लखनऊ: पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर 'भ्रष्टाचार में लिप्त पाये गए राजेंद्र प्रसाद वर्मा 'सरस्वती पुरस्कार' से अब सम्मानित नहीं हो पाएंगे. सरकार ने राजेंद्र प्रसाद वर्मा को सरस्वती पुरस्कार देने का फैसला वापस ले लिया है.
मुख्यमंत्री करेंगे शिक्षकों को सम्मानित
- शिक्षक दिवस पर सरकार ने प्रदेश के तीन शिक्षकों को सरस्वती पुरस्कार के लिए चयनित किया था.
- इनमें उन्नाव के गोसाई खेड़ा स्थित राजकीय महाविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद वर्मा का भी एक नाम शामिल था.
- राजेंद्र प्रसाद वर्मा पर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का अध्यक्ष रहते कई आरोप लगे थे.
कुल 32 शिक्षकों का लोक भवन में होना है सम्मान
- इन शिक्षकों में उच्च शिक्षा विभाग के तीन शिक्षकों को सरस्वती पुरस्कार और 6 शिक्षकों को शिक्षक श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
- माध्यमिक शिक्षा विभाग के आठ शिक्षकों को राज्य अध्यापक पुरस्कार और वित्तविहीन स्कूलों के 15 शिक्षकों को मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार से नवाजा जाएगा.
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टीजीटी भर्ती परीक्षा में घोटाले का है आरोप
राजेंद्र प्रसाद वर्मा पर मायावती सरकार में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष रहते टीजीटी भर्ती परीक्षा में घोटाले का आरोप है. उनपर आरोप था कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को बिना परीक्षा दिए ही पास करवा दिया था. जांच में आरोपों की पुष्टि होने के बाद उन्होंने मामले को रफा-दफा कर दिया था. वर्ष 2012 में जब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार आई तो राजेंद्र प्रसाद ने बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.
डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा के आदेश पर पुरस्कार से वापस लिया गया नाम
जब उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा को राजेंद्र प्रसाद वर्मा के सरस्वती पुरस्कार दिए जाने की जानकारी मिली तो उन्होंने अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की थी. डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा और कार्यवाहक मुख्य सचिव आरके तिवारी के बीच हुई. वार्ता के बाद यह फैसला लिया गया कि राजेंद्र प्रसाद वर्मा को शिक्षक दिवस पर सरस्वती पुरस्कार से सम्मानित न किया जाए.