लखनऊः राजधानी के अस्पतालों में बच्चों के सभी प्रकार के टीकाकरण वर्तमान समय में बंद है. बहुत सारे टीकाकरण होते हैं जो बच्चे के पैदा होने के बाद उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए लगाया जाता है. जिसमें बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी और ओरल पोलियो ड्रॉप शामिल है. आईआईटी दिल्ली ने कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर ने 2 प्रतिशत बच्चों पर असर डाला. लेकिन कोरोना की तीसरी लहर जो कि अगस्त से अक्टूबर के बीच में आने की आशंका है. उसमें बच्चों के ऊपर अधिक प्रभाव पड़ेगा.
ऐसी स्थिति में अगर बच्चों को सामान्य टीकाकरण नहीं लगेगा तो बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमजोर रहेगी. लोहिया अस्पताल के पीडियाट्रिक डॉ. श्रीकेश सिंह बताते हैं कि जनपद में सिर्फ एक महीने में तकरीबन 8,000 बच्चों को सामान्य बीमारियों की वैक्सीन लगती हैं. हालांकि साल 2020 से अस्पतालों में सामान्य टीकाकरण बंद रहे हैं.
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नवजात को टीकाकरण जरूरी
केजीएमयू पीडियाट्रिक जेडी रावत बताते हैं कि नवजात शिशु के लिए शुरुआती टीकाकरण बहुत ज्यादा जरूरी होता है. उन्होंने बताया कि बच्चों को लगने वाले टीके को समय से ही लगवाना चाहिए. 10 से 14 दिन की देरी चल सकती है. लेकिन 15 महीने के बाद ज्यादातर टीके बूस्टर्स होते हैं. इसका मतलब वे पहले से मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता को और बढ़ाते हैं. इनमें एक से दो महीने की देरी भी हो तो परेशानी नहीं होती है. जिले में पिछले साल मई से लेकर अक्टूबर तक टीकाकरण नहीं हुआ.
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बच्चों के लिए ये टीकाकरण हैं जरूरी
1- बच्चे के जन्म के एक महीने बाद बीसीजी हेपेटाइटिस बी और ओरल पोलियो ड्रॉप जरूरी है.
2- अगर बच्चा डेढ़ महीने का है तो पेंटा वैक्सीन वन, न्यूमोकोकल, रोटावायरस और आईपीवी वैक्सीन जरूरी हैं.
3- बच्चा ढाई महीने का है तो पेंटा वैक्सीन-टू, न्यूमोकोकल, रोटावायरस और आईपीवी जरूरी हैं.
4- बच्चा साढे 3 महीने का है तो पेंटा वैक्सीन-3, न्यूमोकोकल, रोटावायरस और आईपीवी जरूरी हैं.
5- नौवें महीने के बच्चे को एमआर वैक्सीन, विटामिन एक डोज और जेई का टीकाकरण होता हैं.
6- डेढ़ साल के बच्चे को डीपीटी का बूस्टर डोज, जेई और एमआर-टू वैक्सीन लगाई जाती हैं.
7- 4 साल के बच्चे को एमआर-टू , डीपीटी बूस्टर-टू की वैक्सीन लगाई जाती हैं.
8- 6 साल के बच्चे को डीपीटी बूस्टर-टू लगाई जाती हैं.
9- 10 से 17 साल के बच्चों को टेटनस टॉक्साइड और टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया की डोज दी जाती हैं.