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सांसद वरुण गांधी ने 41 साल पुराना वीडियो शेयर कर जताई अपनी मंशा, सूबे में बिगाड़ सकते हैं पार्टी का खेल!

क्या सांसद वरुण गांधी अब भाजपा को अलविदा कहने वाले हैं, क्या वरुण अपने भाई राहुल गांधी या फिर बहन प्रियंका गांधी के संपर्क में हैं? ऐसे तमाम सवाल इन दिनों यूपी की सियासी गलियारों में तूल पकड़े हुए हैं और ऐसा इसलिए क्योंकि हर रोज वरुण गांधी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर सूबे की योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं.

सूबे में बिगाड़ सकते हैं पार्टी का खेल!
सूबे में बिगाड़ सकते हैं पार्टी का खेल!
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Published : Oct 17, 2021, 2:20 PM IST

लखनऊ: लखीमपुर हिंसा के बाद से ही पीलीभीत के भाजपा सांसद वरुण गांधी सूबे की योगी सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं. रोजना उनके ट्विटर से एक के बाद एक हो रहे हमलों को देख तो यही जान पड़ता है कि वे अब जल्द ही भाजपा को अलविदा कहेंगे. लेकिन क्या सच में वरुण ऐसा करेंगे. क्या वरुण अपने भाई राहुल गांधी या फिर बहन प्रियंका के संपर्क में हैं? ये सवाल इस लिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि जिस तरीके से वरुण योगी सरकार के खिलाफ आक्रमक हुए हैं उसे देख तो कोई भी यही अंदाजा लगाएगा.

वहीं, बीते 14 अक्टूबर को वरुण गांधी ने अपने ट्वीट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण का एक अंश साझा किया. साथ ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बड़े दिलवाला नेता करार दिया. इधर, उनके इस 41 साल पुराने वीडियो के साझा किए जाने और सूबे की योगी सरकार से जारी टकराव पर सियासी जानकार डॉ. ललित कुचालिया कहते हैं कि वरुण गांधी पिछले लंबे समय से उपेक्षा के शिकार हैं. उनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं है.

1980 में भाजपा के मुंबई अधिवेशन में अटल जी ने दिया था ये भाषण

बावजूद इसके उन्हें और उनकी सांसद मां मेनका गांधी को मोदी सरकार में कोई खास जगह नहीं मिली. इतना ही नहीं हाल ही में घोषित भाजपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से भी मेनका गांधी और वरुण गांधी के नाम को हटा दिया गया. लेकिन अब वरुण ने भी अपनी मंशा जता दी है कि अगर उन्हें अब भी इसी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है तो वे पार्टी को कई मोर्चे पर नुकसान पहुंचा सकते हैं.

इसे भी पढ़ें -अब UP में प्रशांत के बंधु पार लगाएंगे कांग्रेस की नैया, ऐसी है तैयारी

खैर, सांसद वरुण गांधी के तेवर इन दिनों बदले नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि उन्होंने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में अपनी ही सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. लेकिन डॉ. कुचालिया बताते हैं कि वरुण गांधी के इस व्यवहार को देख आप इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि आगे वे क्या करने वाले हैं या फिर भाजपा को लेकर उनके दिमाग में क्या चल रहा है.

उनका ऐसा व्यवहार पहली बार भी नहीं है. इससे पहले भी कई मौकों पर वे अपने ही दल के नेताओं का विरोध कर चुके हैं. इसी कड़ी में उन्होंने अब किसान आंदोलन और लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों को लेकर अपनी ही पार्टी पर हल्ला बोला है.

साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण का एक अंश सोशल मीडिया पर साझा करते हुए उन्होंने उन्हें बड़े दिलवाला नेता करार दिया और इशारों-इशारों में ही केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार पर निशाना भी साधा.

वीडियो में क्या है?

सांसद वरुण गांधी ने जो वीडियो शेयर किया है उसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक मंच से भाषण दे रहे हैं, जिसमें वे किसानों के दमन के खिलाफ आवाज बुलंद करते नजर आ रहे हैं. वीडियो में वाजपेयी जी को यह कहते हुए सुना जा सकता है, मैं सरकार को चेतावनी देना चाहता हूं. दमन के तरीके छोड़ दीजिए.

डराने की कोशिश मत कीजिए. किसान नहीं डरेगा. हम किसानों के आंदोलन का दलीय राजनीति के लिए उपयोग करना नहीं चाहते. लेकिन हम किसानों के उचित मांग का समर्थन करते हैं. अगर सरकार दमन करेगी, कानून का दुरुपयोग करेगी, शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की कोशिश करेगी तो किसानों के संघर्ष में कूदने में हम संकोच नहीं करेंगे. हम उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ेंगे.

अगर यूं ही जारी रहा वरुण का विरोध तो खतरे में पड़ सकती है CM योगी की अगली पारी!

दरअसल, ये वीडियो साल 1980 का है और तब वाजपेयी जी ने मुंबई में भाजपा के अधिवेशन में किसानों को लेकर उक्त बातें कही थीं. उन दिनों किसान फसलों के उचित दाम को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. माना जा रहा है कि इस वीडियो के जरिए सांसद वरुण गांधी ने किसानों के समर्थन में अपनी ही पार्टी को एक मजबूत संदेश दिया है.

खैर, इससे पहले लखीमपुर हिंसा वाक्या में वरुण गांधी ने ट्वीट किया था कि लखीमपुर हिंसा को हिंदू बनाम सिख की लड़ाई में बदलने की कोशिश की जा रही है. यह न केवल एक अनैतिक और झूठी कहानी है, बल्कि उन घावों को फिर से खोलना खतरनाक है, जिन्हें ठीक होने में एक पीढ़ी लग गई. हमें राष्ट्रीय एकता से ऊपर सियासी फायदे को नहीं रखना चाहिए.

पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से हटा दिया गया
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से हटा दिया गया

इतना ही नहीं उन्होंने लखीमपुर हिंसा की जिम्मेदारी तय किए जाने की बात कहते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को खुला पत्र भी लिखा था और इस पत्र के जरिए उक्त मामले की CBI से जांच कराने की भी मांग की थी.

बता दें कि पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी पिछले 17 सालों से भाजपा में हैं. कई मौकों पर वो विरोधी स्वर भी उठाते नजर आए हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि इसी कारण भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर भी कर दिया और उनके साथ ही उनकी मां मेनका गांधी के नाम को भी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से हटा दिया गया.

लखनऊ: लखीमपुर हिंसा के बाद से ही पीलीभीत के भाजपा सांसद वरुण गांधी सूबे की योगी सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं. रोजना उनके ट्विटर से एक के बाद एक हो रहे हमलों को देख तो यही जान पड़ता है कि वे अब जल्द ही भाजपा को अलविदा कहेंगे. लेकिन क्या सच में वरुण ऐसा करेंगे. क्या वरुण अपने भाई राहुल गांधी या फिर बहन प्रियंका के संपर्क में हैं? ये सवाल इस लिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि जिस तरीके से वरुण योगी सरकार के खिलाफ आक्रमक हुए हैं उसे देख तो कोई भी यही अंदाजा लगाएगा.

वहीं, बीते 14 अक्टूबर को वरुण गांधी ने अपने ट्वीट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण का एक अंश साझा किया. साथ ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बड़े दिलवाला नेता करार दिया. इधर, उनके इस 41 साल पुराने वीडियो के साझा किए जाने और सूबे की योगी सरकार से जारी टकराव पर सियासी जानकार डॉ. ललित कुचालिया कहते हैं कि वरुण गांधी पिछले लंबे समय से उपेक्षा के शिकार हैं. उनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं है.

1980 में भाजपा के मुंबई अधिवेशन में अटल जी ने दिया था ये भाषण

बावजूद इसके उन्हें और उनकी सांसद मां मेनका गांधी को मोदी सरकार में कोई खास जगह नहीं मिली. इतना ही नहीं हाल ही में घोषित भाजपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से भी मेनका गांधी और वरुण गांधी के नाम को हटा दिया गया. लेकिन अब वरुण ने भी अपनी मंशा जता दी है कि अगर उन्हें अब भी इसी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है तो वे पार्टी को कई मोर्चे पर नुकसान पहुंचा सकते हैं.

इसे भी पढ़ें -अब UP में प्रशांत के बंधु पार लगाएंगे कांग्रेस की नैया, ऐसी है तैयारी

खैर, सांसद वरुण गांधी के तेवर इन दिनों बदले नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि उन्होंने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में अपनी ही सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. लेकिन डॉ. कुचालिया बताते हैं कि वरुण गांधी के इस व्यवहार को देख आप इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि आगे वे क्या करने वाले हैं या फिर भाजपा को लेकर उनके दिमाग में क्या चल रहा है.

उनका ऐसा व्यवहार पहली बार भी नहीं है. इससे पहले भी कई मौकों पर वे अपने ही दल के नेताओं का विरोध कर चुके हैं. इसी कड़ी में उन्होंने अब किसान आंदोलन और लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसानों को लेकर अपनी ही पार्टी पर हल्ला बोला है.

साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण का एक अंश सोशल मीडिया पर साझा करते हुए उन्होंने उन्हें बड़े दिलवाला नेता करार दिया और इशारों-इशारों में ही केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार पर निशाना भी साधा.

वीडियो में क्या है?

सांसद वरुण गांधी ने जो वीडियो शेयर किया है उसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक मंच से भाषण दे रहे हैं, जिसमें वे किसानों के दमन के खिलाफ आवाज बुलंद करते नजर आ रहे हैं. वीडियो में वाजपेयी जी को यह कहते हुए सुना जा सकता है, मैं सरकार को चेतावनी देना चाहता हूं. दमन के तरीके छोड़ दीजिए.

डराने की कोशिश मत कीजिए. किसान नहीं डरेगा. हम किसानों के आंदोलन का दलीय राजनीति के लिए उपयोग करना नहीं चाहते. लेकिन हम किसानों के उचित मांग का समर्थन करते हैं. अगर सरकार दमन करेगी, कानून का दुरुपयोग करेगी, शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की कोशिश करेगी तो किसानों के संघर्ष में कूदने में हम संकोच नहीं करेंगे. हम उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ेंगे.

अगर यूं ही जारी रहा वरुण का विरोध तो खतरे में पड़ सकती है CM योगी की अगली पारी!

दरअसल, ये वीडियो साल 1980 का है और तब वाजपेयी जी ने मुंबई में भाजपा के अधिवेशन में किसानों को लेकर उक्त बातें कही थीं. उन दिनों किसान फसलों के उचित दाम को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. माना जा रहा है कि इस वीडियो के जरिए सांसद वरुण गांधी ने किसानों के समर्थन में अपनी ही पार्टी को एक मजबूत संदेश दिया है.

खैर, इससे पहले लखीमपुर हिंसा वाक्या में वरुण गांधी ने ट्वीट किया था कि लखीमपुर हिंसा को हिंदू बनाम सिख की लड़ाई में बदलने की कोशिश की जा रही है. यह न केवल एक अनैतिक और झूठी कहानी है, बल्कि उन घावों को फिर से खोलना खतरनाक है, जिन्हें ठीक होने में एक पीढ़ी लग गई. हमें राष्ट्रीय एकता से ऊपर सियासी फायदे को नहीं रखना चाहिए.

पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से हटा दिया गया
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से हटा दिया गया

इतना ही नहीं उन्होंने लखीमपुर हिंसा की जिम्मेदारी तय किए जाने की बात कहते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को खुला पत्र भी लिखा था और इस पत्र के जरिए उक्त मामले की CBI से जांच कराने की भी मांग की थी.

बता दें कि पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी पिछले 17 सालों से भाजपा में हैं. कई मौकों पर वो विरोधी स्वर भी उठाते नजर आए हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि इसी कारण भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर भी कर दिया और उनके साथ ही उनकी मां मेनका गांधी के नाम को भी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से हटा दिया गया.

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