यता है कि यह मंदिर अयोध्या में बने राम मंदिर की ही तरह था. आज भी यह मंदिर अयोध्या के पुराने मंदिर की भव्यता को याद करवाता है. मान्यता के अनुसार जब भगवान राम ने सीता माता को त्यागकर उन्हें भाई लक्ष्मण के साथ वाल्मीकि आश्रम भेजा था. तब लक्ष्मण और माता सीता ने इसी मंदिर के स्थान पर रुक कर विश्राम किया था. तब सीता माता ने यहां पर एक मंदिर बनाया था, जिसके चलते इसे सीता माता की छोटी अयोध्या भी कहा जाता है.

Ram Mandir
छोटी अयोध्या मंदिर में राम दरबार.

मंदिर के महंत कौशल किशोर दास ने बताया कि अगर दस्तावेज की बात करें तो करीब 500 वर्ष से पहले का लिखित दस्तावेज आज भी मौजूद है. यह मंदिर उससे भी पुराना है. महंत कौशल किशोर दास ने बताया कि नवाबों के समय में जहां यह मंदिर बना है, यह राजा टिकैत राय के क्षेत्र में आता था. राजा टिकैत राय नवाबों के मैनेजर हुआ करते थे.

एक बार अवध के नवाबों ने राजा टिकैत राय से अरबी घोड़े लाने के लिए कहा था. इसके लिए उन्हें कुछ मुद्राएं भी दी गई थीं. तब उन्होंने नवाबों के लिए घोड़े ना लाकर इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. साथ ही इसके ठीक बगल में एक तालाब का निर्माण कराया था. यह तालाब ऐतिहासिक तौर पर 500 वर्ष से भी पुराना है. इस हिसाब से इस मंदिर का अस्तित्व भी इसे पूर्व होने की बात होती है.

तालाब से एक गुफा को सीधे मंदिर से जोड़ा था: महंत कौशल किशोर दास ने बताया कि टिकैत राय ने जब तालाब का निर्माण कराया, तो इस तालाब से सीधे एक गुफा मंदिर से जोड़ दी थी. काफी वर्षों तक लोग इस गुफा के रास्ते तलाब में स्नान करने के बाद मंदिर में दर्शन पूजन करने के लिए आते थे. पर आज यह तालाब पूरी तरह से बंद हो चुका है. मंदिर का आधुनिक तौर पर निर्माण श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नित्य गोपाल दास जी महाराज के द्वारा कराया गया है. वह आज भी इस मंदिर के संरक्षक और अध्यक्ष हैं. वह साल में करीब दो से तीन बार इस मंदिर में होने वाले आयोजनों में शामिल होने के लिए आते हैं.

बिठूर जाने वाले लोग यहीं पर रुकते थे: राम जानकी मंदिर के महन्त कौशल किशोर दास ने बताया कि पुराने समय में लोग अयोध्या से बिठूर घाट पर स्नान करने के लिए जाते थे तो यह मंदिर उसी रास्ते में पड़ता है. लोग अयोध्या से निकलकर सफर करते हुए इस मंदिर परिसर में आकर विश्राम करते थे. फिर यहां से आगे बिठूर घाट के लिए जाते थे. भगवान राम व उनके परिवार के लोग भी इस मंदिर परिसर व आसपास क्षेत्र से होकर गुजरे हैं. जिस कारण यह मंदिर काफी प्रचलित होने के साथ ही अवध क्षेत्र में हिंदुओं की आस्था का एक बड़े प्रतीक के तौर पर भी स्थापित है.

400 साल पुराना हनुमान जी की मूर्ति आज भी मंदिर में स्थापित: क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर कितना पुराना है, इसका अंदाजा लगाना तो काफी मुश्किल है. पर इस मंदिर में हनुमान जी की एक मूर्ति स्थापित है. क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति 400 साल पुरानी है. यह मूर्ति जैसे बनाई गई थी आज भी उसी रूप में यहां पर है. अगर यहां पर लोग अपनी कोई भी मनोकामना मांगते हैं तो वह अवश्य पूरी होती है.

ये भी पढ़ेंः भगवान राम ने बाराबंकी में ली थी शिक्षा-दीक्षा, भाइयों संग बाल काल में इस आश्रम में रहे थे

लखनऊ की छोटी अयोध्या पर संवाददाता श्यामचंद्र की खास रिपोर्ट.

लखनऊ: अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर जहां पूरे प्रदेश में लोगों में एक उत्साह का माहौल है, वहीं दूसरी तरफ पूरे अवध के क्षेत्र में भगवान राम व उनसे जुड़े मंदिर और स्थलों की एक अपनी ही अलग से पहचान है. राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम स्थित टिकैत राय तालाब क्षेत्र में एक ऐसा ही राम जानकी मंदिर स्थापित है, जिसे लोग छोटी अयोध्या के नाम से जानते हैं.

मान्यता है कि यह मंदिर अयोध्या में बने राम मंदिर की ही तरह था. आज भी यह मंदिर अयोध्या के पुराने मंदिर की भव्यता को याद करवाता है. मान्यता के अनुसार जब भगवान राम ने सीता माता को त्यागकर उन्हें भाई लक्ष्मण के साथ वाल्मीकि आश्रम भेजा था. तब लक्ष्मण और माता सीता ने इसी मंदिर के स्थान पर रुक कर विश्राम किया था. तब सीता माता ने यहां पर एक मंदिर बनाया था, जिसके चलते इसे सीता माता की छोटी अयोध्या भी कहा जाता है.

Ram Mandir
छोटी अयोध्या मंदिर में राम दरबार.

मंदिर के महंत कौशल किशोर दास ने बताया कि अगर दस्तावेज की बात करें तो करीब 500 वर्ष से पहले का लिखित दस्तावेज आज भी मौजूद है. यह मंदिर उससे भी पुराना है. महंत कौशल किशोर दास ने बताया कि नवाबों के समय में जहां यह मंदिर बना है, यह राजा टिकैत राय के क्षेत्र में आता था. राजा टिकैत राय नवाबों के मैनेजर हुआ करते थे.

एक बार अवध के नवाबों ने राजा टिकैत राय से अरबी घोड़े लाने के लिए कहा था. इसके लिए उन्हें कुछ मुद्राएं भी दी गई थीं. तब उन्होंने नवाबों के लिए घोड़े ना लाकर इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. साथ ही इसके ठीक बगल में एक तालाब का निर्माण कराया था. यह तालाब ऐतिहासिक तौर पर 500 वर्ष से भी पुराना है. इस हिसाब से इस मंदिर का अस्तित्व भी इसे पूर्व होने की बात होती है.

तालाब से एक गुफा को सीधे मंदिर से जोड़ा था: महंत कौशल किशोर दास ने बताया कि टिकैत राय ने जब तालाब का निर्माण कराया, तो इस तालाब से सीधे एक गुफा मंदिर से जोड़ दी थी. काफी वर्षों तक लोग इस गुफा के रास्ते तलाब में स्नान करने के बाद मंदिर में दर्शन पूजन करने के लिए आते थे. पर आज यह तालाब पूरी तरह से बंद हो चुका है. मंदिर का आधुनिक तौर पर निर्माण श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नित्य गोपाल दास जी महाराज के द्वारा कराया गया है. वह आज भी इस मंदिर के संरक्षक और अध्यक्ष हैं. वह साल में करीब दो से तीन बार इस मंदिर में होने वाले आयोजनों में शामिल होने के लिए आते हैं.

बिठूर जाने वाले लोग यहीं पर रुकते थे: राम जानकी मंदिर के महन्त कौशल किशोर दास ने बताया कि पुराने समय में लोग अयोध्या से बिठूर घाट पर स्नान करने के लिए जाते थे तो यह मंदिर उसी रास्ते में पड़ता है. लोग अयोध्या से निकलकर सफर करते हुए इस मंदिर परिसर में आकर विश्राम करते थे. फिर यहां से आगे बिठूर घाट के लिए जाते थे. भगवान राम व उनके परिवार के लोग भी इस मंदिर परिसर व आसपास क्षेत्र से होकर गुजरे हैं. जिस कारण यह मंदिर काफी प्रचलित होने के साथ ही अवध क्षेत्र में हिंदुओं की आस्था का एक बड़े प्रतीक के तौर पर भी स्थापित है.

400 साल पुराना हनुमान जी की मूर्ति आज भी मंदिर में स्थापित: क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर कितना पुराना है, इसका अंदाजा लगाना तो काफी मुश्किल है. पर इस मंदिर में हनुमान जी की एक मूर्ति स्थापित है. क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति 400 साल पुरानी है. यह मूर्ति जैसे बनाई गई थी आज भी उसी रूप में यहां पर है. अगर यहां पर लोग अपनी कोई भी मनोकामना मांगते हैं तो वह अवश्य पूरी होती है.

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