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फेफड़ों और आंखों को नुकसान पहुंचा रहा प्रदूषण, अस्पतालों में लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या - पोस्ट कोविड 19

मौसम बदलते ही राजधानी की हवाओं ने भी अपना रुख बदला लिया है. वातावरण में बढ़े प्रदूषण से लोगों को कई तरह की परेशानियां हो रही हैं. इन दिनों अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों में ज्यादातर मरीज फेफड़ों और आंखों की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं. पिछले कई दिनों से सिविल और बलरामपुर अस्पताल में सांस के मरीजों की संख्या 15 फीसदी बढ़ गई है.

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Published : Nov 12, 2022, 9:17 AM IST

Updated : Nov 12, 2022, 12:51 PM IST

लखनऊ : मौसम बदलते ही राजधानी की हवाओं ने भी अपना रूख बदला लिया है. वातावरण में बढ़े प्रदूषण (increased pollution in the environment) से लोगों को कई तरह की परेशानियां हो रही हैं. इन दिनों अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों में ज्यादातर मरीज फेफड़ों और आंखों की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं. पिछले कई दिनों से सिविल और बलरामपुर अस्पताल में सांस के मरीजों की संख्या 15 फीसदी बढ़ गई है.

सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एस देव (Dr S Dev, Senior Physician, Civil Hospital) के मुताबिक इस समय राजधानी में प्रदुषण का स्तर बढ़ा है. इसका सीधा प्रभाव लोगों की सेहत पर पड़ रहा है. हवा में प्रदूषण के कण मिलकर सांस के जरिए फेफड़ों में संक्रमण पहुंचा रहे हैं. ऐसे में अगर आप बाहर निकल रहे हैं तो मुंह पर मास्क का इस्तेमाल जरूर करें. गर्म पानी का सेवन करें.

जानकारी देते सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एस देव.

डाॅ. देव के अनुसार पोस्ट कोविड-19 के मरीज ज्यादा इससे प्रभावित हो रहे हैं. क्योंकि पहले से ही उनकी इम्युनटी कमजोर हो चुकी है. नोएडा में जो प्रदूषण हुआ है उसके जिम्मेवार लोग किसानों को ठहरा रहे हैं. ऐसा कहना गलत है, पराली जलाने से सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही प्रदूषण होता है. अक्सर यह देखा जाता है कि दिवाली के बाद जो एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ता है वह मौसम के अनुसार बढ़ता है और उसमें पटाखों का योगदान बहुत ज्यादा होता है.

सिविल अस्पताल डाॅ. देव के मुताबिक में दो-तीन दिनों में ओपीडी में लगभग 20-25 फीसद तक सांस रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है. सांस रोगियों को चाहिए कि वह तेल- मसाले युक्त भोजन न करें. बाहर का कोई भी सामान नहीं खाएं. फ्रीज में रखी हुई वस्तुएं और ठंडा पानी का सेवन न करें, गुनगुना पानी पिएं और गुनगुने पानी से ही नहाएं. अपने आप को ठंड से बचाएं. पूरे बाजू के कपड़े पहनें. घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं. प्रदूषण से फेफड़े संक्रमण होने से सूजन आ जाती है. जिससे सांस लेने में तकलीफ व सीने में दर्द भी महसूस होता है. खांसी भी कई बार तेज आती है. कई बार खांसते हुए आंखों से पानी आ जाता है या गले से हल्का खून निकलने लगता है. इसलिए बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.


सिविल अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रेम (Civil Hospital's Ophthalmologist Dr. Prem) ने बताया कि इस समय वायु प्रदूषण से प्रभावित मरीजों की संख्या अस्पताल की ओपीडी में अधिक है ज्यादा तो जो मरीज आ रहे हैं उनकी आंखों में इंफेक्शन है जो कि प्रदूषण के कारण हुआ है. इसलिए जब भी बाहर निकलें तो चश्मे का इस्तेमाल जरूर करें. बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता (Dr GP Gupta, CMS, Balrampur Hospital) ने बताया कि, करीब 25 फीसद मरीज सामान्य दिनों की अपेक्षा बढ़े हैं. दो-तीन दिनों से सांस मरीज अस्पताल में ज्यादा आ रहे हैं. जो मरीज पहले से ही ब्रोंकाइटिस व अस्थमा से पीड़ित थे, उनकी समस्याएं और भी बढ़ गई हैं. पर्याप्त ऑक्सीजन उनके फेफड़ों में नहीं पहुंच पा रही है. जिससे सांस लेने में उनका दम घुट रहा है. ऐसे मरीजों को बाहर निकलने पहले धूल, धुएं से बचने के साथ ही उन्हें मास्क लगाना चाहिए.

यह भी पढ़ें : एक करोड़ से अधिक बिजली बिल बकाया की होगी जांच, बिल संशोधन में होता है खेल

लखनऊ : मौसम बदलते ही राजधानी की हवाओं ने भी अपना रूख बदला लिया है. वातावरण में बढ़े प्रदूषण (increased pollution in the environment) से लोगों को कई तरह की परेशानियां हो रही हैं. इन दिनों अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों में ज्यादातर मरीज फेफड़ों और आंखों की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं. पिछले कई दिनों से सिविल और बलरामपुर अस्पताल में सांस के मरीजों की संख्या 15 फीसदी बढ़ गई है.

सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एस देव (Dr S Dev, Senior Physician, Civil Hospital) के मुताबिक इस समय राजधानी में प्रदुषण का स्तर बढ़ा है. इसका सीधा प्रभाव लोगों की सेहत पर पड़ रहा है. हवा में प्रदूषण के कण मिलकर सांस के जरिए फेफड़ों में संक्रमण पहुंचा रहे हैं. ऐसे में अगर आप बाहर निकल रहे हैं तो मुंह पर मास्क का इस्तेमाल जरूर करें. गर्म पानी का सेवन करें.

जानकारी देते सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एस देव.

डाॅ. देव के अनुसार पोस्ट कोविड-19 के मरीज ज्यादा इससे प्रभावित हो रहे हैं. क्योंकि पहले से ही उनकी इम्युनटी कमजोर हो चुकी है. नोएडा में जो प्रदूषण हुआ है उसके जिम्मेवार लोग किसानों को ठहरा रहे हैं. ऐसा कहना गलत है, पराली जलाने से सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही प्रदूषण होता है. अक्सर यह देखा जाता है कि दिवाली के बाद जो एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ता है वह मौसम के अनुसार बढ़ता है और उसमें पटाखों का योगदान बहुत ज्यादा होता है.

सिविल अस्पताल डाॅ. देव के मुताबिक में दो-तीन दिनों में ओपीडी में लगभग 20-25 फीसद तक सांस रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है. सांस रोगियों को चाहिए कि वह तेल- मसाले युक्त भोजन न करें. बाहर का कोई भी सामान नहीं खाएं. फ्रीज में रखी हुई वस्तुएं और ठंडा पानी का सेवन न करें, गुनगुना पानी पिएं और गुनगुने पानी से ही नहाएं. अपने आप को ठंड से बचाएं. पूरे बाजू के कपड़े पहनें. घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं. प्रदूषण से फेफड़े संक्रमण होने से सूजन आ जाती है. जिससे सांस लेने में तकलीफ व सीने में दर्द भी महसूस होता है. खांसी भी कई बार तेज आती है. कई बार खांसते हुए आंखों से पानी आ जाता है या गले से हल्का खून निकलने लगता है. इसलिए बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.


सिविल अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रेम (Civil Hospital's Ophthalmologist Dr. Prem) ने बताया कि इस समय वायु प्रदूषण से प्रभावित मरीजों की संख्या अस्पताल की ओपीडी में अधिक है ज्यादा तो जो मरीज आ रहे हैं उनकी आंखों में इंफेक्शन है जो कि प्रदूषण के कारण हुआ है. इसलिए जब भी बाहर निकलें तो चश्मे का इस्तेमाल जरूर करें. बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता (Dr GP Gupta, CMS, Balrampur Hospital) ने बताया कि, करीब 25 फीसद मरीज सामान्य दिनों की अपेक्षा बढ़े हैं. दो-तीन दिनों से सांस मरीज अस्पताल में ज्यादा आ रहे हैं. जो मरीज पहले से ही ब्रोंकाइटिस व अस्थमा से पीड़ित थे, उनकी समस्याएं और भी बढ़ गई हैं. पर्याप्त ऑक्सीजन उनके फेफड़ों में नहीं पहुंच पा रही है. जिससे सांस लेने में उनका दम घुट रहा है. ऐसे मरीजों को बाहर निकलने पहले धूल, धुएं से बचने के साथ ही उन्हें मास्क लगाना चाहिए.

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Last Updated : Nov 12, 2022, 12:51 PM IST
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