लखनऊ: सत्ता में आते ही योगी सरकार ने शराब बंदी के बड़े-बड़े दावे किए थे. हालांकि इस मामले में लगातार पुलिस दबिश देकर अवैध शराब तस्करी पर लगाम भी लगा रही है, लेकिन इसके बावजूद अभी भी प्रदेश के तमाम जिलों में अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद निचले स्तर पर इस जानलेवा कारोबार पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है. यही वजह है कि अवैध शराब के चलते काफी लोगों की मौत हो जाती है.
घटनाएं होती हैं तो सक्रिय होते हैं अफसर
आबकारी विभाग के सूत्र बताते हैं कि जिलों में निचले स्तर पर पुलिस विभाग और आबकारी विभाग के ही कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है, जो कभी-कभार जानलेवा साबित होता है. अवैध शराब बनाते समय जब घटनाएं होती हैं, लोग मरते हैं, तब जाकर सरकार सख्त होती है और अभियान चलाती है.
इन घटनाओं में हुई हैं मौत
अवैध शराब पीने से यूपी के कई जिलों में काफी संख्या में लोगों की मौत हुई है. तीन साल के दौरान अवैध शराब पीने से सहारनपुर में 46 कुशीनगर में 11 और बरेली में पांच लोगों की मौत हुई है. इसी प्रकार कानपुर देहात में 9, कानपुर नगर के सचेंडी में सात, बाराबंकी में 16 और आजमगढ़ में 25 लोगों की मौत हो चुकी है. अभी इसी साल सितंबर में बागपत जिले में अवैध शराब पीने से 5 तो मेरठ में 3 लोगों की मौत हुई.
उप आबकारी आयुक्त जैनेंद्र उपाध्याय का कहना है कि अवैध शराब बिक्री और अवैध कारोबार के विरुद्ध विभाग की तरफ से लगातार अभियान चलाए जाते हैं. विशेष प्रवर्तन अभियान चलाकर पूरे प्रदेश में कार्रवाई की जाती है. आबकारी आयुक्त व शासन के निर्देशानुसार पिछले कुछ समय में चलाए गए अभियान में सितंबर महीने तक 32000 से अधिक छापेमारी की कार्रवाई की गई है. इसमें 5 हजार से अधिक मुकदमा पंजीकृत किए गए हैं और एक लाख लीटर से ज्यादा अवैध शराब हम लोगों ने जब्त की थी. इसके साथ ही 12 सौ से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 400 से अधिक लोगों को जेल भी भेजा गया है. विभाग की तरफ से लगातार कार्रवाई हो रही है और अवैध शराब कारोबार पर पूरी सख्ती की जा रही है.