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69,000 शिक्षक भर्ती रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में नई याचिका दाखिल

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद की 69,000 शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद एक नई याचिका दायर की गई है. 2 अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से भर्ती को रद्द किए जाने की गुहार लगाई है.

69000 शिक्षक भर्ती रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में नई याचिका दाखिल
69000 शिक्षक भर्ती रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में नई याचिका दाखिल
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Published : Jun 18, 2020, 7:29 PM IST

लखनऊ: बेसिक शिक्षा परिषद की 69,000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और धांधली उजागर होने के बाद 2 अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से गुहार लगाई है. इनका कहना है कि भ्रष्टाचार की वजह से भर्ती प्रक्रिया शुचिता पूर्ण नहीं रह गई है, इसलिए ऐसे में इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए.

बेसिक शिक्षा परिषद की 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में धांधली और भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की गई है. दरअसल एसटीएफ की शुरुआती जांच में मिले सबूत के आधार पर भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दो अभ्यर्थियों अजय कुमार ओझा और उदयभान चौधरी ने की है. याचीगण की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि 06 जनवरी 2019 को बेसिक शिक्षा परिषद में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा होने के बाद से इस परीक्षा का पेपर लीक होने के संबंध में अनेकों मुकदमे दर्ज हुए हैं. इनमें परीक्षा के दिन 06 जनवरी 2019 को ही पेपर लीक के संबंध में एक मुकदमा एसटीएफ द्वारा थाना हजरतगंज, लखनऊ तथा प्रयागराज के नैनी व कर्नलगंज तथा मिर्जापुर के महिला थाना में केंद्र अधीक्षकों द्वारा दर्ज कराया गया है.

इसके अलावा 04 जून 2020 को सोरांव, प्रयागराज में परीक्षा में गड़बड़ी के संबंध में मुकदमा दर्ज हुआ है, जिसकी विवेचना एसटीएफ को दी गई है. एसटीएफ की शुरुआती जांच में ही इस तरह के सुबूत मिले हैं कि भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और धांधली की गई है. उन्होंने कहा कि याचिका में व्यापक स्तर पर पर्चा लीक होने के कारण परीक्षा को निरस्त करने तथा एसटीएफ पर सरकार के दवाब में काम करने के आधार पर सीबीआई जांच कराए जाने की प्रार्थना की गई है. याचीगणों ने हाईकोर्ट से गुजारिश की है कि मौजूदा हालात में परीक्षा की शुचिता संदिग्ध हो चुकी है. इससे हजारों परीक्षार्थियों के अधिकारों का हनन हुआ है. ऐसे में योग्य अभ्यर्थियों को अवसर देने और भ्रष्टाचारी व्यवस्था पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है कि परीक्षा को रद्द किया जाए और पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए.

बेसिक शिक्षा परिषद में 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद इसे रोका गया था. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्थगन आदेश में बाधा बना हुआ है. हालांकि प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मॉडिफाई कराने के लिए याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्थगन आदेश के तहत 14 जुलाई तक काउंसलिंग को सीमित कर दिया है. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह केवल उन्हीं पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी रख सकती है जो शिक्षामित्रों के कोटे में शामिल नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 37,343 सहायक शिक्षक पदों को छोड़कर सरकार को भर्ती प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया है. लेकिन सरकार अब सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार कर रही है.

लखनऊ: बेसिक शिक्षा परिषद की 69,000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और धांधली उजागर होने के बाद 2 अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से गुहार लगाई है. इनका कहना है कि भ्रष्टाचार की वजह से भर्ती प्रक्रिया शुचिता पूर्ण नहीं रह गई है, इसलिए ऐसे में इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए.

बेसिक शिक्षा परिषद की 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में धांधली और भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की गई है. दरअसल एसटीएफ की शुरुआती जांच में मिले सबूत के आधार पर भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दो अभ्यर्थियों अजय कुमार ओझा और उदयभान चौधरी ने की है. याचीगण की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि 06 जनवरी 2019 को बेसिक शिक्षा परिषद में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा होने के बाद से इस परीक्षा का पेपर लीक होने के संबंध में अनेकों मुकदमे दर्ज हुए हैं. इनमें परीक्षा के दिन 06 जनवरी 2019 को ही पेपर लीक के संबंध में एक मुकदमा एसटीएफ द्वारा थाना हजरतगंज, लखनऊ तथा प्रयागराज के नैनी व कर्नलगंज तथा मिर्जापुर के महिला थाना में केंद्र अधीक्षकों द्वारा दर्ज कराया गया है.

इसके अलावा 04 जून 2020 को सोरांव, प्रयागराज में परीक्षा में गड़बड़ी के संबंध में मुकदमा दर्ज हुआ है, जिसकी विवेचना एसटीएफ को दी गई है. एसटीएफ की शुरुआती जांच में ही इस तरह के सुबूत मिले हैं कि भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और धांधली की गई है. उन्होंने कहा कि याचिका में व्यापक स्तर पर पर्चा लीक होने के कारण परीक्षा को निरस्त करने तथा एसटीएफ पर सरकार के दवाब में काम करने के आधार पर सीबीआई जांच कराए जाने की प्रार्थना की गई है. याचीगणों ने हाईकोर्ट से गुजारिश की है कि मौजूदा हालात में परीक्षा की शुचिता संदिग्ध हो चुकी है. इससे हजारों परीक्षार्थियों के अधिकारों का हनन हुआ है. ऐसे में योग्य अभ्यर्थियों को अवसर देने और भ्रष्टाचारी व्यवस्था पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है कि परीक्षा को रद्द किया जाए और पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए.

बेसिक शिक्षा परिषद में 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद इसे रोका गया था. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्थगन आदेश में बाधा बना हुआ है. हालांकि प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मॉडिफाई कराने के लिए याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्थगन आदेश के तहत 14 जुलाई तक काउंसलिंग को सीमित कर दिया है. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह केवल उन्हीं पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी रख सकती है जो शिक्षामित्रों के कोटे में शामिल नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 37,343 सहायक शिक्षक पदों को छोड़कर सरकार को भर्ती प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया है. लेकिन सरकार अब सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार कर रही है.

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