ETV Bharat / state

राजनीतिक विवादों के केंद्र में रहते हैं ये जिले, सत्ता देने और छीनने के रहे हैं गवाह, इस बार भी निगाहें - राजनीतिक विवादों के चलते

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के लिए सभी दलों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है. चुनाव के दौरान कई जिलों में विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं के बीच छिटपुट झड़प और मारपीट की घटनाएं सामने आईं. कुछ जिले ऐसे हैं जिनका राजनीतिक विवादों से पुराना नाता रहा है और वह प्रदेश की सत्ता में धुरी की तरह काम करते हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी इन विवादों का असर दिख सकता है. आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रमुख जिलों के विवादित राजनीतिक इतिहास के बारे में.

etv bharat
राजनीतिक विवाद
author img

By

Published : Mar 10, 2022, 8:17 AM IST

Updated : Mar 10, 2022, 9:01 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के लिए सभी दलों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है. चुनाव के दौरान कई जिलों में विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं के बीच छिटपुट झड़प और मारपीट की घटनाएं सामने आईं. ज्यादातर जगह ऐसा वर्चस्व पाने या पुराने राजनीतिक विवादों के चलते हुआ. कुछ जिले ऐसे हैं जिनका राजनीतिक विवादों से पुराना नाता रहा है और वह प्रदेश की सत्ता में धुरी की तरह काम करते हैं. इन जिलों ने समय-समय पर प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति की दिशा बदलने का काम भी किया है. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी इन विवादों का असर दिख सकता है. आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रमुख जिलों के विवादित राजनीतिक इतिहास के बारे में.

सुल्तानपुर में गांधी परिवार से चुनावी टकराव रहा था चर्चा में
गोमती नदी के किनारे बसे सुल्तानपुर का राजनीतिक इतिहास बेहद रोचक होने के साथ ही विवादित भी रहा है. यहां से गांधी परिवार की बहू मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का गहरा राजनीतिक जुड़ाव है. कांग्रेस के दिग्गज नेता संजय सिंह का भाजपा नेत्री मेनका गांधी और वरुण गांधी के साथ चुनाव जीतने को लेकर लंबे समय तक टकराव रहा है. कई बार मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं. सुल्तानपुर में कुल 5 विधानसभा सीटें हैं. यहां से सांसद भाजपा नेत्री मेनका गांधी का वेटनरी चिकित्सक के साथ अभद्र भाषा में बात करने का मामला सुर्खियों मे रहा है. वहीं, तीखे बयानों के लिए मेनका गांधी को चुनाव आयोग ने भी नोटिस जारी किया था. इन विवादों के बीच विधानसभा चुनाव के नतीजों में मेनका गांधी की तेज तर्रार नेता की छवि का असर दिखने की बात कही जा रही है.

etv bharat
Political dispute

लखनऊ में रीता बहुगुणा जोशी, आशुतोष टंडन विवाद
प्रदेश की राजधानी होने के नाते यह राजनीति का केंद्र भी है. हर बार यहां की पांचों विधानसभा सीटों को लेकर रस्साकसी देखने को मिलती है. सीएए और एनआरसी कानून को लेकर यहां पर मुस्लिम समेत अन्य समुदाय के कुछ लोंगों की ओर से विरोध-प्रदर्शन किए गए थे. इसमें शामिल रहे लोगों पर कार्रवाई करने के मामने काफी तूल पकड़ा था. लोंगों की तस्वीरों के सार्वजनिक की गई थीं और उनकी संपत्तियां सरकार ने जब्त की थीं. इस मामले में बीते दिनों कोर्ट ने सरकार के रवैये और एक्शन पर फटकार लगाई है. कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रहीं रीता बहुगुणा जोशी का भाजपा ज्वाइन करने और पार्टी में फूट डालने के चलते यह जिला विवादों में रहा. वहीं, कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन और उनकी बहू के बीच चल रहे विवाद के कारण भी यहां की सीटों के नतीजों में फर्क दिखने की संभावना है.

वरुण गांधी के तेवर से विवादों में पीलीभीत
पीलीभीत जिले में कुल 3 विधानसभा सीटें हैं और यह शुरू से हाईप्रोफाइल जिला रहा है. यहां से मेनका गांधी 5 बार सांसद रही हैं और उनके बेटे वरुण गांधी भी यहां से सांसद हैं. इस जिले में गांधी परिवार का तगड़ा रसूख हैं. समाजवादी पार्टी के बुधसेन वर्मा और हेमराज वर्मा से गांधी परिवार का राजनीतिक टकराव बीते एक दशक में देखा गया है. इसी के चलते दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं के बीच तनातनी और मुकदमेबाजी भी हो चुकी है. वर्तमान में यहां से भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने तीखे तेवर अपनाए हुए हैं. फिर चाहे हिजाब मामला हो या यूक्रेन में फंसे भारतीयों का मसला हो. वरुण गांधी के मुखर रुख को देखते हुए उन्हें विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारकों में भी शामिल नहीं किया गया. टकराव की स्थिति का असर इस बार के नतीजों में दिखने की चर्चा है.

यह भी पढ़ें- यूपी की 60 सीटों के नतीजों पर राकेश टिकैत का कितना असर, जानें आंदोलन और बैठकों से कितनी बदली तस्वीर

राजनीतिक विवादों से बलिया का गहरा नाता
जनपद बलिया ने देश को चंद्रशेखर के रूप में प्रधानमंत्री दिया है. इस जिले में कुल 4 विधानसभा सीटे हैं और इनका राजनीतिक विवादों से गहरा नाता रहा है. यहां की फेफाना सीट से दिग्गज नेता अंबिका चौधरी के बसपा छोड़ने और सपा ज्वाइन करने का विवाद गहराया था. इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर के सपा छोड़ भाजपा ज्वाइन करने के घटनाक्रम से राजनीतिक विवाद बढ़ा था. वहीं, बैरिया सीट से भाजपा विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह ने फायरिंग कांड में आरोपी के पक्ष में बोला था, जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह से स्पष्टीकरण तलब किया था. इस चुनाव में भाजपा नेता उपेंद्र तिवारी के नामांकन में देरी होने पर दौड़ लगाने की घटना ने भी सुर्खियां बटोरी थीं.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के लिए सभी दलों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है. चुनाव के दौरान कई जिलों में विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं के बीच छिटपुट झड़प और मारपीट की घटनाएं सामने आईं. ज्यादातर जगह ऐसा वर्चस्व पाने या पुराने राजनीतिक विवादों के चलते हुआ. कुछ जिले ऐसे हैं जिनका राजनीतिक विवादों से पुराना नाता रहा है और वह प्रदेश की सत्ता में धुरी की तरह काम करते हैं. इन जिलों ने समय-समय पर प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति की दिशा बदलने का काम भी किया है. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी इन विवादों का असर दिख सकता है. आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रमुख जिलों के विवादित राजनीतिक इतिहास के बारे में.

सुल्तानपुर में गांधी परिवार से चुनावी टकराव रहा था चर्चा में
गोमती नदी के किनारे बसे सुल्तानपुर का राजनीतिक इतिहास बेहद रोचक होने के साथ ही विवादित भी रहा है. यहां से गांधी परिवार की बहू मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का गहरा राजनीतिक जुड़ाव है. कांग्रेस के दिग्गज नेता संजय सिंह का भाजपा नेत्री मेनका गांधी और वरुण गांधी के साथ चुनाव जीतने को लेकर लंबे समय तक टकराव रहा है. कई बार मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं. सुल्तानपुर में कुल 5 विधानसभा सीटें हैं. यहां से सांसद भाजपा नेत्री मेनका गांधी का वेटनरी चिकित्सक के साथ अभद्र भाषा में बात करने का मामला सुर्खियों मे रहा है. वहीं, तीखे बयानों के लिए मेनका गांधी को चुनाव आयोग ने भी नोटिस जारी किया था. इन विवादों के बीच विधानसभा चुनाव के नतीजों में मेनका गांधी की तेज तर्रार नेता की छवि का असर दिखने की बात कही जा रही है.

etv bharat
Political dispute

लखनऊ में रीता बहुगुणा जोशी, आशुतोष टंडन विवाद
प्रदेश की राजधानी होने के नाते यह राजनीति का केंद्र भी है. हर बार यहां की पांचों विधानसभा सीटों को लेकर रस्साकसी देखने को मिलती है. सीएए और एनआरसी कानून को लेकर यहां पर मुस्लिम समेत अन्य समुदाय के कुछ लोंगों की ओर से विरोध-प्रदर्शन किए गए थे. इसमें शामिल रहे लोगों पर कार्रवाई करने के मामने काफी तूल पकड़ा था. लोंगों की तस्वीरों के सार्वजनिक की गई थीं और उनकी संपत्तियां सरकार ने जब्त की थीं. इस मामले में बीते दिनों कोर्ट ने सरकार के रवैये और एक्शन पर फटकार लगाई है. कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रहीं रीता बहुगुणा जोशी का भाजपा ज्वाइन करने और पार्टी में फूट डालने के चलते यह जिला विवादों में रहा. वहीं, कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन और उनकी बहू के बीच चल रहे विवाद के कारण भी यहां की सीटों के नतीजों में फर्क दिखने की संभावना है.

वरुण गांधी के तेवर से विवादों में पीलीभीत
पीलीभीत जिले में कुल 3 विधानसभा सीटें हैं और यह शुरू से हाईप्रोफाइल जिला रहा है. यहां से मेनका गांधी 5 बार सांसद रही हैं और उनके बेटे वरुण गांधी भी यहां से सांसद हैं. इस जिले में गांधी परिवार का तगड़ा रसूख हैं. समाजवादी पार्टी के बुधसेन वर्मा और हेमराज वर्मा से गांधी परिवार का राजनीतिक टकराव बीते एक दशक में देखा गया है. इसी के चलते दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं के बीच तनातनी और मुकदमेबाजी भी हो चुकी है. वर्तमान में यहां से भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने तीखे तेवर अपनाए हुए हैं. फिर चाहे हिजाब मामला हो या यूक्रेन में फंसे भारतीयों का मसला हो. वरुण गांधी के मुखर रुख को देखते हुए उन्हें विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारकों में भी शामिल नहीं किया गया. टकराव की स्थिति का असर इस बार के नतीजों में दिखने की चर्चा है.

यह भी पढ़ें- यूपी की 60 सीटों के नतीजों पर राकेश टिकैत का कितना असर, जानें आंदोलन और बैठकों से कितनी बदली तस्वीर

राजनीतिक विवादों से बलिया का गहरा नाता
जनपद बलिया ने देश को चंद्रशेखर के रूप में प्रधानमंत्री दिया है. इस जिले में कुल 4 विधानसभा सीटे हैं और इनका राजनीतिक विवादों से गहरा नाता रहा है. यहां की फेफाना सीट से दिग्गज नेता अंबिका चौधरी के बसपा छोड़ने और सपा ज्वाइन करने का विवाद गहराया था. इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर के सपा छोड़ भाजपा ज्वाइन करने के घटनाक्रम से राजनीतिक विवाद बढ़ा था. वहीं, बैरिया सीट से भाजपा विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह ने फायरिंग कांड में आरोपी के पक्ष में बोला था, जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह से स्पष्टीकरण तलब किया था. इस चुनाव में भाजपा नेता उपेंद्र तिवारी के नामांकन में देरी होने पर दौड़ लगाने की घटना ने भी सुर्खियां बटोरी थीं.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Mar 10, 2022, 9:01 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.