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लखनऊ: उच्च शिक्षा में 50 फीसदी से अधिक पद खाली, कैसे मिलेगी गुणवत्तापूरक शिक्षा

उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है. इसके चलते छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं मिल पा रही है. उत्तर प्रदेश में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को मिलाकर करीब 21000 पद सृजित हैं, जिनमें से करीब 50 फीसदी से अधिक पद रिक्त हैं.

उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की है भारी कमी.
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Published : Jun 9, 2019, 8:06 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्टाफ और शिक्षकों की भारी कमी है. योगी आदित्यनाथ सरकार को बने हुए ढाई साल हो गए, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई. यहां तक कि योगी सरकार में एक भी पद पर नियुक्ति प्रक्रिया के लिए विज्ञापन तक नहीं निकाले जा सके. वहीं पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के दौरान जिन पदों पर विज्ञापन निकाले गए थे, उन्हीं पर सिर्फ भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ सकी, ऐसे में उत्तर प्रदेश में गुणवत्ता परक शिक्षा देने में शिक्षकों की कमी बड़ी बाधा बनी हुई है.

उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की है भारी कमी.

विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी

  • उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए लगातार डिमांड भी होती रही है लेकिन सरकार की तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया जाता.
  • कुल पद सम्मेलनों में भी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को लेकर राज्यपाल से राज्य सरकार के स्तर पर हस्तक्षेप की मांग की जाती है, लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया जा सका.
  • शिक्षकों की कमी की वजह से छात्रों को बेहतर और गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं मिल पा रही है.
  • उत्तर प्रदेश में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को मिलाकर करीब 21000 पद सृजित हैं.
  • इनमें से करीब 50 फीसदी से अधिक पद रिक्त हैं.

शिक्षकों की कमी गुणवत्तापरक शिक्षा में बाधा तो बनती है, 50 फीसदी से अधिक शिक्षकों की कमी है जिसे दूर करने के लिए समय-समय पर सरकार के स्तर पर मांग की जाती है और सरकार जल्द से जल्द इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करे.

- मनोज कुमार पांडे, अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय, सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ

काफी संख्या में शिक्षकों की कमी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में है, जिसको लेकर सरकार को गंभीरतापूर्वक इन्हें भरने के बारे में चिंता करनी होगी. जब तक यह कमी दूर नहीं की जाएगी, गुणवत्तापरक शिक्षा छात्रों को नहीं दी जा सकती है.

- नीरज जैन, अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्टाफ और शिक्षकों की भारी कमी है. योगी आदित्यनाथ सरकार को बने हुए ढाई साल हो गए, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई. यहां तक कि योगी सरकार में एक भी पद पर नियुक्ति प्रक्रिया के लिए विज्ञापन तक नहीं निकाले जा सके. वहीं पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के दौरान जिन पदों पर विज्ञापन निकाले गए थे, उन्हीं पर सिर्फ भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ सकी, ऐसे में उत्तर प्रदेश में गुणवत्ता परक शिक्षा देने में शिक्षकों की कमी बड़ी बाधा बनी हुई है.

उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की है भारी कमी.

विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी

  • उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए लगातार डिमांड भी होती रही है लेकिन सरकार की तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया जाता.
  • कुल पद सम्मेलनों में भी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को लेकर राज्यपाल से राज्य सरकार के स्तर पर हस्तक्षेप की मांग की जाती है, लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया जा सका.
  • शिक्षकों की कमी की वजह से छात्रों को बेहतर और गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं मिल पा रही है.
  • उत्तर प्रदेश में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को मिलाकर करीब 21000 पद सृजित हैं.
  • इनमें से करीब 50 फीसदी से अधिक पद रिक्त हैं.

शिक्षकों की कमी गुणवत्तापरक शिक्षा में बाधा तो बनती है, 50 फीसदी से अधिक शिक्षकों की कमी है जिसे दूर करने के लिए समय-समय पर सरकार के स्तर पर मांग की जाती है और सरकार जल्द से जल्द इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करे.

- मनोज कुमार पांडे, अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय, सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ

काफी संख्या में शिक्षकों की कमी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में है, जिसको लेकर सरकार को गंभीरतापूर्वक इन्हें भरने के बारे में चिंता करनी होगी. जब तक यह कमी दूर नहीं की जाएगी, गुणवत्तापरक शिक्षा छात्रों को नहीं दी जा सकती है.

- नीरज जैन, अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्टाफ और शिक्षकों की भारी कमी है योगी आदित्यनाथ सरकार को बने हुए ढाई साल हो गए लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई योगी सरकार में एक भी पद पर नियुक्ति प्रक्रिया के लिए विज्ञापन तक नहीं निकाले जा सके। पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के दौरान जिन पदों पर विज्ञापन निकाले गए थे उन्हीं पर सिर्फ भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ सकी ऐसे में उत्तर प्रदेश में गुणवत्ता परक शिक्षा देने में शिक्षकों की कमी बड़ी बाधा बनी हुई है।


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उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए लगातार डिमांड भी होती रही है लेकिन सरकार की तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया जाता कुल पद सम्मेलनों में भी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को लेकर राज्यपाल से राज्य सरकार के स्तर पर हस्तक्षेप की मांग की जाती है लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया जा सका जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षा और गुणवत्ता परक शिक्षा दी जा सके।
उत्तर प्रदेश में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को मिलाकर करीब 21000 पद सृजित है जिनमें करीब 50 फीसद से अधिक पद रिक्त बताए जा रहे हैं ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब विश्वविद्यालयों में महाविद्यालयों में शिक्षक प्रोफेसर नहीं है और संविदा पर कुछ शिक्षकों को रख कर खानापूर्ति के लिए क्लासेस चलाई जा रही हैं ऐसे में किस प्रकार से गुणवत्ता परक शिक्षा छात्रों को मिलेगी और उनका भविष्य कैसे संवारा जाएगा इसमें बड़ा सवाल है।
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मनोज कुमार पांडे अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ
शिक्षकों की कमी गुणवत्ता परक शिक्षा में बाधा तो बनती है 50 फीसद से अधिक शिक्षकों की कमी है जिसे दूर करने के लिए समय-समय पर सरकार के स्तर पर मांग की जाती है

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नीरज जैन, अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ
काफी संख्या में शिक्षकों की कमी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में है, जिसको लेकर सरकार को गंभीरता पूर्वक इन्हें भरने के बारे में चिंता करनी होगी जब तक यह कमी दूर नहीं की जाएगी गुणवत्ता परक शिक्षा छात्रों को नहीं दी जा सकती है।




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