लखनऊ: प्रदेश की योगी सरकार राजधानी लखनऊ व नोएडा में कमिश्नर सिस्टम लागू करने पर विचार कर रही है. यह राजधानी लखनऊ और नोएडा की पुलिसिंग को बेहतर करने के लिए सरकार का बड़ा कदम होगा. कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने के बाद दोनों जिलों की पुलिस के पास मजिस्ट्रियल पावर मिल जाएगा. कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने के बाद कानून व्यवस्था से जुड़े तमाम मुद्दों में पुलिस कमिश्नर को फैसला लेने का एकाधिकार होगा. ऐसे में पुलिस विभाग को मजिस्ट्रियल कामों के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों के पास नहीं जाना होगा. अपराध से जुड़े हुए तमाम काम जो जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा किए जाते हैं, वह पुलिस स्वयं कर सकेगी.
14 जनवरी को नोएडा और लखनऊ के पुलिस कमिश्नर के नाम तय हो जाएंगे. मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में कमिश्नर सिस्टम के प्रारूप पर मुहर लगेगी. कमिश्नर सिस्टम के तहत एक पुलिस कमिश्नर, दो एडिशनल पुलिस कमिश्नर के पद प्रस्तावित हैं. पुलिस विभाग में हो रही चर्चाओं के अनुसार आईजी रैंक के आईपीएस अधिकारी को जिलों का कमिश्नर बनाया जाएगा.
डीआईजी रैंक के अधिकारियों को एडिशनल कमिश्नर की जिम्मेदारी दी जाएगी. वहीं जिले में अब पुलिस कमिश्नर (पीसी), एडिशनल पुलिस कमिश्नर (एपीसी), सहायक पुलिस कमिश्नर (डीसीपी) की तैनाती की जाएगी.
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पुलिस को मिलेंगे ये अधिकार
- लॉ एंड ऑर्डर मैनेज करने के लिए जिला प्रशासन के एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रियल पावर पुलिस को मिल जाएगी.
- पुलिस स्वयं गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट, रासुका लगाने में सक्षम होगी. यह कार्रवाई करने के लिए पुलिस को जिला अधिकारी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी.
- सीआरपीसी की धारा 107-16, धारा 144, धारा 109, धारा 110, धारा 145 के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी पुलिस के पास आ जाएगी. ऐसे में पुलिस स्वयं इन धाराओं पर कार्रवाई कर सकेगी.
- अभी तक होटल, बार, हथियार के लाइसेंस जिला प्रशासन की ओर से जारी किए जाते हैं, लेकिन कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद होटल, बार, असलहे के लाइसेंस पुलिस विभाग की ओर से जारी होंगे.
- जिला प्रशासन द्वारा धरना और प्रदर्शन की अनुमति दी जाती है. कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद प्रदर्शन और धरने की अनुमति पुलिस विभाग की ओर से जारी की जाएगी.
- दंगों के दौरान लाठीचार्ज का निर्णय लेने का अधिकार भी पुलिस विभाग को होगा. पुलिस विभाग को लाठीचार्ज के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी.
- जमीनों से संबंधित विवाद के निपटारे के लिए भी पुलिस लेखपाल को निर्देश दे सकेगी, जिससे जमीन संबंधित विवादों को समय से निपटाया जा सके.