लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी लोक व निजी संपत्ति क्षति वसूली नियमावली-2020 के तहत संपत्ति क्षति दावा अधिकरण के गठन की घोषणा की है. इस अधिकरण के फैसले को न्यायालयों में चुनौती नहीं दी जा सकती है. सपा के वरिष्ठ नेता और सदन में नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने प्रदेश सरकार की तरफ से गठित दावा अधिकरण पर सवाल खड़े किए हैं.
'समाजवादी पार्टी करेगी इसका विरोध'
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि संपत्ति क्षति दावा अधिकरण के फैसलों को न्यायालय की परिधि से बाहर रखने का निर्णय लोकतन्त्र और संविधान के खिलाफ है. इसे मिली असीम ताकत भारतीय न्याय व्यवस्था का भी अपमान करती है. समाजवादी पार्टी लोकतन्त्र, संविधान और भारतीय न्याय व्यवस्था की भावना के विपरीत गठित इस अभिकरण का हर स्तर पर विरोध करेगी.
'प्रदेश में ध्वस्त है कानून व्यवस्था'
नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा कि अधिकरण को मिले इस असीम अधिकार का साफ अर्थ है कि उत्तर प्रदेश में अब लोकतन्त्र, संविधान और न्याय व्यवस्था का कोई मतलब नहीं है. प्रदेश में अब कातिल ही यह फैसला करेगा कि वह कातिल है कि नहीं है? उन्होंने कहा है कि यूपी लोक तथा निजी सम्पत्ति नियमावली खुद में कानून सम्मत नहीं है. इसके तहत अधिकरण गठित कर उसके निर्णयों को न्यायालयों की परिधि से बाहर रखने का निर्णय तो सीधे-सीधे न्याय व्यवस्था की हत्या है. जो लोग लोकतन्त्र, संविधान और भारत की न्याय व्यवस्था में यकीन रखते हैं, उन्हें इस अधिकरण का हर स्तर पर विरोध करना चाहिए.
'सभी मोर्चे पर फेल है सरकार'
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार सभी मोर्चे पर फेल है. सूबे में जंगलराज की स्थिति व्याप्त है. अपहरण, हत्या, लूट और दुष्कर्म की घटनाओं से लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं. शासन-प्रशासन का काम टेंडर सेटिंग, तैनाती सेंटिग व जनता के दोहन तक सीमित रह गया है. इस स्थित के विरोध में लोग आवाज उठाने लगे हैं. निजी सम्पति निमावली और अधिकरण के गठन का एक मात्र लक्ष्य प्रतिरोध की इन आवाजों को कुचलना है.
'कानून का कर रहे गलत उपयोग'
नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि जिस तरह से 1942 में अंग्रेजों ने आजादी की आवाज को कुचलने के लिए शासन, प्रशासन और कानून का गलत उपयोग किया, जिस तरह से आपातकाल में कांग्रेस सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनने के लिए कानून का गलत उपयोग किया. उसी तरह से योगी सरकार भी सूबे में हो रही लूटपाट, हत्या, दुष्कर्म, टेंडर सेटिंग, तैनाती सेटिंग और अवैध दोहन के खिलाफ उठ रही विरोध की आवाजों को कुचलने के लिए कानून का हर स्तर पर गलत उपयोग कर रही है.