नई दिल्ली: यूपी में शबनम एवं सलीम को फांसी देने की चल रही तैयारी के बीच इसे लेकर निर्भया के दोषियों के अधिवक्ता एपी सिंह ने महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने आजाद भारत में पहली बार होने जा रही महिला की फांसी को दुखद बताया है. उनका कहना है कि फांसी किसी समस्या का समाधान नहीं है. इससे अपराध कम नहीं होता है इसलिए उन्हें फांसी की जगह सुधार का मौका दिया जाना चाहिए.
'शबनम की फांसी से नहीं खत्म होगा अपराध'
अधिवक्ता एपी सिंह की तरफ से कहा गया है कि शबनम को फांसी देकर इस तरह के अपराध को खत्म नहीं किया जा सकता. अपराध खत्म करने के लिए अपराधी को खत्म करने से कुछ नहीं होगा. अपराधी को सुधारने का काम किया जाना चाहिए. जेल को सुधार गृह बनाने की जगह फांसी घर नहीं बनाना चाहिए. फांसी की सजा केवल आतंकवाद के दोषियों के लिए होनी चाहिए. 100 से अधिक देशों में फांसी की सजा खत्म हो चुकी है. यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिद्धांत के खिलाफ है क्योंकि यह हिंसा है.
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99 दोषी छूट जाएं पर एक निर्दोष को नहीं मिले सजा
अधिवक्ता एपी सिंह के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय का मानना है कि भले ही 99 गुनाहगार छूट जाएं, लेकिन एक बेगुनाह को सजा नहीं मिलनी चाहिए. यह मामला भी ऐसा हो सकता है. जिस तरह से जांच की जाती है. आरोपपत्र दाखिल होते हैं. साक्ष्य रखे जाते हैं. अदालत में कई बार ठीक से सुनवाई नहीं होती है. कई बार आरोपी की बात पूरी तरह से नहीं रखी जाती है. उन्होंने कहा है कि ऐसे में क्या किसी को फांसी देना उचित है. शबनम मामले में भी मुख्यमंत्री और राज्यपाल को विचार करना चाहिए.
बेटे का क्या है दोष, मिलनी चाहिए माफी
अधिवक्ता एपी सिंह का कहना है कि शबनम के बेटे ने राज्यपाल के पास दया याचिका लगाई है. इस प्रकरण में उस बच्चे का कोई दोष नहीं है जिसे अनाथ बनाने का काम किया जा रहा है. यह संभव है कि बेटे के प्यार से शबनम का जीवन बदल जाये. ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को शबनम एवं सलीम की याचिका पर खुले दिल से सुनवाई करनी चाहिए. उनका मानना है कि इन्हें फांसी की सजा नहीं होनी चाहिए.