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लखनऊ: अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद, मरीजों की मुश्किलें बढ़ीं - लखनऊ समाचार

राजधानी लखनऊ में कोरोना महामारी के कारण अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई थीं. अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद होने के कारण लगभग 50 हजार मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

patients facing problems
ओपीडी सेवाएं बंद होने से मरीज हुए परेशान
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Published : Jun 13, 2020, 7:43 PM IST

लखनऊ: राजधानी में लॉकडाउन के चलते अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में सभी तरह की ओपीडी सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी. इन अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं मुहैया करवाई जा रही थी. अब अनलॉक की वजह से बाकि सभी कार्यालय और दुकानें तो खुल रही है, लेकिन रूटीन ओपीडी को अब तक शुरू करने की मंजूरी नहीं मिली है. इसके वजह से प्रतिदिन लगभग 50 हजार मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

patients facing problems
ओपीडी सेवाएं बंद होने से मरीज हुए परेशान
राजधानी के सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों की बात की जाए तो प्रतिदिन लगभग 70 हजार मरीज सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के ओपीडी में पहुंचते थे. लॉकडाउन के दौरान सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं को ही अनुमति मिली थी. अन्य सभी ओपीडी और विभाग बंद कर दिए गए हैं.

जानिए क्या कहते हैं प्रवक्ता
इस बारे में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मीडिया प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह का कहना है कि महामारी के चलते सभी रूटीन ओपीडी सरकार के अगले आदेशों तक के लिए बंद है. लेकिन विश्वविद्यालय हर संभव प्रयास में लगा है कि रोगियों को अच्छी चिकित्सा सेवा प्रदान की जाएं. डॉ. सुधीर कहते हैं कि चिकित्सालय में इमरजेंसी ओपीडी और कुछ विशिष्ट विभागों की ओपीडी लगातार चल रही हैं. इन विभागों में कैंसर विभाग के रेडियो थैरेपी और सर्जिकल ऑकोलॉजी की ओपीडी, नियोनेटोलॉजी की ओपीडी, गायनोलॉजी, हेमेटोलॉजी जैसी कई ओपीडी लगातार चल रही है. इसके अलावा फीवर क्लीनिक के ओपीडी में भी प्रतिदिन लगभग 200 मरीज आ रहे हैं.

केजीएमयू में प्रतिदिन 8000 मरीजों की ओपीडी
डॉ सिंह ने बताया कि केजीएमयू में प्रतिदिन 7,500 से 8,000 मरीजों को ओपीडी में सामान्य तौर पर देखा जाता था. इनमें से 70% तक मरीज फॉलोअप के 38% मरीज नए रोगी होते थे. हालांकि लॉकडाउन के बाद विशेष ओपीडी के साथ-साथ लगातार हेल्पलाइन नंबर और टेलीमेडिसिन के साथ डिजिटल ओपीडी के माध्यम से भी मरीजों को देखा जा रहा है और उनका इलाज किया जा रहा है. डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मीडिया प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह के अनुसार विशिष्ट विभागों की ओपीडी लगातार चल रही है. इनमें प्रतिदिन लगभग 1300 मरीजों को देखा जा रहा है.


सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन 3000 मरीजों की ओपीडी
सरकारी चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों की बात की जाए तो, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल हजरतगंज में सामान्य रूप से लगभग 3,000 मरीजों की ओपीडी रोजाना होती थी. इसके अलावा लोहिया संस्थान में भी यह ओपीडी लगभग 6000 मरीजों की होती थी. केजीएमयू में लगभग 8,000 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन होती थी. जिला अस्पताल की बात की जाए तो बलरामपुर अस्पताल में लगभग 4000 से 5000 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन होती थी. बाल महिला चिकित्सालय की बात की जाए तो प्रतिदिन इन सभी अस्पतालों में लगभग 500 मरीजों की ओपीडी अटेंड की जाती थी.


संयुक्त अस्पतालों में 1500 लोगों की ओपीडी
संयुक्त अस्पतालों में रानी लक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय में लगभग 1,000 ओपीडी, लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय में 1500 से 2000 मरीजों की ओपीडी देखी जाती थी. इसके अलावा अलग-अलग गैर सरकारी अस्पतालों को मिलाकर लगभग 40,000 मरीजों की ओपीडी पूरी प्रतिदिन अटेंड की जाती थी. लॉकडाउन के चलते यह सभी ओपीडी लगभग 3 महीनों से बंद पड़ी है.

डॉक्टर सुधीर कहते हैं कि निश्चित रूप से मरीज को डॉक्टर के सामने बैठ कर अपना मर्ज बताने में जो संतोष मिलता था, वह टेलीमेडिसिन, डिजिटल ओपीडी या हेल्पलाइन नंबर से नहीं मिल सकता. लेकिन समय की यही आवश्यकता है कि उन्हें हम इसी तरह से यह सुविधाएं उपलब्ध करवाएं. हालांकि जिन मरीजों में रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है या किसी भी तरह की इमरजेंसी में ओपीडी आने की आवश्यकता होती है, उनका इलाज किया जा रहा है.

लखनऊ: राजधानी में लॉकडाउन के चलते अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में सभी तरह की ओपीडी सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी. इन अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं मुहैया करवाई जा रही थी. अब अनलॉक की वजह से बाकि सभी कार्यालय और दुकानें तो खुल रही है, लेकिन रूटीन ओपीडी को अब तक शुरू करने की मंजूरी नहीं मिली है. इसके वजह से प्रतिदिन लगभग 50 हजार मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

patients facing problems
ओपीडी सेवाएं बंद होने से मरीज हुए परेशान
राजधानी के सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों की बात की जाए तो प्रतिदिन लगभग 70 हजार मरीज सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के ओपीडी में पहुंचते थे. लॉकडाउन के दौरान सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं को ही अनुमति मिली थी. अन्य सभी ओपीडी और विभाग बंद कर दिए गए हैं.

जानिए क्या कहते हैं प्रवक्ता
इस बारे में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मीडिया प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह का कहना है कि महामारी के चलते सभी रूटीन ओपीडी सरकार के अगले आदेशों तक के लिए बंद है. लेकिन विश्वविद्यालय हर संभव प्रयास में लगा है कि रोगियों को अच्छी चिकित्सा सेवा प्रदान की जाएं. डॉ. सुधीर कहते हैं कि चिकित्सालय में इमरजेंसी ओपीडी और कुछ विशिष्ट विभागों की ओपीडी लगातार चल रही हैं. इन विभागों में कैंसर विभाग के रेडियो थैरेपी और सर्जिकल ऑकोलॉजी की ओपीडी, नियोनेटोलॉजी की ओपीडी, गायनोलॉजी, हेमेटोलॉजी जैसी कई ओपीडी लगातार चल रही है. इसके अलावा फीवर क्लीनिक के ओपीडी में भी प्रतिदिन लगभग 200 मरीज आ रहे हैं.

केजीएमयू में प्रतिदिन 8000 मरीजों की ओपीडी
डॉ सिंह ने बताया कि केजीएमयू में प्रतिदिन 7,500 से 8,000 मरीजों को ओपीडी में सामान्य तौर पर देखा जाता था. इनमें से 70% तक मरीज फॉलोअप के 38% मरीज नए रोगी होते थे. हालांकि लॉकडाउन के बाद विशेष ओपीडी के साथ-साथ लगातार हेल्पलाइन नंबर और टेलीमेडिसिन के साथ डिजिटल ओपीडी के माध्यम से भी मरीजों को देखा जा रहा है और उनका इलाज किया जा रहा है. डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मीडिया प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह के अनुसार विशिष्ट विभागों की ओपीडी लगातार चल रही है. इनमें प्रतिदिन लगभग 1300 मरीजों को देखा जा रहा है.


सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन 3000 मरीजों की ओपीडी
सरकारी चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों की बात की जाए तो, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल हजरतगंज में सामान्य रूप से लगभग 3,000 मरीजों की ओपीडी रोजाना होती थी. इसके अलावा लोहिया संस्थान में भी यह ओपीडी लगभग 6000 मरीजों की होती थी. केजीएमयू में लगभग 8,000 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन होती थी. जिला अस्पताल की बात की जाए तो बलरामपुर अस्पताल में लगभग 4000 से 5000 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन होती थी. बाल महिला चिकित्सालय की बात की जाए तो प्रतिदिन इन सभी अस्पतालों में लगभग 500 मरीजों की ओपीडी अटेंड की जाती थी.


संयुक्त अस्पतालों में 1500 लोगों की ओपीडी
संयुक्त अस्पतालों में रानी लक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय में लगभग 1,000 ओपीडी, लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय में 1500 से 2000 मरीजों की ओपीडी देखी जाती थी. इसके अलावा अलग-अलग गैर सरकारी अस्पतालों को मिलाकर लगभग 40,000 मरीजों की ओपीडी पूरी प्रतिदिन अटेंड की जाती थी. लॉकडाउन के चलते यह सभी ओपीडी लगभग 3 महीनों से बंद पड़ी है.

डॉक्टर सुधीर कहते हैं कि निश्चित रूप से मरीज को डॉक्टर के सामने बैठ कर अपना मर्ज बताने में जो संतोष मिलता था, वह टेलीमेडिसिन, डिजिटल ओपीडी या हेल्पलाइन नंबर से नहीं मिल सकता. लेकिन समय की यही आवश्यकता है कि उन्हें हम इसी तरह से यह सुविधाएं उपलब्ध करवाएं. हालांकि जिन मरीजों में रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है या किसी भी तरह की इमरजेंसी में ओपीडी आने की आवश्यकता होती है, उनका इलाज किया जा रहा है.

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