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भीषण गर्मी में रुला रही बिजली, गांव से लेकर शहरों में इस वजह से हाहाकार...

यूपी में इन दिनों भीषण गर्मी में बिजली संकट ने हर किसी को परेशान कर रखा है. बिजली विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं. चलिए जानते हैं आखिर क्या है इसकी वजह.

बिन बिजली सब सून.
बिन बिजली सब सून.
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Published : Apr 29, 2022, 5:42 PM IST

Updated : Apr 29, 2022, 6:15 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर हर जिले के ग्रामीण और शहरी इलाके भीषण बिजली संकट की चपेट में हैं. बिजली आपूर्ति करने में उत्तर प्रदेश सरकार नाकाम हुई है. हर तरफ बिजली के लिए हाहाकार मचा हुआ है. तय शेडयूल के मुताबिक कहीं भी बिजली सप्लाई नहीं हो पा रही है. उपभोक्ताओं से बिल वसूली के लिए ऊर्जा मंत्री लगातार अधिकारियों के पेंच कस रहे हैं जबकि ऐसे उपभोक्ता नाराजगी भी जता रहे हैं जो समय पर बिजली का बिल भी दे रहे हैं और उन्हें बिजली संकट का भी सामना करना पड़ रहा है. ओवरलोडिंग की वजह से लगातार दग रहे ट्रांसफार्मरों ने बिजली विभाग की मुसीबत को और बढ़ा दिया है.



उत्तर प्रदेश में कई इकाईयां तकनीकी खराबी के चलते तो कई कोयले की कमी से जूझने के कारण कम उत्पादन कर पा रहीं हैं. यही वजह है की उत्तर प्रदेश में बिजली संकट पैदा हो गया है. अभी कोयले की कमी से जूझती तापीय इकाइयों की उत्पादन क्षमता के मुताबिक बिजली उत्पादन नहीं होने से उपभोक्ताओं को बिजली के लिए तरसना पड़ रहा है. ग्रामीण इलाकों की बात की जाए तो लगभग 10 घंटे हर रोज बिजली की कटौती की जा रही है वहीं कई-कई गांव तो रात दिन बिजली के संकट से जूझ रहे हैं.

बिजली घरों की 2500 मेगावाट क्षमता की इकाइयों के अभी तक बंद होने से हालात बदतर ही होते जा रहे हैं. स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक गांवों को हर रोज 18 घंटे का बिजली आपूर्ति का रोस्टर है जबकि सप्लाई महज आठ से 10 घंटे ही हो पा रही है. जिला और मंडल मुख्यालय के साथ महानगरों को 24 घंटे आपूर्ति का शेड्यूल है लेकिन लखनऊ से लेकर बरेली, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी, आगरा, मेरठ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, झांसी और अलीगढ़ समेत तमाम छोटे और बड़े शहरों में कई-कई घंटे बिजली कटौती हो रही है.

नगर पंचायतों और तहसीलों के लिए बिजली विभाग का 21.5 घंटे का रोस्टर है जबकि यहां भी बिजली आपूर्ति की बात करें तो 14 से 15 घंटे ही लोगों को बिजली मिल रही है. कभी दिन में तो कभी रात में बिजली संकट से उनका सामना हो रहा है. बुंदेलखंड क्षेत्र को 10 से 11 घंटे ही बिजली मिल रही है.

बिजली संकट का एक बड़ा कारण रेलवे की तरफ से सही समय पर कोयला ढुलाई के लिए रैक उपलब्ध न करा पाना भी माना जा रहा है. जानकारों का कहना है कि अगर सही समय पर भारतीय रेलवे रैक उपलब्ध कराता तो बिजली उत्पादन में कोयले की किल्लत ही पैदा ना होती और बिजली संकट भी इस कदर खड़ा ना होता. हालांकि अब भारतीय रेलवे ने तापीय इकाईयों तक कोयला पहुंचाने के लिए कई यात्री ट्रेनों को निरस्त कर मालगाड़ियों को ही सिग्नल दिया है. फिर भी अगर कोयले की बात की जाए तो राज्य विद्युत उत्पादन निगम के बिजलीघरों को रोजाना 87 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है जबकि महज 59,500 मीट्रिक टन की ही आपूर्ति हो पा रही है. अनपरा में छह, ओबरा और हरदुआगंज में चार-चार दिन और पारीछा में शुक्रवार से दो दिन तक का ही कोयला शेष रह गया है.

रोजाना बिजली की मांग की बात की जाए तो 21,000 से लेकर 22,000 मेगावाट तक की बिजली आपूर्ति होनी चाहिए जबकि बिजली विभाग के पास सिर्फ 18000 से लेकर 19000 मेगावाट तक की ही उपलब्धता है. केंद्र से 10000 मेगावाट का जो कोटा मिल रहा था वह भी घटकर 8000 मेगावाट ही हो गया है. ऐसे में और भी ज्यादा बिजली संकट गहरा गया है.

कब कितना उपलब्ध रहा कोयला.
कब कितना उपलब्ध रहा कोयला.
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा कहते हैं कि प्रदेश में बिजली संकट की सबसे बड़ी वजह रेलवे की तरफ से कोयला ढोने के लिए मानक के मुताबिक रैक नहीं उपलब्ध कराया जाना ही माना जा सकता है. उ.प्र. पावर कारपोरेशन प्रबंधन को रैक न उपलब्ध होने के कारण उत्पादन गृहों को कोयला पहुंचाने के लिए (आरसीआर) सड़क मार्ग से ट्रकों से कोयला ढोने का आदेश जारी करना पड़ा. उन्होंने बताया कि कोयले की ढुलाई के लिए रैक नहीं मिलने के कारण उत्पादन गृहों में जनवरी में जो कोयले का स्टाक 70 फीसदी तक था वर्तमान में वह 24 फीसदी से भी कम हो गया है. एक मई से पावर कारपोरेशन के पास शार्ट टर्म एग्रीमेंट के तहत 1000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उपलब्धता हो जाएगी. अधिकारी बताते हैं कि हरदुआगंज और बारा की दो इकाइयां जिनकी क्षमता 1320 मेगावाट है, वर्तमान में बंद पड़ी हैं, अब फिर से बिजली उत्पादन करने लगेंगी. पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज बताते हैं कि बिजली उत्पादन और सप्लाई की दिक्कतों को दूर करने के प्रयास जारी हैं. उन्होंने बताया कि दो दिन बाद उम्मीद है कि बिजली संकट कम हो जाएगा. एक मई से बाहर से अतिरिक्त 1000 मेगावाट बिजली लगातार मिलना शुरू हो जाएगी. हरदुआगंज की 660 मेगावाटऔर बारा की 660 मेगावाट की इकाइयां एक मई से विद्युत उत्पादन करना शुरू कर देंगी.



उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज बताते हैं कि वर्तमान में मार्केट में बिक्री के लिए बिजली उपलब्धता काफी कम है. तीनों एक्सचेंजों पर मांग के मुकाबले सिर्फ 10 फीसद बिजली ही उपलब्ध है. यही वजह है कि पावर कारपोरेशन ने विद्युत बिक्री पर रोक भी लगा रखी है.

उत्तर प्रदेश की बात करें तो वर्तमान में आवश्यकता के सापेक्ष कोयले का स्टॉक सिर्फ 24 प्रतिशत ही रह गया है जिससे एक या दो दिन बिजली संकट और भी ज्यादा बढ़ने के आसार हैं. थर्मल पावर स्टेशनों के पास भी कोयले की काफी कमी है. पहले के मुताबिक सिर्फ एक चौथाई कोयले का ही स्टॉक पावर प्लांट के पास शेष रह गया है. ऐसे में समय पर कोयला विद्युत उत्पादन इकाइयों तक पहुंचना भी जरूरी होगा. उत्तर प्रदेश में कई इकाइयों के बंद होने से 3615 मेगावाट बिजली आपूर्ति कम हो रही है.

वहीं, भारतीय रेलवे ने यात्री ट्रेनों के 670 फेरे रद्द करने का प्लान बनाया है. रेल मंत्रालय ने 24 मई तक यात्री ट्रेनों के लगभग 670 फेरे रद्द करने की अधिसूचना जारी की है. 500 से अधिक यात्राएं लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के फेरे रद्द किए जाएंगे. प्रतिदिन लगभग 16 मेल एक्सप्रेस और यात्री ट्रेनों को कोयले के लिए सही समय पर आपूर्ति हो इसके लिए रद्द कर दिया जाएगा. रेलवे ने कोयले की रेलगाड़ियों की औसत दैनिक लोडिंग 400 से अधिक तक बढ़ा दी है बिजली संयंत्रों के लिए कोयला ले जाने वाली ट्रेनों को अतिरिक्त रास्ता देने के लिए रेलवे ने यह कदम उठाया है. रोजाना एक रैक लगभग साढे 3000 टन कोयला ले जाती है. उत्तर प्रदेश के विभिन्न तापीय घरों तक कोयला पहुंचाने के लिए रेलवे ने आठ महत्वपूर्ण ट्रेनों को निरस्त किया है.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर हर जिले के ग्रामीण और शहरी इलाके भीषण बिजली संकट की चपेट में हैं. बिजली आपूर्ति करने में उत्तर प्रदेश सरकार नाकाम हुई है. हर तरफ बिजली के लिए हाहाकार मचा हुआ है. तय शेडयूल के मुताबिक कहीं भी बिजली सप्लाई नहीं हो पा रही है. उपभोक्ताओं से बिल वसूली के लिए ऊर्जा मंत्री लगातार अधिकारियों के पेंच कस रहे हैं जबकि ऐसे उपभोक्ता नाराजगी भी जता रहे हैं जो समय पर बिजली का बिल भी दे रहे हैं और उन्हें बिजली संकट का भी सामना करना पड़ रहा है. ओवरलोडिंग की वजह से लगातार दग रहे ट्रांसफार्मरों ने बिजली विभाग की मुसीबत को और बढ़ा दिया है.



उत्तर प्रदेश में कई इकाईयां तकनीकी खराबी के चलते तो कई कोयले की कमी से जूझने के कारण कम उत्पादन कर पा रहीं हैं. यही वजह है की उत्तर प्रदेश में बिजली संकट पैदा हो गया है. अभी कोयले की कमी से जूझती तापीय इकाइयों की उत्पादन क्षमता के मुताबिक बिजली उत्पादन नहीं होने से उपभोक्ताओं को बिजली के लिए तरसना पड़ रहा है. ग्रामीण इलाकों की बात की जाए तो लगभग 10 घंटे हर रोज बिजली की कटौती की जा रही है वहीं कई-कई गांव तो रात दिन बिजली के संकट से जूझ रहे हैं.

बिजली घरों की 2500 मेगावाट क्षमता की इकाइयों के अभी तक बंद होने से हालात बदतर ही होते जा रहे हैं. स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक गांवों को हर रोज 18 घंटे का बिजली आपूर्ति का रोस्टर है जबकि सप्लाई महज आठ से 10 घंटे ही हो पा रही है. जिला और मंडल मुख्यालय के साथ महानगरों को 24 घंटे आपूर्ति का शेड्यूल है लेकिन लखनऊ से लेकर बरेली, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी, आगरा, मेरठ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, झांसी और अलीगढ़ समेत तमाम छोटे और बड़े शहरों में कई-कई घंटे बिजली कटौती हो रही है.

नगर पंचायतों और तहसीलों के लिए बिजली विभाग का 21.5 घंटे का रोस्टर है जबकि यहां भी बिजली आपूर्ति की बात करें तो 14 से 15 घंटे ही लोगों को बिजली मिल रही है. कभी दिन में तो कभी रात में बिजली संकट से उनका सामना हो रहा है. बुंदेलखंड क्षेत्र को 10 से 11 घंटे ही बिजली मिल रही है.

बिजली संकट का एक बड़ा कारण रेलवे की तरफ से सही समय पर कोयला ढुलाई के लिए रैक उपलब्ध न करा पाना भी माना जा रहा है. जानकारों का कहना है कि अगर सही समय पर भारतीय रेलवे रैक उपलब्ध कराता तो बिजली उत्पादन में कोयले की किल्लत ही पैदा ना होती और बिजली संकट भी इस कदर खड़ा ना होता. हालांकि अब भारतीय रेलवे ने तापीय इकाईयों तक कोयला पहुंचाने के लिए कई यात्री ट्रेनों को निरस्त कर मालगाड़ियों को ही सिग्नल दिया है. फिर भी अगर कोयले की बात की जाए तो राज्य विद्युत उत्पादन निगम के बिजलीघरों को रोजाना 87 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है जबकि महज 59,500 मीट्रिक टन की ही आपूर्ति हो पा रही है. अनपरा में छह, ओबरा और हरदुआगंज में चार-चार दिन और पारीछा में शुक्रवार से दो दिन तक का ही कोयला शेष रह गया है.

रोजाना बिजली की मांग की बात की जाए तो 21,000 से लेकर 22,000 मेगावाट तक की बिजली आपूर्ति होनी चाहिए जबकि बिजली विभाग के पास सिर्फ 18000 से लेकर 19000 मेगावाट तक की ही उपलब्धता है. केंद्र से 10000 मेगावाट का जो कोटा मिल रहा था वह भी घटकर 8000 मेगावाट ही हो गया है. ऐसे में और भी ज्यादा बिजली संकट गहरा गया है.

कब कितना उपलब्ध रहा कोयला.
कब कितना उपलब्ध रहा कोयला.
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा कहते हैं कि प्रदेश में बिजली संकट की सबसे बड़ी वजह रेलवे की तरफ से कोयला ढोने के लिए मानक के मुताबिक रैक नहीं उपलब्ध कराया जाना ही माना जा सकता है. उ.प्र. पावर कारपोरेशन प्रबंधन को रैक न उपलब्ध होने के कारण उत्पादन गृहों को कोयला पहुंचाने के लिए (आरसीआर) सड़क मार्ग से ट्रकों से कोयला ढोने का आदेश जारी करना पड़ा. उन्होंने बताया कि कोयले की ढुलाई के लिए रैक नहीं मिलने के कारण उत्पादन गृहों में जनवरी में जो कोयले का स्टाक 70 फीसदी तक था वर्तमान में वह 24 फीसदी से भी कम हो गया है. एक मई से पावर कारपोरेशन के पास शार्ट टर्म एग्रीमेंट के तहत 1000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उपलब्धता हो जाएगी. अधिकारी बताते हैं कि हरदुआगंज और बारा की दो इकाइयां जिनकी क्षमता 1320 मेगावाट है, वर्तमान में बंद पड़ी हैं, अब फिर से बिजली उत्पादन करने लगेंगी. पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज बताते हैं कि बिजली उत्पादन और सप्लाई की दिक्कतों को दूर करने के प्रयास जारी हैं. उन्होंने बताया कि दो दिन बाद उम्मीद है कि बिजली संकट कम हो जाएगा. एक मई से बाहर से अतिरिक्त 1000 मेगावाट बिजली लगातार मिलना शुरू हो जाएगी. हरदुआगंज की 660 मेगावाटऔर बारा की 660 मेगावाट की इकाइयां एक मई से विद्युत उत्पादन करना शुरू कर देंगी.



उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज बताते हैं कि वर्तमान में मार्केट में बिक्री के लिए बिजली उपलब्धता काफी कम है. तीनों एक्सचेंजों पर मांग के मुकाबले सिर्फ 10 फीसद बिजली ही उपलब्ध है. यही वजह है कि पावर कारपोरेशन ने विद्युत बिक्री पर रोक भी लगा रखी है.

उत्तर प्रदेश की बात करें तो वर्तमान में आवश्यकता के सापेक्ष कोयले का स्टॉक सिर्फ 24 प्रतिशत ही रह गया है जिससे एक या दो दिन बिजली संकट और भी ज्यादा बढ़ने के आसार हैं. थर्मल पावर स्टेशनों के पास भी कोयले की काफी कमी है. पहले के मुताबिक सिर्फ एक चौथाई कोयले का ही स्टॉक पावर प्लांट के पास शेष रह गया है. ऐसे में समय पर कोयला विद्युत उत्पादन इकाइयों तक पहुंचना भी जरूरी होगा. उत्तर प्रदेश में कई इकाइयों के बंद होने से 3615 मेगावाट बिजली आपूर्ति कम हो रही है.

वहीं, भारतीय रेलवे ने यात्री ट्रेनों के 670 फेरे रद्द करने का प्लान बनाया है. रेल मंत्रालय ने 24 मई तक यात्री ट्रेनों के लगभग 670 फेरे रद्द करने की अधिसूचना जारी की है. 500 से अधिक यात्राएं लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के फेरे रद्द किए जाएंगे. प्रतिदिन लगभग 16 मेल एक्सप्रेस और यात्री ट्रेनों को कोयले के लिए सही समय पर आपूर्ति हो इसके लिए रद्द कर दिया जाएगा. रेलवे ने कोयले की रेलगाड़ियों की औसत दैनिक लोडिंग 400 से अधिक तक बढ़ा दी है बिजली संयंत्रों के लिए कोयला ले जाने वाली ट्रेनों को अतिरिक्त रास्ता देने के लिए रेलवे ने यह कदम उठाया है. रोजाना एक रैक लगभग साढे 3000 टन कोयला ले जाती है. उत्तर प्रदेश के विभिन्न तापीय घरों तक कोयला पहुंचाने के लिए रेलवे ने आठ महत्वपूर्ण ट्रेनों को निरस्त किया है.

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Last Updated : Apr 29, 2022, 6:15 PM IST
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