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घर जाने की जंग! ठियोग से पैदल ही सहारनपुर के लिए निकले प्रवासी मजदूर

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Published : Mar 29, 2020, 8:57 PM IST

प्रवासी मजदूर का एक काफिला पैदल ही ठियोग से अपने घर सहारनपुर के लिए निकल पड़ा हैं जो रविवार को राजधानी शिमला पहुंचा. इस काफिले में करीब सात प्रवासी मजदूर शामिल हैं. मजदूरों का कहना है कि न उनके पास काम है और न खाने-पीने का कोई साधन. ऐसे में उन्होंने घर लौट जाने का फैसला लिया है.

ठियोग से पैदल ही सहारनपुर के लिए निकले प्रवासी मजदूर.
ठियोग से पैदल ही सहारनपुर के लिए निकले प्रवासी मजदूर.

शिमलाः कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन और हिमाचल में कर्फ्यू लगा हुआ है. लोगों को घर से बाहर न निकलने के निर्देश हैं, लेकिन सरकार का ये फैसला प्रदेश के उन प्रवासी मजदूरों पर भारी पड़ रहा है जो रोजी-रोटी कमाने के लिए यहां मजदूरी करने पहुंचे थे.

अब कोरोना के चलते न तो इनके पास काम है और न ही पेट भरने के लिए खाना, ऐसे में अब यह मजदूर बिना कुछ सोचे-समझे ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं. ऐसे ही कुछ प्रवासी मजदूर ठियोग से पैदल अपने घर सहारनपुर के लिए निकले हैं, जो रविवार को राजधानी शिमला पहुंचे और यहां से पैदल ही उनका कारवां आगे की ओर बढ़ रहा है.

ठियोग से पैदल ही सहारनपुर के लिए निकले प्रवासी मजदूर.

इस काफिले में करीब सात प्रवासी मजदूर शामिल हैं, जिन्होंने यह ठान लिया है कि यह पैदल ही अपने घर पहुंचेंगे और जहां-जहां मदद मिलेगी वे मदद लेकर जितना जल्द हो सके अपने घर पहुंचेंगे.

प्रवासी मजदूरों का कहना है कि एक हफ्ते तो जहां काम कर रहे थे उस मालिक ने खाने का प्रबंध किया, लेकिन इसके बाद उन्होंने भी यह कह दिया है कि आप लोग अपने घर जाएं. अब उनके पास कोई रास्ता नहीं है. घर वाले भी उन्हें यही कह रहे हैं कि अगर वहां काम नहीं है तो घर चले आओ, ऐसे में यहां भूखे मरने से तो बेहतर है कि वह पैदल ही अपने घरों की ओर निकल जाए.

हालांकि प्रदेश में कर्फ्यू लगा है, ऐसे में भी पुलिस प्रवासी मजदूरों की मदद कर रही है और इन मजदूरों को भी पुलिस ने ही फागू से वाहन के माध्यम से शिमला पहुंचाया है. प्रवासी मजदूरों ने कहा कि पुलिस ने उन्हें खाने के लिए भी पूछा और पैसों के लिए भी पूछा है. उन्हें उम्मीद है कि इसी तरह से उनका आगे का सफर भी कट जाएगा और वे अपने घर पहुंच जाएंगे.

मजदूरों का कहना है कि उन्होंने हेल्पलाइन नंबर पर भी संपर्क किया था लेकिन नंबर भी व्यस्त रहा, जिसकी वजह से वहां से भी मदद नहीं मिल पा रही है. उन्होंने बताया कि हफ्ते भर से ज्यादा का समय अपने घर पहुंचने में लगेगा, लेकिन वह घर पहुंच जाएंगे. जहां वह रात से अपने परिवार वालों के साथ रह सकेंगे. यहां उनके पास न तो काम है और न ही अब खाने-पीने का साधन है.

ये भी पढ़ें- भारत में कोरोना : मृतकों का आंकड़ा 25 तक पहुंचा, महाराष्ट्र में 12 नए मामले सामने आए

शिमलाः कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन और हिमाचल में कर्फ्यू लगा हुआ है. लोगों को घर से बाहर न निकलने के निर्देश हैं, लेकिन सरकार का ये फैसला प्रदेश के उन प्रवासी मजदूरों पर भारी पड़ रहा है जो रोजी-रोटी कमाने के लिए यहां मजदूरी करने पहुंचे थे.

अब कोरोना के चलते न तो इनके पास काम है और न ही पेट भरने के लिए खाना, ऐसे में अब यह मजदूर बिना कुछ सोचे-समझे ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं. ऐसे ही कुछ प्रवासी मजदूर ठियोग से पैदल अपने घर सहारनपुर के लिए निकले हैं, जो रविवार को राजधानी शिमला पहुंचे और यहां से पैदल ही उनका कारवां आगे की ओर बढ़ रहा है.

ठियोग से पैदल ही सहारनपुर के लिए निकले प्रवासी मजदूर.

इस काफिले में करीब सात प्रवासी मजदूर शामिल हैं, जिन्होंने यह ठान लिया है कि यह पैदल ही अपने घर पहुंचेंगे और जहां-जहां मदद मिलेगी वे मदद लेकर जितना जल्द हो सके अपने घर पहुंचेंगे.

प्रवासी मजदूरों का कहना है कि एक हफ्ते तो जहां काम कर रहे थे उस मालिक ने खाने का प्रबंध किया, लेकिन इसके बाद उन्होंने भी यह कह दिया है कि आप लोग अपने घर जाएं. अब उनके पास कोई रास्ता नहीं है. घर वाले भी उन्हें यही कह रहे हैं कि अगर वहां काम नहीं है तो घर चले आओ, ऐसे में यहां भूखे मरने से तो बेहतर है कि वह पैदल ही अपने घरों की ओर निकल जाए.

हालांकि प्रदेश में कर्फ्यू लगा है, ऐसे में भी पुलिस प्रवासी मजदूरों की मदद कर रही है और इन मजदूरों को भी पुलिस ने ही फागू से वाहन के माध्यम से शिमला पहुंचाया है. प्रवासी मजदूरों ने कहा कि पुलिस ने उन्हें खाने के लिए भी पूछा और पैसों के लिए भी पूछा है. उन्हें उम्मीद है कि इसी तरह से उनका आगे का सफर भी कट जाएगा और वे अपने घर पहुंच जाएंगे.

मजदूरों का कहना है कि उन्होंने हेल्पलाइन नंबर पर भी संपर्क किया था लेकिन नंबर भी व्यस्त रहा, जिसकी वजह से वहां से भी मदद नहीं मिल पा रही है. उन्होंने बताया कि हफ्ते भर से ज्यादा का समय अपने घर पहुंचने में लगेगा, लेकिन वह घर पहुंच जाएंगे. जहां वह रात से अपने परिवार वालों के साथ रह सकेंगे. यहां उनके पास न तो काम है और न ही अब खाने-पीने का साधन है.

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