लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार राजधानी समेत प्रदेश भर में करोड़ों पौधे रोप कर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम कर रही है. वहीं दूसरी ओर जिन पौधों को पेड़ बनने में सैकड़ों साल लग गए, सरकारी उदासीनता के चलते उन पेड़ों को मारा जा रहा है. इसकी मिसाल राजधानी के वीवीआईपी इलाकों में देखने को मिलती है. इन इलाकों में सड़क बनाते समय पेड़ की जड़ों को पूरी तरह सीमेंट से ढक दिया गया है. उनमें न ही बारिश का पानी जा पा रहा है और न ही धूप का संचार हो पा रहा है. ऐसे में पौधों की जिंदगी खत्म हो रही है.
- प्रदेश सरकार ने अगस्त क्रांति के अवसर पर नौ अगस्त को प्रदेश भर में 22 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया था.
- इसके इतर पुराने पेड़ों का रखरखाव करने में सरकार कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.
- राजधानी में मुख्यमंत्री आवास जाने वाले रास्ते में सड़क किनारे लगे पेड़ इसी के चलते मर रहे हैं.
- इन पेड़ों को संबंधित विभाग ने सड़क बनाते समय पूरी तरह से सीमेंटेड कर दिया है.
- पेड़ के आसपास इंच भर भी कच्ची जमीन नहीं छोड़ी है जिससे बारिश का पानी या फिर धूप अंदर तक जा सके.
- सिर्फ वीवीआईपी रोड पर ही ऐसे पेड़ नहीं हैं बल्कि एनेक्सी के सामने और शहर के तमाम इलाकों में ऐसे पेड़ हैं जिनकी जड़ों को पूरी तरह ढक दिया गया है.
पेड़ को हरा-भरा, फलने फूलने के लिए कम से कम आसपास 2 फीट की जमीन कच्ची जरूर छोड़नी चाहिए. अगर सड़क बनाते समय इसका ध्यान नहीं रखा जा रहा है तो निश्चित तौर पर पेड़ों को मारने का ही काम किया जा रहा है. इससे पेड़ों की जिंदगी लगभग खत्म हो जाती है.
-नीरज श्रीवास्तव, पर्यावरणविद
जब ईटीवी भारत ने संबंधित विभाग से इस पर प्रतिक्रिया लेनी चाही तो विभाग के अधिकारी बगलें झांकते नजर आए. कैमरे से इतर उन्होंने यह जरूर माना कि सड़क बनाते समय यह गलती हुई है. जल्द ही पेड़ों के आसपास खोदाई कराकर सड़क काटकर कच्ची जगह छोड़ी जाएगी.