लखनऊ: उत्तर प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्टाफ और शिक्षकों की भारी कमी है. योगी आदित्यनाथ सरकार को बने हुए ढाई साल हो गए, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई. यहां तक कि योगी सरकार में एक भी पद पर नियुक्ति प्रक्रिया के लिए विज्ञापन तक नहीं निकाले जा सके. वहीं पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के दौरान जिन पदों पर विज्ञापन निकाले गए थे, उन्हीं पर सिर्फ भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ सकी, ऐसे में उत्तर प्रदेश में गुणवत्ता परक शिक्षा देने में शिक्षकों की कमी बड़ी बाधा बनी हुई है.
विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी
- उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए लगातार डिमांड भी होती रही है लेकिन सरकार की तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया जाता.
- कुल पद सम्मेलनों में भी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को लेकर राज्यपाल से राज्य सरकार के स्तर पर हस्तक्षेप की मांग की जाती है, लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया जा सका.
- शिक्षकों की कमी की वजह से छात्रों को बेहतर और गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं मिल पा रही है.
- उत्तर प्रदेश में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को मिलाकर करीब 21000 पद सृजित हैं.
- इनमें से करीब 50 फीसदी से अधिक पद रिक्त हैं.
शिक्षकों की कमी गुणवत्तापरक शिक्षा में बाधा तो बनती है, 50 फीसदी से अधिक शिक्षकों की कमी है जिसे दूर करने के लिए समय-समय पर सरकार के स्तर पर मांग की जाती है और सरकार जल्द से जल्द इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करे.
- मनोज कुमार पांडे, अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय, सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ
काफी संख्या में शिक्षकों की कमी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में है, जिसको लेकर सरकार को गंभीरतापूर्वक इन्हें भरने के बारे में चिंता करनी होगी. जब तक यह कमी दूर नहीं की जाएगी, गुणवत्तापरक शिक्षा छात्रों को नहीं दी जा सकती है.
- नीरज जैन, अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ