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ड्रग पोर्टल पर मोडिफिकेशन के लिए होने चाहिए सरल तरीके

लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन ने लखनऊ औषधि विभाग के सहयोग से एक कैम्प का आयोजन किया. इस दौरान संगठन के अध्यक्ष गिरिराज रस्तोगी, महामंत्री हरीश शाह और संगठन के समस्त वरिष्ठ पदाधिकारी और अमीनाबाद के दवा व्यापारी मौजूद रहे.

कैम्प का हुआ आयोजन
कैम्प का हुआ आयोजन
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Published : Mar 24, 2021, 11:44 PM IST

लखनऊ: लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन ने मंगलवार को अमीनाबाद स्थित संगठन के कार्यालय पर लखनऊ औषधि विभाग के सहयोग से एक कैम्प का आयोजन किया. इसका उद्घाटन मनोज गुप्ता सहायक औषधि आयुक्त एवं ड्रग लाइसेन्स अथॉरिटी, ड्रग इंस्पेक्टर बृजेश कुमार एवं ड्रग इंस्पेक्टर मधुरी सिंह ने किया. इस दौरान संगठन के अध्यक्ष गिरिराज रस्तोगी, महामंत्री हरीश शाह और संगठन के समस्त वरिष्ठ पदाधिकारी और अमीनाबाद के दवा व्यापारी मौजूद रहें.

यह भी पढ़ें: मजदूरों की लापरवाही से गिरी दीवार, बच्चा हुआ घायल

बार-बार न अपलोड करनी पड़े जानकारी

संगठन के अध्यक्ष गिरिराज रस्तोगी ने ड्रग पोर्टल पर आ रही विभिन्न परेशानियों के बारे में अधिकारियों को बताया. उन्होंने दवा के गोदाम के रेटेंशन के सन्दर्भ में अधिकारियों को सूचित किया. उन्होंने बताया कि गोदाम का लाइसेन्स दवा व्यापारियों के पास वर्षों से उपलब्ध है, लेकिन अब इसके रेटेंशन का समय आया है तो पोर्टल पर इसका कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है. व्यापारियों को दोबारा गोदाम के लिए नए लाइसेंस के लिए आवेदन करना पड़ता है. सारे संबंधित कागजात दोबारा पोर्टल पर अपलोड करने पड़ते हैंं. उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं होनी चाहिए.

मोडिफिकेशन के तरीके में थोड़े बदलाव की जरूरत

महामंत्री हरीश शाह ने कहा कि मोडिफिकेशन की प्रोसेस बहुत ही जटिल और लम्बी है. इसको सरल होना चाहिए. कागजात अपलोड करते वक्त किसी भी प्रकार की कठिनाई होने पर मोडिफिकेशन के लिए जानकारी डालनी पड़ती है. इसके बाद सहायक औषधि आयुक्त द्वारा मोडिफिकेशन का अवसर एक बार ही दिया जाता है, जबकि इस जटिल प्रक्रिया को सरल करना चाहिए. इसके कारण वर्षों से रेटेंशन की फाइलों का निस्तारण नहीं हो सका है.

ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी के स्तर पर हो सुधार

वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश कुमार ने कहा कि जिन दवा प्रतिस्ठान का पूर्व में ऑफलाइन अप्रूवल हो चुका है. उनका वर्तमान में नवीनीकरण के बाद लाइसेन्स की वैधता में विभिन्नता रहती है. पोर्टल में परेशानी की वजह से वैधता की अवधि ऑफलाइन अप्रूवल के दिनांक से हो रही है, जो बिल्कुल गलत है. इसकी वजह से दवा व्यापारियों को बैंक और दवा कम्पनियों से कार्य करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. उन्होनें अनुरोध किया है कि इस परेशानी को ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी के स्तर पर ही सुधार कर देना चाहिए.

डिलीट हो जाते हैं सर्टिफिकेट

रचित रस्तोगी वरष्ठि उपाध्यक्ष ने पोर्टल पर टेक्निकल पर्सन और कॉम्पिटेन्ट पर्सन से संबंधित कागजात अपलोड होने के बाद कभी-कभी सहायक औषधि अयुक्त के द्वारा पोर्टल पर जांच के समय यह सर्टिफिकेट नहीं दिखते है या डिलीट हो जाते हैं.

अपलोड नहीं हो रहा नवीनीकरण का चालान

उपाध्यक्ष कपिल सक्सेना ने बताया कि व्यापारियों का ऑनलाइन अपडेट होने के बावजूद नवीनीकरण का चालान अपलोड नहीं हो पा रहा है. अमित अग्रवाल संगठन मंत्री ने बताया कि चेन्ज ऑफ कॉन्सटिटूशन के लिए पोर्टल पर उपलब्ध कोई भी मान्य नहीं हो पा रहा. इसके कारण नए लाइसेन्स की प्रकिया करनी पड़ती है. यह अपडेट और संबंधित कागजात के बाद स्वयं हो जानी चाहिए. चेन्ज ऑफ कॉन्सटिट्यूशन का अचानक मृत्यु के बाद या स्थल परिवर्तन के समय इर्मेजेन्सी में आता है. इस कैम्प में दवा व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों के नवीनीकरण, गोदाम के नये लाइसेन्स, दवा प्रतिष्ठानों के नए लाइसेन्स, चेन्ज इन कॉन्सटिटूशन के लिए भी अपने-अपने आवेदन जमा किए.

लखनऊ: लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन ने मंगलवार को अमीनाबाद स्थित संगठन के कार्यालय पर लखनऊ औषधि विभाग के सहयोग से एक कैम्प का आयोजन किया. इसका उद्घाटन मनोज गुप्ता सहायक औषधि आयुक्त एवं ड्रग लाइसेन्स अथॉरिटी, ड्रग इंस्पेक्टर बृजेश कुमार एवं ड्रग इंस्पेक्टर मधुरी सिंह ने किया. इस दौरान संगठन के अध्यक्ष गिरिराज रस्तोगी, महामंत्री हरीश शाह और संगठन के समस्त वरिष्ठ पदाधिकारी और अमीनाबाद के दवा व्यापारी मौजूद रहें.

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बार-बार न अपलोड करनी पड़े जानकारी

संगठन के अध्यक्ष गिरिराज रस्तोगी ने ड्रग पोर्टल पर आ रही विभिन्न परेशानियों के बारे में अधिकारियों को बताया. उन्होंने दवा के गोदाम के रेटेंशन के सन्दर्भ में अधिकारियों को सूचित किया. उन्होंने बताया कि गोदाम का लाइसेन्स दवा व्यापारियों के पास वर्षों से उपलब्ध है, लेकिन अब इसके रेटेंशन का समय आया है तो पोर्टल पर इसका कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है. व्यापारियों को दोबारा गोदाम के लिए नए लाइसेंस के लिए आवेदन करना पड़ता है. सारे संबंधित कागजात दोबारा पोर्टल पर अपलोड करने पड़ते हैंं. उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं होनी चाहिए.

मोडिफिकेशन के तरीके में थोड़े बदलाव की जरूरत

महामंत्री हरीश शाह ने कहा कि मोडिफिकेशन की प्रोसेस बहुत ही जटिल और लम्बी है. इसको सरल होना चाहिए. कागजात अपलोड करते वक्त किसी भी प्रकार की कठिनाई होने पर मोडिफिकेशन के लिए जानकारी डालनी पड़ती है. इसके बाद सहायक औषधि आयुक्त द्वारा मोडिफिकेशन का अवसर एक बार ही दिया जाता है, जबकि इस जटिल प्रक्रिया को सरल करना चाहिए. इसके कारण वर्षों से रेटेंशन की फाइलों का निस्तारण नहीं हो सका है.

ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी के स्तर पर हो सुधार

वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश कुमार ने कहा कि जिन दवा प्रतिस्ठान का पूर्व में ऑफलाइन अप्रूवल हो चुका है. उनका वर्तमान में नवीनीकरण के बाद लाइसेन्स की वैधता में विभिन्नता रहती है. पोर्टल में परेशानी की वजह से वैधता की अवधि ऑफलाइन अप्रूवल के दिनांक से हो रही है, जो बिल्कुल गलत है. इसकी वजह से दवा व्यापारियों को बैंक और दवा कम्पनियों से कार्य करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. उन्होनें अनुरोध किया है कि इस परेशानी को ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी के स्तर पर ही सुधार कर देना चाहिए.

डिलीट हो जाते हैं सर्टिफिकेट

रचित रस्तोगी वरष्ठि उपाध्यक्ष ने पोर्टल पर टेक्निकल पर्सन और कॉम्पिटेन्ट पर्सन से संबंधित कागजात अपलोड होने के बाद कभी-कभी सहायक औषधि अयुक्त के द्वारा पोर्टल पर जांच के समय यह सर्टिफिकेट नहीं दिखते है या डिलीट हो जाते हैं.

अपलोड नहीं हो रहा नवीनीकरण का चालान

उपाध्यक्ष कपिल सक्सेना ने बताया कि व्यापारियों का ऑनलाइन अपडेट होने के बावजूद नवीनीकरण का चालान अपलोड नहीं हो पा रहा है. अमित अग्रवाल संगठन मंत्री ने बताया कि चेन्ज ऑफ कॉन्सटिटूशन के लिए पोर्टल पर उपलब्ध कोई भी मान्य नहीं हो पा रहा. इसके कारण नए लाइसेन्स की प्रकिया करनी पड़ती है. यह अपडेट और संबंधित कागजात के बाद स्वयं हो जानी चाहिए. चेन्ज ऑफ कॉन्सटिट्यूशन का अचानक मृत्यु के बाद या स्थल परिवर्तन के समय इर्मेजेन्सी में आता है. इस कैम्प में दवा व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों के नवीनीकरण, गोदाम के नये लाइसेन्स, दवा प्रतिष्ठानों के नए लाइसेन्स, चेन्ज इन कॉन्सटिटूशन के लिए भी अपने-अपने आवेदन जमा किए.

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