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NSUI के कार्यकर्ताओं ने कृषि कानूनों को लेकर सौंपा ज्ञापन - कृषि कानून का विरोध

राजधानी में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया. कार्यकर्ताओं ने हसनगंज थाना प्रभारी को इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा.

कृषि कानून को लेकर सौंपा ज्ञापन
कृषि कानून को लेकर सौंपा ज्ञापन
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Published : Jan 30, 2021, 5:05 PM IST

लखनऊ: एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष तारिक अहमद के नेतृत्व में शनिवार को कार्यकर्ताओं ने लखनऊ विश्वविद्यालय पहुचंकर कृषि कानून का विरोध कर किसान आंदोलन का समर्थन किया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने थाना प्रभारी हसनगंज को ज्ञापन भी सौंपा.

एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष तारिक अहमद ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में बनी हसनगंज पुलिस चौकी पर प्रभारी निरीक्षक को ज्ञापन सौंपा गया है. तारिक ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ कई महीनों से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. उन्होंने कहा कि एनएसयूआई कृषि कानूनों का विरोध कर किसान आंदोलन का समर्थन करता है.

विश्वविद्यालय के कई ऐसे छात्र-छात्राएं, जो किसान परिवार से संबंध रखते हैं. यह 6-7 दिनों में खत्म होने वाला आंदोलन नहीं है. सरकार को इसका हल निकालना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट भी कह रहा है कि इस तरह से प्रोटेस्ट नहीं चल सकता है, सरकार को भी इसमें फैसला लेना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर इस तरह से आंदोलन चलता रहा तो फाइनेंसियल स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाएगी और इसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ेगा.

लखनऊ: एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष तारिक अहमद के नेतृत्व में शनिवार को कार्यकर्ताओं ने लखनऊ विश्वविद्यालय पहुचंकर कृषि कानून का विरोध कर किसान आंदोलन का समर्थन किया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने थाना प्रभारी हसनगंज को ज्ञापन भी सौंपा.

एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष तारिक अहमद ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में बनी हसनगंज पुलिस चौकी पर प्रभारी निरीक्षक को ज्ञापन सौंपा गया है. तारिक ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ कई महीनों से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. उन्होंने कहा कि एनएसयूआई कृषि कानूनों का विरोध कर किसान आंदोलन का समर्थन करता है.

विश्वविद्यालय के कई ऐसे छात्र-छात्राएं, जो किसान परिवार से संबंध रखते हैं. यह 6-7 दिनों में खत्म होने वाला आंदोलन नहीं है. सरकार को इसका हल निकालना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट भी कह रहा है कि इस तरह से प्रोटेस्ट नहीं चल सकता है, सरकार को भी इसमें फैसला लेना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर इस तरह से आंदोलन चलता रहा तो फाइनेंसियल स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाएगी और इसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ेगा.

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