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जीवाणु हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं: डॉ. दीप्ति त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सूक्ष्मजीवों पर काम करने वाली डॉक्टर दीप्ति त्रिपाठी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि इनको हम अपनी खुली आंखों से नहीं देख सकते हैं, लेकिन इनका संसार हमारे संसार के जितना ही बड़ा होता है. यह नुकसान भी पहुंचाते हैं और फायदा भी.

'माइक्रोबायोलॉजी
'माइक्रोबायोलॉजी
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Published : May 26, 2020, 6:53 PM IST

Updated : May 26, 2020, 6:59 PM IST

लखनऊ: आंखों से दिखने वाली दुनिया के अलावा ना दिखने वाली दुनिया भी हमारे साथ रहती है, जिन्हें हम सूक्ष्मजीवों का छिपा हुआ संसार कहते हैं. यह सूक्ष्मजीव (माइक्रो ऑर्गेनिज्म) हमारे लिए जितना फायदेमंद होते हैं, उससे कहीं ज्यादा खतरनाक भी हैं.

सूक्षम जीवों की दुनिया की जानकारी.

क्या है माइक्रो ऑर्गेनिज्म?
माइक्रो ऑर्गेनिज्म यानी सूक्ष्मजीव जो हमें अपनी आंखों से दिखाई नहीं देते हैं, जिन्हें देखने के लिए हम तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. इनके बारे में अध्ययन करने वाली विज्ञान की शाखा को 'माइक्रोबायोलॉजी' कहते हैं. इनके एक्सपर्ट्स को 'माइक्रोबायोलॉजिस्ट' कहते हैं. क्या होते हैं सूक्ष्मजीव? इंसानों के लिए कितना फायदेमंद और खतरनाक होते हैं. इन सभी सवालों के जवाब लेने ईटीवी भारत की टीम सूक्ष्मजीवों पर खोज करने वाले वैज्ञानिकों के पास पहुंची.


जीवाणु (माइक्रोब्स) हमारे जीवन का हिस्सा

ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए सूक्ष्मजीवों की एक्सपर्ट डॉ. दीप्ति त्रिपाठी ने बताया कि सूक्ष्मजीव यानी माइक्रोब्स हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होते हैं. यह फायदेमंद भी होते हैं और नुकसानदेह भी. इनको हम अपनी खुली आंखों से नहीं देख सकते हैं, लेकिन इनका संसार हमारे संसार के जितना ही बड़ा होता है. यह नुकसान भी पहुंचाते हैं और फायदा भी.

उन्होंने कहा कि दैनिक इस्तेमाल में आने वाली कई चीज हैं, जैसे दही, चाय की पत्ती आदि कई उत्पाद बनाने के लिए हम इन सूक्ष्मजीवों का इस्तेमाल करते हैं. इस वक्त सबसे बड़ी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस तेजी से फैल रही है. वहीं इसके अलावा और भी बहुत सी बीमारियां इन्हीं ना दिखने वाले सूक्ष्मजीवों के कारण फैलती हैं, जिनमें से सबसे बड़ी बीमारी भारत में ट्यूबरक्लोसिस है.

सूक्ष्मजीव हम इंसानों पर अलग-अलग तरह से और अलग-अलग शारीरिक अंगों पर अपना अटैक करते हैं. कोरोनावायरस की अगर बात की जाए तो वह हमारी श्वास नली में पाया जाता है. इसके इतर टीबी की बात करें तो वाह श्वास नली के साथ-साथ हमारे और भी अंगों को इनफेक्टेड करता है.

इसे भी पढ़ें:-वाराणसी: डिजाइनर फेस मास्क रखेंगे सुरक्षित और भीड़ में जुदा

इन सूक्ष्मजीवों से बचाव का तरीका सिर्फ जागरूकता ही है. हमें पूर्ण रूप से स्वच्छता का ध्यान देना होगा. साफ-सफाई व स्वच्छता ही एकमात्र जरिया है, जिससे हम इन सूक्ष्मजीवों से खुद का बचाव कर सकते हैं.
डॉ. दीप्ति त्रिपाठी, माइक्रोबायोलॉजिस्ट

लखनऊ: आंखों से दिखने वाली दुनिया के अलावा ना दिखने वाली दुनिया भी हमारे साथ रहती है, जिन्हें हम सूक्ष्मजीवों का छिपा हुआ संसार कहते हैं. यह सूक्ष्मजीव (माइक्रो ऑर्गेनिज्म) हमारे लिए जितना फायदेमंद होते हैं, उससे कहीं ज्यादा खतरनाक भी हैं.

सूक्षम जीवों की दुनिया की जानकारी.

क्या है माइक्रो ऑर्गेनिज्म?
माइक्रो ऑर्गेनिज्म यानी सूक्ष्मजीव जो हमें अपनी आंखों से दिखाई नहीं देते हैं, जिन्हें देखने के लिए हम तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. इनके बारे में अध्ययन करने वाली विज्ञान की शाखा को 'माइक्रोबायोलॉजी' कहते हैं. इनके एक्सपर्ट्स को 'माइक्रोबायोलॉजिस्ट' कहते हैं. क्या होते हैं सूक्ष्मजीव? इंसानों के लिए कितना फायदेमंद और खतरनाक होते हैं. इन सभी सवालों के जवाब लेने ईटीवी भारत की टीम सूक्ष्मजीवों पर खोज करने वाले वैज्ञानिकों के पास पहुंची.


जीवाणु (माइक्रोब्स) हमारे जीवन का हिस्सा

ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए सूक्ष्मजीवों की एक्सपर्ट डॉ. दीप्ति त्रिपाठी ने बताया कि सूक्ष्मजीव यानी माइक्रोब्स हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होते हैं. यह फायदेमंद भी होते हैं और नुकसानदेह भी. इनको हम अपनी खुली आंखों से नहीं देख सकते हैं, लेकिन इनका संसार हमारे संसार के जितना ही बड़ा होता है. यह नुकसान भी पहुंचाते हैं और फायदा भी.

उन्होंने कहा कि दैनिक इस्तेमाल में आने वाली कई चीज हैं, जैसे दही, चाय की पत्ती आदि कई उत्पाद बनाने के लिए हम इन सूक्ष्मजीवों का इस्तेमाल करते हैं. इस वक्त सबसे बड़ी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस तेजी से फैल रही है. वहीं इसके अलावा और भी बहुत सी बीमारियां इन्हीं ना दिखने वाले सूक्ष्मजीवों के कारण फैलती हैं, जिनमें से सबसे बड़ी बीमारी भारत में ट्यूबरक्लोसिस है.

सूक्ष्मजीव हम इंसानों पर अलग-अलग तरह से और अलग-अलग शारीरिक अंगों पर अपना अटैक करते हैं. कोरोनावायरस की अगर बात की जाए तो वह हमारी श्वास नली में पाया जाता है. इसके इतर टीबी की बात करें तो वाह श्वास नली के साथ-साथ हमारे और भी अंगों को इनफेक्टेड करता है.

इसे भी पढ़ें:-वाराणसी: डिजाइनर फेस मास्क रखेंगे सुरक्षित और भीड़ में जुदा

इन सूक्ष्मजीवों से बचाव का तरीका सिर्फ जागरूकता ही है. हमें पूर्ण रूप से स्वच्छता का ध्यान देना होगा. साफ-सफाई व स्वच्छता ही एकमात्र जरिया है, जिससे हम इन सूक्ष्मजीवों से खुद का बचाव कर सकते हैं.
डॉ. दीप्ति त्रिपाठी, माइक्रोबायोलॉजिस्ट

Last Updated : May 26, 2020, 6:59 PM IST
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