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यूपी में अब बायोमेडिकल वेस्ट की तर्ज पर होगा एक्सपायर दवाओं का खात्मा

मेडिकल कचरे को लेकर एनजीटी ने सख्त हिदायत दी है. वहीं सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने भी गाइड लाइन तय की है. राज्य के सरकारी अस्पतालों के बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण निजी कंपनी कर रही हैं. वहीं एक्सपायर दवाओं के निस्तारण के लिए अभी कोई ठोस प्रबंध नहीं है.

एक्सपायर दवाओं का खात्मा
एक्सपायर दवाओं का खात्मा
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Published : Oct 27, 2021, 6:18 PM IST

लखनऊ: यूपी में एक्सपायर दवाओं (expired medicines) का निस्तारण नियम के तहत होगा. इसमें पर्यावरण और प्रदूषण के मानकों का ध्यान रखा जाएगा. लिहाजा, राज्य में अब एक्सपायर हो चुकी दवाओं को सीवर व खुले में फेंकने पर पाबंदी होगी.उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कॉरपोरेशन ने ऐसी दवाओं के निस्तारण के लिए एजेंसी तय करेगा.

दरअसल, मेडिकल कचरे को लेकर एनजीटी (ngt) ने सख्त हिदायत दी है. वहीं सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने भी गाइड लाइन तय की है. राज्य के सरकारी अस्पतालों के बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण निजी कंपनी कर रही हैं. वहीं एक्सपायर दवाओं के निस्तारण के लिए अभी कोई ठोस प्रबंध नहीं है. ऐसे में कहीं नाली में तो कहीं सीवर में एक्सपायर दवा बहा दी जाती हैं. वहीं कई अस्पतालों द्वारा खुले में दवा जलाने और फेंकने के मामले सामने आते हैं.ऐसे में सरकार ने एक्सपायर दवा निस्तारण के लिए ठोस नीति बना ली है. यूपी में अब इसे कड़ाई से लागू किया जाएगा.

कंपनी चयन के लिये टेंडर जारी
कॉरपोरेशन की एमडी कंचन वर्मा के मुताबिक, एक्सपायर दवाओं का निस्तारण अब नियमों के तहत होगा. ऐसे में सीपीसीबी के मानकों को पूरा करने वाली एंजेसी-फर्म को जिम्मेदारी दी जाएगी. इसके लिए टेंडर 11 अक्टूबर को जारी कर दिया गया. 27 अक्टूबर इसकी अंतिम तिथि है. यह एजेंसी एक्सपायर दवाओं को ले जाएंगी.उसका ट्रीटमेंट कर निस्तारण करेंगी. हर जिला अस्पताल में करीब 295 किस्म की दवाएं भेजी जाती हैं.

डेढ़ साल पहले बना ड्रग कॉरपोरेशन
एमडी कंचन वर्मा के मुताबिक, उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कॉरपोरेशन का गठन करीब डेढ़ वर्ष पहले हुआ. इसका दवा आदि खरीद के लिए 500 करोड़ का सालाना बजट है. वेयर हाउस में एक्सपायर दवा के लियर अलग स्टोर बनाया गया है.

एक्सपायरी डेट का क्या है मतलब
यदि आप कोई दवाई खरीदते हैं. उसकी पैकिंग पर आपको दो तारीखें दिखाई देंगी. पहली तारीख मैन्यूफैक्चरिंग की होगी, वहीं दूसरी तारीख एक्सपायरी की होगी. मैन्यूफैक्चरिंग डेट वह तारीख होती है जिस दिन उस दवा को बनाया जाता है. वहीं दूसरी ओर एक्सपायरी डेट उस तारीख को कहा जाता है, जिसके बाद दवा निर्माता की दवा की सुरक्षा और असर की गारंटी खत्म हो जाती है. इसके बाद कई दवाओं में रासायनिक बदलाव भी हो जाते हैं. ऐसे में विशेषज्ञ दवाओं को खुले या सीवर में फेंकने को घातक बताते हैं.यह जीव-जंतुओं के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी नुकसान देह है.

लखनऊ: यूपी में एक्सपायर दवाओं (expired medicines) का निस्तारण नियम के तहत होगा. इसमें पर्यावरण और प्रदूषण के मानकों का ध्यान रखा जाएगा. लिहाजा, राज्य में अब एक्सपायर हो चुकी दवाओं को सीवर व खुले में फेंकने पर पाबंदी होगी.उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कॉरपोरेशन ने ऐसी दवाओं के निस्तारण के लिए एजेंसी तय करेगा.

दरअसल, मेडिकल कचरे को लेकर एनजीटी (ngt) ने सख्त हिदायत दी है. वहीं सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने भी गाइड लाइन तय की है. राज्य के सरकारी अस्पतालों के बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण निजी कंपनी कर रही हैं. वहीं एक्सपायर दवाओं के निस्तारण के लिए अभी कोई ठोस प्रबंध नहीं है. ऐसे में कहीं नाली में तो कहीं सीवर में एक्सपायर दवा बहा दी जाती हैं. वहीं कई अस्पतालों द्वारा खुले में दवा जलाने और फेंकने के मामले सामने आते हैं.ऐसे में सरकार ने एक्सपायर दवा निस्तारण के लिए ठोस नीति बना ली है. यूपी में अब इसे कड़ाई से लागू किया जाएगा.

कंपनी चयन के लिये टेंडर जारी
कॉरपोरेशन की एमडी कंचन वर्मा के मुताबिक, एक्सपायर दवाओं का निस्तारण अब नियमों के तहत होगा. ऐसे में सीपीसीबी के मानकों को पूरा करने वाली एंजेसी-फर्म को जिम्मेदारी दी जाएगी. इसके लिए टेंडर 11 अक्टूबर को जारी कर दिया गया. 27 अक्टूबर इसकी अंतिम तिथि है. यह एजेंसी एक्सपायर दवाओं को ले जाएंगी.उसका ट्रीटमेंट कर निस्तारण करेंगी. हर जिला अस्पताल में करीब 295 किस्म की दवाएं भेजी जाती हैं.

डेढ़ साल पहले बना ड्रग कॉरपोरेशन
एमडी कंचन वर्मा के मुताबिक, उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कॉरपोरेशन का गठन करीब डेढ़ वर्ष पहले हुआ. इसका दवा आदि खरीद के लिए 500 करोड़ का सालाना बजट है. वेयर हाउस में एक्सपायर दवा के लियर अलग स्टोर बनाया गया है.

एक्सपायरी डेट का क्या है मतलब
यदि आप कोई दवाई खरीदते हैं. उसकी पैकिंग पर आपको दो तारीखें दिखाई देंगी. पहली तारीख मैन्यूफैक्चरिंग की होगी, वहीं दूसरी तारीख एक्सपायरी की होगी. मैन्यूफैक्चरिंग डेट वह तारीख होती है जिस दिन उस दवा को बनाया जाता है. वहीं दूसरी ओर एक्सपायरी डेट उस तारीख को कहा जाता है, जिसके बाद दवा निर्माता की दवा की सुरक्षा और असर की गारंटी खत्म हो जाती है. इसके बाद कई दवाओं में रासायनिक बदलाव भी हो जाते हैं. ऐसे में विशेषज्ञ दवाओं को खुले या सीवर में फेंकने को घातक बताते हैं.यह जीव-जंतुओं के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी नुकसान देह है.

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