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Missing Cases में विधायक के लिए 500 सीसीटीवी खंगालने वाली Police आम लोगों को कर रही नजरअंदाज !

उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली वीआईपी के लिए खास आम आदमी के लिए लापरवाही भरी होती है. ऐसा हम यूपी पुलिस के रवैये के आधार पर ही कह रहे हैं. विधायक की पत्नी हो या कुत्ता, भैंस इनके लापता (Missing Cases) होने पर खोज में पुलिस अपने सारे संसाधन यूज करती है, लेकिन आम आदमी के साथ घटना होने पर संसाधनों का टोटा होने के रोना और फरियादी को टरकाने के बेहूद हथकंड़े अपनाती है. देखें विशेष रिपोर्ट..

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 3, 2023, 11:04 PM IST

लखनऊ : बीते दिनों सत्ताधारी दल के विधायक की पत्नी अचानक लखनऊ में लापता हो गईं. पुलिस ने सक्रियता दिखाई और 10 टीमें गठित कर शहर भर के 500 सीसीटीवी कैमरे छान मारे. 24 घंटे में ही पुलिस ने पास के जिले बाराबंकी से विधायक पत्नी को बरामद कर सकुशल परिवार को सौंप दिया गया. इसी राज्य की पुलिस ने कभी पूर्व में मंत्री की भैंस, विधायक का कुत्ता भी ढूंढने में खूब सक्रियता दिखाई और कुछ ही घंटों में उन्हें ढूंढ निकाला. अगर ऐसी ही सक्रियता पुलिस ने यदि राजधानी लखनऊ के रहने वाले सोमनाथ दीक्षित, काजल मिश्रा, सलीम समेत तमाम लोगों को ढूंढने में दिखाई होती तो आज वे सबी अपने घरवालों के साथ होते. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पुलिस का दायित्व सिर्फ वीआईपी के लिए है.

आम लोगों के गुमशुदगी के प्रति गंभीर नहीं पुलिस.
आम लोगों के गुमशुदगी के प्रति गंभीर नहीं पुलिस.


MLA के लिए 500 सीसीटीवी खंगाले और आम के लिए जीरो : खाद्य विभाग से रिटायर हुए लखनऊ के छितवापुर निवासी सोमनाथ दीक्षित (65) 2 अगस्त 2022 को शाम अपने घर से मंदिर जाने के लिए निकले और फिर कभी वापस नहीं आए. उनके बेटे अश्वनी दीक्षित ने इसकी जानकारी हुसैनगंज थाने में दर्ज कराई और पुलिस ने ढूंढने की बात कह कर चलता कर दिया. अश्वनी पुलिस के रवैये से वाकिब थे इसलिए वे खुद अपने घर से जाने वाली हर सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले और कुछ फुटेज में पिता के दिखने की सूचना लेकर दोबारा पुलिस के पास पहुंचे. अश्वनी के मुताबिक पुलिस ने कहा कि फुटेज हमें दे दीजिए आगे हम देख लेते हैं. कुछ दिन तक तो पुलिस ने अश्वनी का फोन उठाया, लेकिन बाद में उठाना बंद कर दिया. इसके बाद अश्वनी ने डीसीपी और संयुक्त पुलिस कमिश्नर से मिले, लेकिन कुछ सफलता नहीं मिली. इसके बाद अश्वनी ने खुद ही पिता को ढूंढने की ठानी और कानपुर, अयोध्या, वाराणसी और हरिद्वार के मठ-मंदिरों के चक्कर लगाए, लेकिन अब तक पिता नहीं मिले हैं. पुलिस विधायक पत्नी की तरह सक्रियता दिखाए तो शायद अश्वनी के पिता की कोई खबर मिल जाए.

यूपी में गुमशुदगी के आंकड़े.
यूपी में गुमशुदगी के आंकड़े.

मां डेढ़ साल से कर रही इंतजार : अश्वनी कहते हैं कि उन्होंने अपने पिता को ढूंढने के लिए खुद को प्राइवेट नौकरी छोड़ दी और बीते डेढ़ वर्ष से अपने पिता को ढूंढ रहे हैं. उनकी बहन उन सभी चीजों को अपने हाथों पर रख अक्सर रो पड़ती है. जिन्हें उनके पिता नहीं उसकी शादी के लिए खरीदा था और मां हर रोज पिता की तस्वीर अपने पास रख दरवाजा निहारती रहती हैं कि न जानें कब घर वापस आ जाएं. अश्वनी कहते हैं कि जब हमारी पुलिस एक विधायक की पत्नी को 24 घंटों में ढूंढ सकती हैं तो उनके पिता को क्यों नहीं? पुलिस तो सभी के लिए एक जैसी होती है.

डीसीपी ने कही यह बात.
डीसीपी ने कही यह बात.



बेटी का एक माह से इंतजार कर रहे अरुण : हजरतगंज चौराहे पर बीते 15 वर्षों से चाय का ठेला लगाने वाले बहराइच निवासी अरुण मिश्रा एक माह से अपनी बेटी की तलाश में दिल्ली, कानपुर और प्रयागराज के चक्कर लगा रहे हैं. उनकी दुकान में रोजाना कई पुलिसकर्मी चाय पीने आते हैं. ऐसे में उन्हें लगा शायद पुलिस उनकी मदद करेगी, लेकिन गौतमपल्ली थाने में गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस की ओर से वह मदद नहीं मिल सकी जो विधायक की पत्नी को ढूंढने में मिली. अरुण मिश्रा कहते हैं कि शुरुआत में एक दो बार पुलिस ने एक दो कैमरे खंगाले. बेटी उन कैमरों में दिखी भी, लेकिन बाद में पुलिस की तफ्तीश सुस्त पड़ गई और फिर एक माह से वे बेटी की सूचना मिलने का इंतजार कर रहे हैं.


सलीमा के पति की चार दिन बाद मिली लाश : मड़ियांव निवासी सलीमा के पति सलीम 24 मई 2023 को अचानक घर से गायब हो गए. सलीम साइकिल पंचर की दुकान चलाते थे. उनके घर में चार बच्चे और पत्नी हैं. पत्नी सलीमा ने मड़ियांव थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई. पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने की खानापूर्ति की, लेकिन सलीम को ढूंढने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. चार दिन बाद मीना बेकरी के पास सलीम की लाश मिली. सलीमा कहती हैं कि पति के गायब होने से लेकर पति की लाश मिलने तक रोजाना वे थाने के चक्कर लगाती रहीं लेकिनस पुलिस सिर्फ टरकाती रही. अगर पुलिस अपना काम ठीक से करती तो शायद उनके पति आज जिंदा होते.

यह भी पढ़ें : तीन दिन से लापता मासूम का खेत में मिला शव, परिजनों ने गांव के व्यक्ति पर लगाया हत्या का आरोप

सुल्तानपुर के बीजेपी विधायक सीताराम वर्मा की लापता पत्नी 24 घंटे बाद बरामद

लखनऊ : बीते दिनों सत्ताधारी दल के विधायक की पत्नी अचानक लखनऊ में लापता हो गईं. पुलिस ने सक्रियता दिखाई और 10 टीमें गठित कर शहर भर के 500 सीसीटीवी कैमरे छान मारे. 24 घंटे में ही पुलिस ने पास के जिले बाराबंकी से विधायक पत्नी को बरामद कर सकुशल परिवार को सौंप दिया गया. इसी राज्य की पुलिस ने कभी पूर्व में मंत्री की भैंस, विधायक का कुत्ता भी ढूंढने में खूब सक्रियता दिखाई और कुछ ही घंटों में उन्हें ढूंढ निकाला. अगर ऐसी ही सक्रियता पुलिस ने यदि राजधानी लखनऊ के रहने वाले सोमनाथ दीक्षित, काजल मिश्रा, सलीम समेत तमाम लोगों को ढूंढने में दिखाई होती तो आज वे सबी अपने घरवालों के साथ होते. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पुलिस का दायित्व सिर्फ वीआईपी के लिए है.

आम लोगों के गुमशुदगी के प्रति गंभीर नहीं पुलिस.
आम लोगों के गुमशुदगी के प्रति गंभीर नहीं पुलिस.


MLA के लिए 500 सीसीटीवी खंगाले और आम के लिए जीरो : खाद्य विभाग से रिटायर हुए लखनऊ के छितवापुर निवासी सोमनाथ दीक्षित (65) 2 अगस्त 2022 को शाम अपने घर से मंदिर जाने के लिए निकले और फिर कभी वापस नहीं आए. उनके बेटे अश्वनी दीक्षित ने इसकी जानकारी हुसैनगंज थाने में दर्ज कराई और पुलिस ने ढूंढने की बात कह कर चलता कर दिया. अश्वनी पुलिस के रवैये से वाकिब थे इसलिए वे खुद अपने घर से जाने वाली हर सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले और कुछ फुटेज में पिता के दिखने की सूचना लेकर दोबारा पुलिस के पास पहुंचे. अश्वनी के मुताबिक पुलिस ने कहा कि फुटेज हमें दे दीजिए आगे हम देख लेते हैं. कुछ दिन तक तो पुलिस ने अश्वनी का फोन उठाया, लेकिन बाद में उठाना बंद कर दिया. इसके बाद अश्वनी ने डीसीपी और संयुक्त पुलिस कमिश्नर से मिले, लेकिन कुछ सफलता नहीं मिली. इसके बाद अश्वनी ने खुद ही पिता को ढूंढने की ठानी और कानपुर, अयोध्या, वाराणसी और हरिद्वार के मठ-मंदिरों के चक्कर लगाए, लेकिन अब तक पिता नहीं मिले हैं. पुलिस विधायक पत्नी की तरह सक्रियता दिखाए तो शायद अश्वनी के पिता की कोई खबर मिल जाए.

यूपी में गुमशुदगी के आंकड़े.
यूपी में गुमशुदगी के आंकड़े.

मां डेढ़ साल से कर रही इंतजार : अश्वनी कहते हैं कि उन्होंने अपने पिता को ढूंढने के लिए खुद को प्राइवेट नौकरी छोड़ दी और बीते डेढ़ वर्ष से अपने पिता को ढूंढ रहे हैं. उनकी बहन उन सभी चीजों को अपने हाथों पर रख अक्सर रो पड़ती है. जिन्हें उनके पिता नहीं उसकी शादी के लिए खरीदा था और मां हर रोज पिता की तस्वीर अपने पास रख दरवाजा निहारती रहती हैं कि न जानें कब घर वापस आ जाएं. अश्वनी कहते हैं कि जब हमारी पुलिस एक विधायक की पत्नी को 24 घंटों में ढूंढ सकती हैं तो उनके पिता को क्यों नहीं? पुलिस तो सभी के लिए एक जैसी होती है.

डीसीपी ने कही यह बात.
डीसीपी ने कही यह बात.



बेटी का एक माह से इंतजार कर रहे अरुण : हजरतगंज चौराहे पर बीते 15 वर्षों से चाय का ठेला लगाने वाले बहराइच निवासी अरुण मिश्रा एक माह से अपनी बेटी की तलाश में दिल्ली, कानपुर और प्रयागराज के चक्कर लगा रहे हैं. उनकी दुकान में रोजाना कई पुलिसकर्मी चाय पीने आते हैं. ऐसे में उन्हें लगा शायद पुलिस उनकी मदद करेगी, लेकिन गौतमपल्ली थाने में गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस की ओर से वह मदद नहीं मिल सकी जो विधायक की पत्नी को ढूंढने में मिली. अरुण मिश्रा कहते हैं कि शुरुआत में एक दो बार पुलिस ने एक दो कैमरे खंगाले. बेटी उन कैमरों में दिखी भी, लेकिन बाद में पुलिस की तफ्तीश सुस्त पड़ गई और फिर एक माह से वे बेटी की सूचना मिलने का इंतजार कर रहे हैं.


सलीमा के पति की चार दिन बाद मिली लाश : मड़ियांव निवासी सलीमा के पति सलीम 24 मई 2023 को अचानक घर से गायब हो गए. सलीम साइकिल पंचर की दुकान चलाते थे. उनके घर में चार बच्चे और पत्नी हैं. पत्नी सलीमा ने मड़ियांव थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई. पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने की खानापूर्ति की, लेकिन सलीम को ढूंढने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. चार दिन बाद मीना बेकरी के पास सलीम की लाश मिली. सलीमा कहती हैं कि पति के गायब होने से लेकर पति की लाश मिलने तक रोजाना वे थाने के चक्कर लगाती रहीं लेकिनस पुलिस सिर्फ टरकाती रही. अगर पुलिस अपना काम ठीक से करती तो शायद उनके पति आज जिंदा होते.

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