लखनऊ: राजधानी में कोरोना महामारी के कारण पिछले कई दिनों से सरकारी अस्पताल बंद पड़ी थी. अनलॉक में सरकारी अस्पतालों को खोला गया, जहां मरीजों की सख्या तेजी से बढ़ने लगी. गुरुवार को 14 वर्षीय किशोर बच्चे को लेकर परिजन डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल चिकित्सालय पहुंचे, तो उन्हें व्हीलचेयर नहीं मिली. मजबूरन परिजनों को बच्चे को प्लास्टिक की चेयर पर बैठाकर इमरजेंसी से प्रथम तल तक ले जाना पड़ा.
चारबाग निवासी पीयूष (14 वर्ष) को मंगलवार को बुखार आने पर घरवाले उसे निजी अस्पताल ले गए, जहां डाक्टर ने दवा दी. दवा लेने के बाद भी पीयूष की तबीयत में सुधार नहीं हुआ. बच्ची की तकलीफ बढ़ने पर परिजन उसे अगले दिन फिर डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने देखा कि बच्चे को तेज बुखार और पैरों में दर्द है, हालत गंभीर लगने पर उसे सिविल अस्पताल ले जाने की सलाह दी. परिजन जब बच्चे को लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे, तो अस्पताल में उन्हें कोई भी व्हील चेयर नहीं मिल पाई. परेशान परिजनों ने प्लास्टिक की चेयर की व्यवस्था की और बच्चे को कुर्सी पर बैठाकर इमरजेंसी में पहुंचाए. वहां डाक्टरों ने बच्चे को देखा और बाल रोग विभाग में भेज दिया. रोग विभाग में भी उसी प्लास्टिक की चेयर के सहारे बच्चे को पहुंचाया गया. इस दौरान अस्पताल के किसी भी नर्स स्टाफ या जिम्मेदार अधिकारी की इस ओर नजर नहीं पड़ी.
इस मामले में पूछे जाने पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. एसके नन्दा ने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है, उन्होंने यह भी बताया कि इमरजेंसी में व्हील चेयर या स्ट्रेचर की कोई कमी नहीं है, मरीज को व्हील चेयर या स्ट्रेचर क्यों नहीं मिला, इसका पता लगाया जाएगा.
लखनऊ: सिविल अस्पताल में मरीज को नहीं मिली व्हीलचेयर, प्लास्टिक की कुर्सी पर पहुंचा इमरजेंसी कक्ष - lucknow news
लखनऊ के सिविल अस्पताल में तमाम सुविधाएं होने के बावजूद मरीज आए दिन समस्याओं से जुझते नजर आते हैं. राजधानी के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल चिकित्सालय में इलाज कराने पहुंचे बीमार बच्चे को व्हीलचेयर तक नहीं मिली, परिजन उसे प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठकर अस्पताल के प्रथम तल पर स्थित इमरजेंसी कक्ष पहुंचे.
लखनऊ: राजधानी में कोरोना महामारी के कारण पिछले कई दिनों से सरकारी अस्पताल बंद पड़ी थी. अनलॉक में सरकारी अस्पतालों को खोला गया, जहां मरीजों की सख्या तेजी से बढ़ने लगी. गुरुवार को 14 वर्षीय किशोर बच्चे को लेकर परिजन डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल चिकित्सालय पहुंचे, तो उन्हें व्हीलचेयर नहीं मिली. मजबूरन परिजनों को बच्चे को प्लास्टिक की चेयर पर बैठाकर इमरजेंसी से प्रथम तल तक ले जाना पड़ा.
चारबाग निवासी पीयूष (14 वर्ष) को मंगलवार को बुखार आने पर घरवाले उसे निजी अस्पताल ले गए, जहां डाक्टर ने दवा दी. दवा लेने के बाद भी पीयूष की तबीयत में सुधार नहीं हुआ. बच्ची की तकलीफ बढ़ने पर परिजन उसे अगले दिन फिर डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने देखा कि बच्चे को तेज बुखार और पैरों में दर्द है, हालत गंभीर लगने पर उसे सिविल अस्पताल ले जाने की सलाह दी. परिजन जब बच्चे को लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे, तो अस्पताल में उन्हें कोई भी व्हील चेयर नहीं मिल पाई. परेशान परिजनों ने प्लास्टिक की चेयर की व्यवस्था की और बच्चे को कुर्सी पर बैठाकर इमरजेंसी में पहुंचाए. वहां डाक्टरों ने बच्चे को देखा और बाल रोग विभाग में भेज दिया. रोग विभाग में भी उसी प्लास्टिक की चेयर के सहारे बच्चे को पहुंचाया गया. इस दौरान अस्पताल के किसी भी नर्स स्टाफ या जिम्मेदार अधिकारी की इस ओर नजर नहीं पड़ी.
इस मामले में पूछे जाने पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. एसके नन्दा ने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है, उन्होंने यह भी बताया कि इमरजेंसी में व्हील चेयर या स्ट्रेचर की कोई कमी नहीं है, मरीज को व्हील चेयर या स्ट्रेचर क्यों नहीं मिला, इसका पता लगाया जाएगा.