लखनऊ: राजधानी में पिछले दिनों केजीएमयू और बलरामपुर अस्पताल में गरीब मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों के लिए रहने के लिए समुचित व्यवस्था की गई थी. इसके लिए केजीएमयू और बलरामपुर में रैन बसेरे का निर्माण कराया गया था, जिससे मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े. हालांकि यह रैन बसेरा अभी भी कार्यप्रगति के दौर से ही नहीं निकल पाया है.
केजीएमयू में साल भर बाद भी नहीं शुरू हों पाया रैन बसेरा
- स्वास्थ्य विभाग अभी भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा.
- राजनाथ सिंह ने केजीएमयू में मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को बेहतर सेवाएं देने के लिए एक बेहतर कदम उठाए गया था.
- केजीएमयू के अंदर ही शताब्दी के पास रैन बसेरे का निर्माण कराया गया था.
- रैन बसेरे का उद्घाटन भी करा दिया गया था, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.
- ट्रामा सेंटर के बाहर बने पुराने रैन बसेरे के हालात तो बद से बदतर है.
- इस ठंड में मरीजों के साथ आने वाले तीमारदार किसी तरह ठंड से खुद को बचाकर वहां पर समय बिता रहे हैं.
- केजीएमयू प्रशासन इस पूरे मामले में अपनी आंखें मूंदे बैठा हुआ है.
- हालांकि नया रैन बसेरा मरीजों की साथ आने वाले तीमारदारों को नहीं मिल पा रहा है.
- इसके कारण तीमारदारों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा.
- केजीएमयू प्रशासन ने बातचीत में बताया कि व्यवस्था को जल्द दुरुस्त कर लिया जाएगा.
- मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों की दिक्कतों को दूर किया जाएगा.
बलरामपुर अस्पताल मे रैन बसेरा की कार्य गति धीमी
बलरामपुर अस्पताल में न्यू बिल्डिंग के सामने बने रैन बसेरे को तोड़ दिया गया है. अस्पताल के न्यू बिल्डिंग के नीचे एक कमरे का रैन बसेरा बना दिया गया. उस कमरे की हालत यह है कि वह संक्रमण को दावत दे रहा है. अस्पताल में आ रहे तीमारदार मजबूरन खुले में सोने को मजबूर हैं. टूटे हुए रैन बसेरे की जगह पर स्मार्ट सिटी के तहत नए रैन बसेरे बनाने की व्यवस्था शुरू की गई. छह से 8 महीने गुजर जाने के बाद भी इस रैन बसेरे की न्यू तक नहीं रखी जा सकी है. बलरामपुर अस्पताल के प्रशासन ने लापरवाही का ठीकरा कार्यदाई संस्था पर फोड़ दिया.
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