लखनऊ : उत्तर प्रदेश की जेलों में ऐसे कैदी जो 70 साल से अधिक हैं, उन्हें जल्द ही रिहा किया जाएगा. इसमें उन कैदियों को भी शामिल किया जाएगा जो किसी भी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं. योगी सरकार ने यूपी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को अगले दो हफ्ते में ऐसे ही कैदियों की सूची तैयार करने और उस पर दो माह में अमल लाने के बाद रिपोर्ट शासन को सौंपने के निर्देश दिया है.
प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने जेल मुख्यालय से समय पूर्व रिहाई की अहर्ता रखने वाले कैदियों की लिस्ट तलब की हैय मुख्य सचिव ने कहा है कि ऐसे कैदी जो 70 साल की उम्र से अधिक के हों या गंभीर बीमारियों से पीड़ित हों, इनकी लिस्ट प्राथमिकता के आधार पर तैयार की जाए और अगले दो माह में इसके निस्तारण के लिए सभी जरूरी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को दो सप्ताह की अवधि के भीतर आवश्यक प्राथमिकताएं निर्धारित करने का निर्देश दिया है. जिससे अन्य सभी लंबित मामलों का निस्तारण किया जाए.
बरतनी होंगी ये सावधानियां : मुख्य सचिव ने अधिकारियों को कुछ सावधानी बरतने के लिए भी निर्देशित किया है. इसमें उत्तर प्रदेश बंदी परिवीक्षा नियमावली और जेल मैनुअल में निहित नियमों के तहत रिहाई के लिए प्राथमिकता तय करने के लिए कहा गया है. साथ ही कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को भी ध्यान में रखने के लिए कहा गया है. जैसे, क्या उसके द्वारा किया गया अपराध समाज को व्यापक रूप से प्रभावित किए बिना केवल व्यक्ति विशेष तक सीमित अपराध की श्रेणी में आता है? क्या बंदी द्वारा भविष्य में अपराध करने की कोई आशंका है? क्या सिद्धदोष बंदी पुनः अपराध करने में अश्क्त हो गया है? क्या बंदी को जेल में और आगे निरुद्ध करने का कोई सार्थक प्रयोजन है? और क्या बंदी के परिवार की सामाजिक, आर्थिक दशा बंदी को समयपूर्व रिहाई के लिए उपयुक्त है?