लखनऊ : हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल में एक साल में कई बदलाव देखने को मिले हैं. इस अस्पताल में अगर सबसे ज्यादा जरूरत किसी चीज की थी तो वो एचडीयू की थी. यानी हाई डिपेंडेंसी यूनिट की. शुरुआत से ही झलकारी बाई अस्पताल में एचडीयू नहीं था जिसकी वजह से हर महीने में पांच से दस गर्भवती महिलाओं की मौत हो जाती थी लेकिन जब से एचडीयू का निर्माण हुआ तब से गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में गिरावट आई है. इस अस्पताल में 8 बेड का एक एचडीयू वार्ड बनाया गया है जिसमें ज्यादा गंभीर महिलाओं को भर्ती किया जाता है और उन्हें ट्रीटमेंट दिया जाता है.
इस अस्पताल में मॉर्डन किचन का निर्माण किया गया है. अस्पताल की सीएमएस डॉ. अंजना खरे के मुताबिक, अस्पताल में करीब 1200 लोगों का खाना बनता है. इसमें लगभग 600 मरीज होते हैं. एक तीमारदार का खाना बनता है. इस हिसाब से 1200 लोगों का खाना रोजाना सुबह-शाम बनता है. बता दें कि किचन पहले तल पर था जिसे तीसरे तल पर शिफ्ट कर दिया गया है.
वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल के सीएमएस डॉ. रंजना खरे बताती हैं कि बहुत कम जगह में हमारा अस्पताल बना है. इसमें सब मैनेज करना होता है. इसे हमने एक साल में काफी व्यवस्थित किया है. जो चीजें यहां पर नहीं थीं, उसे भी अस्पताल में बनाया जा रहा है ताकि गर्भवतियों को अन्य अस्पताल में रेफर न करना पड़े. उन्होंने बताया कि हमारे यहां 25 परमानेंट और संविदा डॉक्टर हैं और 35-40 स्टाफ नर्स और कर्मचारी हैं. इस समय ओपीडी में प्रसूताओं की संख्या 200 से 250 है.
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पैथोलॉजी विभाग का चल रहा काम : डॉक्टर खरे ने बताया कि पैथोलॉजी विभाग का काम चल रहा है. जल्द ही अस्पताल का नया पैथोलॉजी विभाग बन के तैयार हो जाएगा. आने वाले महीने में इसकी शुरुआत हो जाएगी. यह वार्ड दूसरे तल पर बनाया जा रहा है. अस्पताल में इलाज के लिए आई गर्भवती महिलाओं औरह तीमारदारों ने बताया कि यहां पर व्यवस्थाएं काफी अच्छी है. खास बात यह है कि यहां के डॉक्टर स्टाफ का रवैया काफी अच्छा होता है जबकि अन्य अस्पतालों में दवा कर्मचारियों का स्टाफ सख्त रहता है.
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