लखनऊ: कोरोना वायरस से बचाव के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू है, जिससे राजधानी में दाल की कीमतें आसमान छू रही हैं. दरअसल, लॉकडाऊन के कारण मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से आने वाली दाल की सप्लाई बाधित हो गई है, जिसका सबसे ज्यादा फर्क अरहर की दाल की कीमतों पर पड़ा है.
दाल की कीमत में भारी उछाल
लॉकडाउन के पहले 80 से 85 रुपये किलो की कीमत पर बिकने वाली अरहर की दाल की कीमत अब बढ़कर 100 रुपये किलो हो गई है. इससे लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. थोक व्यापारियों के मुताबिक बाजार में सबसे ज्यादा डिमांड अरहर की दाल की है. लॉकडाउन के कारण ज्यादातर दुकानें बंद हैं. वहीं कुछ इलाकों में निर्धारित समय में दुकानें खुल रही हैं.
डिमांड ज्यादा, सप्लाई कम
कोरोना वायरस ने देशभर में हाहाकार मचा रखा है. इसकी रोकथाम के लिए सरकार ने लॉकडाउन का एलान किया, जिसका सीधा असर उद्योग-धंधों पर पड़ा है. लॉकडाउन के कारण ज्यादातर दुकानें बंद हैं. सरकार ने जरूरत की चीजों की पूर्ति के लिए राशन, दूध और मेडिकल की दुकानों को खोलने की इजाजत दी है. वहीं बाजार में दाल की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रही है. दरअसल, लॉकडाउन के कारण बाजार में दाल के सप्लाई में कमी है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ लोगों में इसकी (दाल) जबरदस्त डिमांड है.
दाल के आयात में कमी
थोक व्यापारियों के मुताबिक लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों से दाल का आयात नहीं हो पा रहा है. सामान्य दिनों में राजधानी लखनऊ में तकरीबन दो हजार से ज्यादा कुंतल की दाल की मांग होती है, लेकिन इस समय बाजार में सिर्फ 200 कुंतल दाल ही रहने की संभावना जताई जा रही है. व्यापारियों के मुताबिक धीरे-धारे बाजार में दाल के स्टॉक में कमी आ रही है, जिसका सीधा असर दाल की कीमतों पर पड़ रहा है.
अरहर के दाल की बढ़ी मांग
अरहर की दाल मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से आती है. लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों से दाल आयात नहीं हो पा रही है. वहीं दूसरे मंडलों से भी राजधानी लखनऊ में दाल का आयात न हो पाने से दाल के भाव आसमान छू रहे हैं. थोक व्यापारियों के मुताबिक लॉकडाउन में सबसे ज्यादा मांग अरहर के दाल की है.
व्यापारियों ने सरकार से लगाई गुहार
व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से आने वाली दाल को लॉकडाउन में छूट दी जाए, जिससे राजधानी में दाल की पूर्ति हो सके और सबका भला हो. अब व्यापारियों की सारी नजर सरकार के फैसले पर टिकी है, जिससे राजधानी में दाल की कीमतें स्थिर रहें.
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