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समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव की नहीं हो रही जांच, आखिर किसका है संरक्षण - lucknow administration

लखनऊ में समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा पर तमाम आरोप लगे. अभद्रता और दुर्व्यवहार की बातें सामने आईं. अभी तक मामले में जांच भी नहीं शुरू की गई. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्हें पंचम तल (मुख्यमंत्री कार्यालय) का संरक्षण मिला हुआ है.

लखनऊ
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Published : Mar 15, 2021, 9:16 PM IST

Updated : Mar 15, 2021, 10:01 PM IST

लखनऊः समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा पर तमाम आरोप लगे पर अभी तक कार्रवाई तो दूर जांच भी शुरू नहीं हुई है. ये हाल तब है जब बीएल मीणा पर कार्रवाई की मांग को लेकर कर्मचारी और अधिकारियों की तरफ से लगातार कार्य बहिष्कार किया गया था. मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी से भी कार्रवाई की मांग की गई थी.

प्रमुख सचिव पर कार्रवाई की मांग

पंचम तल का संरक्षण!
सूत्रों का दावा है कि प्रमुख सचिव बीएल मीणा के खिलाफ कार्रवाई ना होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि उन्हें पंचम तल (मुख्यमंत्री कार्यालय) के वरिष्ठ अफसरों का संरक्षण प्राप्त है. इसीलिए कार्रवाई तो दूर की बात, उनके खिलाफ जांच कमेटी का भी गठन नहीं हो पा रहा है. इससे समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और कमर्चारियों में नाराजगी भी है.

निदेशक के साथ किया था अभद्र भाषा का प्रयोग !
आरोप है कि समाज कल्याण विभाग के पूर्व निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी के साथ समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने अभद्र भाषा का प्रयोग और दुर्व्यवहार किया था. इसको लेकर उनका एक ऑडियो भी वायरल हुआ था. इससे पहले बीएल मीणा के द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में तैनाती के दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने का मामला सामने आ चुका है.

कर्मचारियों और अधिकारियों में नाराजगी
इसको लेकर कर्मचारियों और अधिकारियों में खूब नाराजगी भी देखने को मिल रही है. समाज कल्याण के पूर्व निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने के बाद कई आईएएस अधिकारियों ने मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी से मुलाकात भी की थी और कार्रवाई की मांग की थी लेकिन प्रमुख सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई हो नहीं पाई और ना ही कोई जांच कमेटी का गठन हुआ है.

इसे भी पढ़ेंः योगी सरकार का फरमान, रास्ते से हटाए जाएंगे मंदिर-मस्जिद


अधिकारियों को सख्त होने के साथ संयमित होना चाहिए
इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि किसको, किसका संरक्षण मिला है या नहीं, यह अलग बात है. लेकिन यदि किसी अधिकारी द्वारा इस प्रकार का कृत्य किया जाता है तो यह ठीक नहीं होता है. किसी भी अधिकारी को संयमित रहकर काम करना चाहिए. अपने सहयोगी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ संयमित भाषा का प्रयोग करना चाहिए. यह जरूर है कि अधिकारी का सख्त होना जरूरी है लेकिन सख्त होने के चलते अमर्यादित व अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.

अपने संवर्ग के मामले छिपाते हैं आईएएस अधिकारी
वहीं उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पंचम तल से संरक्षण मिला है या नहीं मिला, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. बात यह है कि किसी भी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के साथ कोई कार्रवाई या जांच की बात होती है तो सभी अधिकारी एक हो जाते हैं. उनके संवर्ग के अंदर की जो चीजें हैं, वह छुपी रहें इसका प्रयास किया जाता है. इसको लेकर सब मामला दबाया जाता है. किसी भी अधिकारी को संयमित भाषा का प्रयोग करते हुए काम करना चाहिए.

लखनऊः समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा पर तमाम आरोप लगे पर अभी तक कार्रवाई तो दूर जांच भी शुरू नहीं हुई है. ये हाल तब है जब बीएल मीणा पर कार्रवाई की मांग को लेकर कर्मचारी और अधिकारियों की तरफ से लगातार कार्य बहिष्कार किया गया था. मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी से भी कार्रवाई की मांग की गई थी.

प्रमुख सचिव पर कार्रवाई की मांग

पंचम तल का संरक्षण!
सूत्रों का दावा है कि प्रमुख सचिव बीएल मीणा के खिलाफ कार्रवाई ना होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि उन्हें पंचम तल (मुख्यमंत्री कार्यालय) के वरिष्ठ अफसरों का संरक्षण प्राप्त है. इसीलिए कार्रवाई तो दूर की बात, उनके खिलाफ जांच कमेटी का भी गठन नहीं हो पा रहा है. इससे समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और कमर्चारियों में नाराजगी भी है.

निदेशक के साथ किया था अभद्र भाषा का प्रयोग !
आरोप है कि समाज कल्याण विभाग के पूर्व निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी के साथ समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने अभद्र भाषा का प्रयोग और दुर्व्यवहार किया था. इसको लेकर उनका एक ऑडियो भी वायरल हुआ था. इससे पहले बीएल मीणा के द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में तैनाती के दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने का मामला सामने आ चुका है.

कर्मचारियों और अधिकारियों में नाराजगी
इसको लेकर कर्मचारियों और अधिकारियों में खूब नाराजगी भी देखने को मिल रही है. समाज कल्याण के पूर्व निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने के बाद कई आईएएस अधिकारियों ने मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी से मुलाकात भी की थी और कार्रवाई की मांग की थी लेकिन प्रमुख सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई हो नहीं पाई और ना ही कोई जांच कमेटी का गठन हुआ है.

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अधिकारियों को सख्त होने के साथ संयमित होना चाहिए
इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि किसको, किसका संरक्षण मिला है या नहीं, यह अलग बात है. लेकिन यदि किसी अधिकारी द्वारा इस प्रकार का कृत्य किया जाता है तो यह ठीक नहीं होता है. किसी भी अधिकारी को संयमित रहकर काम करना चाहिए. अपने सहयोगी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ संयमित भाषा का प्रयोग करना चाहिए. यह जरूर है कि अधिकारी का सख्त होना जरूरी है लेकिन सख्त होने के चलते अमर्यादित व अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.

अपने संवर्ग के मामले छिपाते हैं आईएएस अधिकारी
वहीं उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पंचम तल से संरक्षण मिला है या नहीं मिला, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. बात यह है कि किसी भी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के साथ कोई कार्रवाई या जांच की बात होती है तो सभी अधिकारी एक हो जाते हैं. उनके संवर्ग के अंदर की जो चीजें हैं, वह छुपी रहें इसका प्रयास किया जाता है. इसको लेकर सब मामला दबाया जाता है. किसी भी अधिकारी को संयमित भाषा का प्रयोग करते हुए काम करना चाहिए.

Last Updated : Mar 15, 2021, 10:01 PM IST
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