लखनऊ : मीठे फलों में खरबूजा किसानों की आय का अच्छा साधन है. इससे कम समय में किसानों को अच्छी आमदनी हो जाती है जहां गर्मियों में फलों की संख्या कम होने लगती है. वहीं खरबूजा अमीर और गरीब दोनों को खाने को मिलने लगता है. चंद्र भानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय की कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश में खरबूजे की खेती बहुतायत से की जाती है. बरगादाही अमावस्या के दिन विवाहित औरतें अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन इस फल की उपयोगिता बढ़ जाती है. इस फल को बरगादाही अमावस्या के दिन चढ़ाना उत्तम माना जाता है.
खरबूजा प्रमुख रूप से शांति दायक फलों की श्रेणी में आता है. इसके सेवन से हाइपरटेंशन की समस्या बिल्कुल नहीं रहती. यह फसल प्रमुख रूप से 90 से 100 दिन में तैयार होने वाली है. पूरे जून तक फल की उपलब्धता रहती है. खरबूजा प्रमुख रूप से स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक होता है. इसमें औषधीय गुण बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. खरबूजे में फैटी एसिड कैरोटीन अमीनो एसिड्स, मिथाइल एसिटेट इथाइल एसिटेट, इथेनॉल, इथाइल ब्यूटेन, बेंजाइल एसीटेट, फिनायल मिथाइल एसिटेट, बेंजाइल एल्कोहल तत्व पाए जाते हैं. खरबूजा अच्छा एंटीऑक्सीडेंट गुण रखने वाला फल है. इसमें एनाल्जेंसिक, एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण अधिक पाए जाते हैं. यह प्रमुख रूप से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है फीवर, ज्वाइंडिस, डायबिटिक, कफ एनीमिया तथा पेट संबंधी विकार को दूर करता है.
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ये फल ठंडे होते हैं और एक अच्छा क्लीनिंग एजेंट का काम करते है. प्रमुख रूप से इसका सेवन करते रहने से त्वचा संबंधी बीमारियां कम होती हैं. यह पेट संबंधी विकार को समाप्त करता है और अच्छा ज्वरनाशक एवं कृमि नाशक गुण रखता है. इस फल का लोशन बनाकर प्रयोग करने से पुराने और गंभीर एग्जिमा भी ठीक हो जाते हैं. गंभीर खांसी की बीमारी को दूर करने के लिए इसके बीज का पाउडर काफी प्रभावी होता है. खरबूजे में पाए जाने वाले अपने विशेष औषधीय गुणों के कारण यह थायराइड जैसी बीमारी को रोकने में अधिक लाभकारी है.
चंद्र भानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय की कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश में खरबूजे की खेती बहुतायत से की जाती है. बहुत पहले बख्शी का तालाब क्षेत्र खरबूजे में अपनी पहचान रखता था. पिछले दो दशक से बख्शी का तालाब से खरबूजा बिल्कुल गायब हो गया है. उन्होंने बताया इसके पीछे बड़ा कारण शहरीकरण और दूसरा सही और सफल प्रबंधन न होने से इसमें कीट एवं बीमारियों का अधिक प्रकोप होता है, जिस कारण किसानों ने इसकी खेती करनी छोड़ दी है. डॉ. सिंह ने बताया कि जन अभियान चलाकर इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जाएगा.
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