लखनऊ: प्रदेश भर में 15 नवम्बर से 'नवजात शिशु देखभाल सप्ताह’ मनाया जा रहा है. यह शिशु देखभाल सप्ताह 21 नवम्बर तक मनाया जायेगा. प्रदेश की मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अपर्णा उपाध्याय ने जानकारी दी है कि भारत सरकार द्वारा जारी एस.आर.एस. 2018 की रिपोर्ट के अनुसार उ0प्र0 की शिशु मृत्यु दर 43 प्रति 1000 जीवित जन्म है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह सूचकांक 32 प्रति 1000 जीवित जन्म है. उन्होंने बताया कि यह सप्ताह मनाने का मुख्य उद्देश्य जन समुदाय को जागरूक कर नवजात शिशु की मृत्यु दर में कमी लाना है.
महिला अस्पतालों में हुए आयोजन
इस अवसर पर जिले के वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय (डफरिन) में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें नवजात शिशु की देखभाल संबंधी जानकारी दी गई. विशेष रूप से 25 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों की विशेष देखभाल की जानकारियां प्रदान की गई. चिकित्सालय की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. सुधा वर्मा ने कार्यक्रम में बताया कि प्रसव चिकित्सालय में ही करायें तथा उचित देखभाल के लिए मां और शिशु को 48 घंटे तक अस्पताल में रखें, जिससे तत्काल आवश्यक सभी टीकाकरण तथा जरूरी देखभाल हो सके.
उन्होंने कहा जन्म उपरान्त शिशु को तुरन्त नहलायें नहीं बल्कि शरीर पोंछ कर साफ कपड़े पहनायें और बच्चे के शरीर को सूखा, साफ और गर्म रखें जिससे उसे किसी प्रकार का संक्रमण न हो सके. उन्होंने शिशु की नाभि को विशेष रूप से साफ और सूखा रखने की आवश्यकता बताते हुये नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराने पर भी जोर दिया. कम वजन के जन्में शिशुओं की विशेष देखभाल की चर्चा करते हुए उन्होंने देखभाल के लिए ‘कंगारू मदर केयर’ विधि अपनाने को कहा.
कहा इन बातों का रखें खास ख्याल
इस अवसर पर अस्पताल परिसर में नवजात शिशु देखभाल संबंधी बैनर, छह माह तक शिशु को केवल मां का दूध पिलाने, जन्म के 01 घंटे के भीतर मां का दूध पिलाने तथा देखभाल संबंधी विविध जानकारियां प्रदर्शित की गईं. अस्पताल में आईं गर्भवती महिलाओं, माताओं सहित बड़ी संख्या में लोगों ने जानकारी प्राप्त की. कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. सीमा श्रीवास्तव, बालरोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान सहित चिकित्सालय के अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों, चिकित्साकर्मियों द्वारा प्रतिभाग किया गया.
प्रदेश में 21 नवम्बर तक मनाया जा रहा है ‘नवजात शिशु देखभाल सप्ताह'
उत्तर प्रदेश में 15 नवंबर से 21 नवंबर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जा रहा है. इस कार्यक्रम में नवजात शिशु की देखभाल संबंधी जानकारी दी जा रही है. इस अवसर पर लखनऊ के वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय (डफरिन) में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया.
लखनऊ: प्रदेश भर में 15 नवम्बर से 'नवजात शिशु देखभाल सप्ताह’ मनाया जा रहा है. यह शिशु देखभाल सप्ताह 21 नवम्बर तक मनाया जायेगा. प्रदेश की मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अपर्णा उपाध्याय ने जानकारी दी है कि भारत सरकार द्वारा जारी एस.आर.एस. 2018 की रिपोर्ट के अनुसार उ0प्र0 की शिशु मृत्यु दर 43 प्रति 1000 जीवित जन्म है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह सूचकांक 32 प्रति 1000 जीवित जन्म है. उन्होंने बताया कि यह सप्ताह मनाने का मुख्य उद्देश्य जन समुदाय को जागरूक कर नवजात शिशु की मृत्यु दर में कमी लाना है.
महिला अस्पतालों में हुए आयोजन
इस अवसर पर जिले के वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय (डफरिन) में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें नवजात शिशु की देखभाल संबंधी जानकारी दी गई. विशेष रूप से 25 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों की विशेष देखभाल की जानकारियां प्रदान की गई. चिकित्सालय की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. सुधा वर्मा ने कार्यक्रम में बताया कि प्रसव चिकित्सालय में ही करायें तथा उचित देखभाल के लिए मां और शिशु को 48 घंटे तक अस्पताल में रखें, जिससे तत्काल आवश्यक सभी टीकाकरण तथा जरूरी देखभाल हो सके.
उन्होंने कहा जन्म उपरान्त शिशु को तुरन्त नहलायें नहीं बल्कि शरीर पोंछ कर साफ कपड़े पहनायें और बच्चे के शरीर को सूखा, साफ और गर्म रखें जिससे उसे किसी प्रकार का संक्रमण न हो सके. उन्होंने शिशु की नाभि को विशेष रूप से साफ और सूखा रखने की आवश्यकता बताते हुये नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराने पर भी जोर दिया. कम वजन के जन्में शिशुओं की विशेष देखभाल की चर्चा करते हुए उन्होंने देखभाल के लिए ‘कंगारू मदर केयर’ विधि अपनाने को कहा.
कहा इन बातों का रखें खास ख्याल
इस अवसर पर अस्पताल परिसर में नवजात शिशु देखभाल संबंधी बैनर, छह माह तक शिशु को केवल मां का दूध पिलाने, जन्म के 01 घंटे के भीतर मां का दूध पिलाने तथा देखभाल संबंधी विविध जानकारियां प्रदर्शित की गईं. अस्पताल में आईं गर्भवती महिलाओं, माताओं सहित बड़ी संख्या में लोगों ने जानकारी प्राप्त की. कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. सीमा श्रीवास्तव, बालरोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान सहित चिकित्सालय के अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों, चिकित्साकर्मियों द्वारा प्रतिभाग किया गया.