लखनऊ: हाल ही में लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस की हार्ट अटैक से मृत्यु होने और सेवा प्रबंधक के पद पर तैनात अक्षय कुमार के लंबी छुट्टी पर चले जाने से लखनऊ के आरएम और एसएम के पद रिक्त थे. लखनऊ के सेवा प्रबंधक का कार्यभार परिवहन निगम प्रशासन की तरफ से निगम मुख्यालय की केंद्रीय भंडार कार्यशाला में तैनात सेवा प्रबंधक रमेश कुमार को सौंपा गया है. यह वही सेवा प्रबंधक है जिन पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा चल रहा है.
विजिलेंस टीम ने परिवहन निगम मुख्यालय से इन्हें साल 2020 में गिरफ्तार किया था. अब इन्हीं सेवा प्रबंधक रमेश कुमार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की रोडवेज कार्यशाला के सेवा प्रबंधक का दायित्व सौंपा गया है. परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि फिलहाल जब तक किसी अधिकारी की आरएम पद पर नियुक्ति (Recruitment to the post of RM) नहीं हो जाती, तब तक वे लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक का भी कार्य देखेंगे.
एक तरफ उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन(Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाकर धड़ाधड़ कार्रवाई करने में जुटा है. महज छह लीटर डीजल चोरी के आरोप में अधिकारी को जेल भेज दिया जा रहा है. वहीं, कई कर्मचारी भी डीजल चोरी के आरोप में जेल की सजा काट रहे हैं. इतना ही नहीं कई पर विभागीय कार्रवाई भी हो रही है. लेकिन, अब एक ऐसे अधिकारी को लखनऊ क्षेत्रीय कार्यशाला की कमान सौंपी गई है.
जिनके दामन पर भ्रष्टाचार का दाग है. सतर्कता अधिष्ठान की तरफ से बाकायदा आय से अधिक संपत्ति के मामले में सेवा प्रबंधक रमेश कुमार को जिम्मेदार मानते हुए गिरफ्तारी की गई थी और वजीरगंज में मुकदमा भी दर्ज है. हालांकि अभी उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है और वे नौकरी भी कर रहे हैं, लेकिन विजिलेंस के पास इसके पुख्ता सबूत जरूर थे कि चित्रकूट में सेवा प्रबंधक के पद पर तैनात रहने के दौरान उनकी आय में 36 फ़ीसदी इजाफा हुआ था.
सतर्कता अधिष्ठान के तत्कालीन निदेशक पीवी रामाशास्त्री ने बताया था कि रमेश कुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति (disproportionate assets case) की शिकायत 13 अगस्त 2013 को की गई थी. आरोप था कि चित्रकूट धाम में तैनाती के दौरान उन्होंने अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित की. विजिलेंस की खुली जांच में पता चला था कि रमेश कुमार ने दो सितंबर 2009 से 31 मार्च 2013 तक की अवधि में चित्रकूट धाम, बांदा में तैनाती के दौरान 23 लाख 9 हजार 587 रुपए की संपत्ति अर्जित की थी जबकि इस दौरान उनकी कुल आय 16 लाख 91 हजार 169 रुपए ही थी. यानी जांच में आय से 36 फीसद अधिक संपत्ति की जानकारी हुई थी.
सेवा प्रबंधक रमेश कुमार के खिलाफ बांदा कोतवाली में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत मुकदमा दर्ज कर विजिलेंस टीम के झांसी सेक्टर के विवेचक वेद प्रकाश शुक्ला ने विवेचना की थी. सतर्कता अधिष्ठान ने एसएम रमेश कुमार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए शासन से अभियोजन स्वीकृति मांगी थी. शासन से अभियोजन स्वीकृति मिलते ही सितंबर 2020 में सतर्कता अधिष्ठान ने परिवहन निगम मुख्यालय से रमेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया था. अभी भी मामले का निस्तारण नहीं हुआ है.
फिलहाल रमेश कुमार को निगम प्रशासन की तरफ से क्षेत्रीय कार्यशाला के सेवा प्रबंधक की जिम्मेदारी दी गई है. उनके नाम की रोडवेज के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच काफी चर्चा है. बातें हो रही हैं कि जिस अधिकारी पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुकदमा चल रहा हो, विजिलेंस टीम जिसे गिरफ्तार कर चुकी हो. तो उस अधिकारी को मुकदमे का निस्तारण न हो जाने तक कुर्सी कैसे सौंपी जा सकती है?
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इस मामले में रोडवेज के अधिकारियों का कहना है कि जब तक कोई अधिकारी या कर्मचारी दोषी सिद्ध नहीं हो जाता तब तक वह अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकता है. फिलहाल, अब सेवा प्रबंधक रमेश कुमार लखनऊ की रूट ऑफ बसों को सड़क पर दौड़ाने की जिम्मेदारी निभाते हुए नजर आएंगे. (responsibility of running Lucknow route off buses)
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