लखनऊ : उत्तर प्रदेश में चल रहे नगर निगम और नगर निकाय के चुनाव में सभी पार्टियां जीत के लिए पूरा जोर लगा रही हैं. जहां नगर पालिका अध्यक्ष, चेयरमैन व मेयर प्रत्याशियों के लिए सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक रखी. वहीं वार्ड स्तर पर होने वाले पार्षदों के चुनाव में भी पार्टियों ने मजबूत कैंडिडेट उतारा है. इसके साथ ही वार्ड स्तर पर होने वाले पार्षदों के चुनाव में कुछ वार्ड ऐसे हैं जहां पर सभी राजनीतिक पार्टियों को अपने कोर एजेंडे से हटकर महिलाओं उनसे जुड़ी हुए मुद्दों व चीजों पर फोकस करना पड़ रहा है. पुराने लखनऊ के कई इलाकों सहित हैदरगंज द्वितीय वार्ड, सहादतगंज वार्ड, बालागंज वार्ड व आलमनगर वार्ड आदि में महिलाओं वोटर्स को रिझाने के लिए सभी पार्टियों का पार्षद उम्मीदवारों की ओर से पूरा जोर लगाया जा रहा है. इसका कारण यह है कि राजधानी के पुराने लखनऊ व जोन 6 में आने वाले सभी वार्ड में महिला वोटर्स की संख्या दूसरे जोन की संख्या में सबसे अधिक है. ऐसे में पार्षद पद के प्रत्याशी घर-घर जाकर महिलाओं व उनसे जुड़े हुए मुद्दों को उठा रहे हैं.
दूसरे जोन के मुकाबले जोन 6 में सबसे अधिक महिलाएं
नगर निकाय चुनाव के लिए जारी मतदाता सूची की अगर बात करें तो लखनऊ के सभी 8 जोन में से जोन 6 में सबसे अधिक महिला वोटर हैं. नगर निगम जोन 6 में 2 लाख 56 हजार 773 महिला वोटर्स है इसके बाद जो तीन का नंबर आता है. जहां पर 2 लाख 29 हजार 866 महिला वोटर है. सबसे कम महिला वोटर जोन 2 में 1 लाख 20 हजार 859 हैं. ऐसे में पुराने लखनऊ के अंतर्गत आने वाले सभी वार्ड में महिला वोटर्स को रिझाने के लिए प्रत्याशियों की ओर से उनसे जुड़े मुद्दों को उठाया जा रहा है. ऐसे में इस जोन में आने वाले वार्ड में पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार महिलाओं के मुद्दों को अनदेखी नहीं करना चाह रहे हैं.
जीत हार का फैसला तय करेंगी महिला वोटर
जोन 6 के अंतर्गत वार्ड हैदरगंज द्वितीय वार्ड, सहादतगंज वार्ड, बालागंज वार्ड, आलमनगर वार्ड, पारा वार्ड सहित कुल 22 वर्ड आते हैं. इस वर्ल्ड में कुल वोटर की संख्या 5 लाख 66 हजार 437 है. इस जोन में पुरुषों वोटर्स की संख्या 2 लाख 92 हजार 868 है. महिला वोटर्स की संख्या 2 लाख 56 लाख 773 है. ऐसे में चुनाव जानकारों का कहना है कि जोन 6 के 22 वार्ड में से कम से कम 15 वार्ड में महिला वोटर्स जीत हार का आंकड़ा तय करेंगी. कई वार्ड ऐसे हैं जहां पर महिला आरक्षित होने के बाद भी लोगों ने अपनी पत्नियों को वहां से चुनाव में उतार दिया है ताकि वह अपनी जीत सुनिश्चित कर सकें.
लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर व राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर संजय गुप्ता ने बताया कि अब चुनाव में जो मुद्दे होते हैं वह आम लोगों से जुड़े हुए हैं. अगर बात की जाए तो लोकसभा व विधानसभा से हटकर इन लोकल गवर्नमेंट के चुनाव में आम मुद्दों को सबसे अधिक जगह मिलता है. खासतौर पर पार्षद पदों के चुनाव में क्षेत्र की समस्या प्राथमिकता पर होती है. अब लोग अपनी चीजों को लेकर जागरूक हो गए हैं. ऐसे में जिन क्षेत्रों पर महिला वोटर्स की संख्या अधिक है, उम्मीदवार यह जानते हैं कि उनसे जुड़े मुद्दों को ही उठाकर वह जीत सकते हैं. इसीलिए इस बार के चुनाव में यह देखने को मिल रहा है कि वार्ड की साफ-सफाई, कूड़ा समय पर उठाने की व्यवस्था या फिर आसपास के रोड पर लगी लाइट को सही कराने जैसे छोटी-छोटी मुद्दे उठाए जाते हैं. ताकि इससे उस क्षेत्र के लोग विशेष तौर पर महिलाओं को जोड़ा जा सके, क्योंकि इसका सीधा जुड़ाव उनसे होता है. इसके अलावा महिलाएं सशक्त और जागरूक हो रही हैं. ऐसे में उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, व उनकी सुरक्षा से जुड़े हुए मुद्दे जैसे मुद्दे भी अब इन लोकल बॉडीज के चुनाव में हावी हो रहे हैं.
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