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करोड़ों पौधे लगाकर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, लेकिन पुराने पेड़ों का क्या

उत्तर प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण कार्यक्रम चला रही है. इसके तहत हाल ही में 22 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए थे. जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी जगह मिली थी. इसके इतर प्रदेश में इसके पहले रोपे गए पौधों की क्या हालत है इसका कोई किसी के पास कोई जवाब नहीं है.

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Published : Aug 10, 2019, 3:18 PM IST

Updated : Aug 10, 2019, 3:29 PM IST

यूपी में मारे जा रहे पुराने पेड़.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार राजधानी समेत प्रदेश भर में करोड़ों पौधे रोप कर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम कर रही है. वहीं दूसरी ओर जिन पौधों को पेड़ बनने में सैकड़ों साल लग गए, सरकारी उदासीनता के चलते उन पेड़ों को मारा जा रहा है. इसकी मिसाल राजधानी के वीवीआईपी इलाकों में देखने को मिलती है. इन इलाकों में सड़क बनाते समय पेड़ की जड़ों को पूरी तरह सीमेंट से ढक दिया गया है. उनमें न ही बारिश का पानी जा पा रहा है और न ही धूप का संचार हो पा रहा है. ऐसे में पौधों की जिंदगी खत्म हो रही है.

यूपी में मारे जा रहे पुराने पेड़.
22 करोड़ पौधों का बनाया था वर्ल्ड रिकार्ड
  • प्रदेश सरकार ने अगस्त क्रांति के अवसर पर नौ अगस्त को प्रदेश भर में 22 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया था.
  • इसके इतर पुराने पेड़ों का रखरखाव करने में सरकार कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.
  • राजधानी में मुख्यमंत्री आवास जाने वाले रास्ते में सड़क किनारे लगे पेड़ इसी के चलते मर रहे हैं.
  • इन पेड़ों को संबंधित विभाग ने सड़क बनाते समय पूरी तरह से सीमेंटेड कर दिया है.
  • पेड़ के आसपास इंच भर भी कच्ची जमीन नहीं छोड़ी है जिससे बारिश का पानी या फिर धूप अंदर तक जा सके.
  • सिर्फ वीवीआईपी रोड पर ही ऐसे पेड़ नहीं हैं बल्कि एनेक्सी के सामने और शहर के तमाम इलाकों में ऐसे पेड़ हैं जिनकी जड़ों को पूरी तरह ढक दिया गया है.

पेड़ को हरा-भरा, फलने फूलने के लिए कम से कम आसपास 2 फीट की जमीन कच्ची जरूर छोड़नी चाहिए. अगर सड़क बनाते समय इसका ध्यान नहीं रखा जा रहा है तो निश्चित तौर पर पेड़ों को मारने का ही काम किया जा रहा है. इससे पेड़ों की जिंदगी लगभग खत्म हो जाती है.
-नीरज श्रीवास्तव, पर्यावरणविद

जब ईटीवी भारत ने संबंधित विभाग से इस पर प्रतिक्रिया लेनी चाही तो विभाग के अधिकारी बगलें झांकते नजर आए. कैमरे से इतर उन्होंने यह जरूर माना कि सड़क बनाते समय यह गलती हुई है. जल्द ही पेड़ों के आसपास खोदाई कराकर सड़क काटकर कच्ची जगह छोड़ी जाएगी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार राजधानी समेत प्रदेश भर में करोड़ों पौधे रोप कर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम कर रही है. वहीं दूसरी ओर जिन पौधों को पेड़ बनने में सैकड़ों साल लग गए, सरकारी उदासीनता के चलते उन पेड़ों को मारा जा रहा है. इसकी मिसाल राजधानी के वीवीआईपी इलाकों में देखने को मिलती है. इन इलाकों में सड़क बनाते समय पेड़ की जड़ों को पूरी तरह सीमेंट से ढक दिया गया है. उनमें न ही बारिश का पानी जा पा रहा है और न ही धूप का संचार हो पा रहा है. ऐसे में पौधों की जिंदगी खत्म हो रही है.

यूपी में मारे जा रहे पुराने पेड़.
22 करोड़ पौधों का बनाया था वर्ल्ड रिकार्ड
  • प्रदेश सरकार ने अगस्त क्रांति के अवसर पर नौ अगस्त को प्रदेश भर में 22 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया था.
  • इसके इतर पुराने पेड़ों का रखरखाव करने में सरकार कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.
  • राजधानी में मुख्यमंत्री आवास जाने वाले रास्ते में सड़क किनारे लगे पेड़ इसी के चलते मर रहे हैं.
  • इन पेड़ों को संबंधित विभाग ने सड़क बनाते समय पूरी तरह से सीमेंटेड कर दिया है.
  • पेड़ के आसपास इंच भर भी कच्ची जमीन नहीं छोड़ी है जिससे बारिश का पानी या फिर धूप अंदर तक जा सके.
  • सिर्फ वीवीआईपी रोड पर ही ऐसे पेड़ नहीं हैं बल्कि एनेक्सी के सामने और शहर के तमाम इलाकों में ऐसे पेड़ हैं जिनकी जड़ों को पूरी तरह ढक दिया गया है.

पेड़ को हरा-भरा, फलने फूलने के लिए कम से कम आसपास 2 फीट की जमीन कच्ची जरूर छोड़नी चाहिए. अगर सड़क बनाते समय इसका ध्यान नहीं रखा जा रहा है तो निश्चित तौर पर पेड़ों को मारने का ही काम किया जा रहा है. इससे पेड़ों की जिंदगी लगभग खत्म हो जाती है.
-नीरज श्रीवास्तव, पर्यावरणविद

जब ईटीवी भारत ने संबंधित विभाग से इस पर प्रतिक्रिया लेनी चाही तो विभाग के अधिकारी बगलें झांकते नजर आए. कैमरे से इतर उन्होंने यह जरूर माना कि सड़क बनाते समय यह गलती हुई है. जल्द ही पेड़ों के आसपास खोदाई कराकर सड़क काटकर कच्ची जगह छोड़ी जाएगी.

Intro:करोड़ों पौधे रोप रिकॉर्ड बना रही सरकार तो सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को मार भी रही सरकार

लखनऊ। एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार राजधानी समेत प्रदेश भर में करोड़ों पौधे रोप कर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम कर रही है, वहीं दूसरी तरफ जिन पौधों को पेड़ बनने में सैकड़ों साल लग गए उन पेड़ों को मारने का काम भी सरकार ही कर रही है। राजधानी के वीवीआईपी इलाकों में ऐसे पेड़ लगे हैं जिनको सड़क बनाते समय पूरी तरह ढक दिया गया है। उनमें न ही बारिश का पानी जा पा रहा है और न ही धूप का संचार हो पा रहा है, ऐसे में पौधों की जिंदगी खत्म हो रही है।


Body:एक तरफ सरकार ने अगस्त क्रांति के अवसर पर नौ अगस्त को प्रदेश भर में 22 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम कर लिया। लेकिन पुराने पेड़ों का रखरखाव करने में कोई दिलचस्पी सरकार दिखा ही नहीं रही है। राजधानी के जिस इलाके में सैकड़ों साल पुराने पेड़ लगे हुए हैं वह रास्ता मुख्यमंत्री आवास से कुछ ही दूरी पर स्थित है। सड़क के किनारे लगे इन पेड़ों को संबंधित विभाग ने सड़क बनाते समय पूरी तरह से सीमेंटेड कर दिया है। पेड़ के आसपास तिल भर भी कच्ची जमीन नहीं छोड़ी है जिससे बारिश का पानी या फिर धूप अंदर तक जा सके और पेड़ हरे-भरे रह सकें, इनकी जिंदगी खत्म न हो। जानकार बताते हैं कि कम से कम पेड़ को हरा-भरा, फलने फूलने के लिए आसपास 2 फीट की जमीन कच्ची जरूर छोड़नी चाहिए। अगर सड़क बनाते समय इसका ध्यान नहीं रखा जा रहा है तो निश्चित तौर पर पेड़ों को मारने का ही काम किया जा रहा है। सिर्फ वीवीआईपी रोड पर ही ऐसे पेड़ नहीं हैं। एनेक्सी के सामने और शहर के तमाम इलाकों में ऐसे पेड़ लगे हैं जो काफी पुराने हो चुके हैं, लेकिन सड़क बनाते समय इनकी जड़ों को पूरी तरह सड़क के आगोश में ले लिया गया है। जिससे इनकी जिंदगी लगभग खत्म होती जा रही है। जब ईटीवी भारत ने संबंधित विभाग से इस पर प्रतिक्रिया लेनी चाही तो विभाग के अधिकारी बगलें झांकते नजर आए। कैमरे से इतर उन्होंने यह जरूर माना कि सड़क बनाते समय यह गलती हुई है। जल्द ही पेड़ों के आसपास खोदाई कराकर सड़क काटकर कच्ची जगह छोड़ी जाएगी जिससे पेड़ों को नुकसान न हो।

बाइट: नीरज श्रीवास्तव, पर्यावरणविद

पेड़ को हम गिवर कहते हैं। पेड़ हमें कुछ न कुछ देता ही रहता है। पेड़ की अपनी साइंस होती है। यह अपने अंदर पानी लेकर हमें अच्छा पर्यावरण देते हैं। पेड़ो को हमें बचा कर रखना चाहिए। सड़क बनाते समय आसपास सीमेंटेड करते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि कम से कम एक से डेढ़ फुट की जगह पेड़ के आसपास छोड़ी जानी चाहिए, जिसे थाला कहते हैं। इससे पेड़ की जिंदगी चलती रहेगी। इसका खास ख्याल रखा जाए।


Conclusion:अब सवाल ये उठता है कि सरकार एक तरफ करोड़ों रुपए खर्च कर करोड़ों नए पौधे लगाकर रिकॉर्ड तो बना रही है लेकिन इन पौधों में कितने पौधे पेड़ बन पाएंगे, इस पर भी ध्यान नहीं है, क्योंकि जब सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को खत्म किया जा रहा है उस पर ध्यान नहीं है तो भला पौधे से पेड़ बनने पर सरकार कितना ध्यान देगी, यह बड़ा सवाल है।
Last Updated : Aug 10, 2019, 3:29 PM IST
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