लखनऊ: एसजीपीजीआई प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां पर एक प्रशासनिक अधिकारी के बेटे को कोरोना वायरस की पुष्टि हुई, लेकिन किसी भी कर्मचारी या डॉक्टर के क्वारंटाइन होने की बात सामने नहीं आई है. इसके अलावा अस्पताल का निरीक्षण मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा भी किया गया इस निरीक्षण में मंत्री के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी जुड़े रहे.
संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट में प्रशासनिक अधिकारी केपी श्रीवास्तव का बेटा मुंबई से लौटा. उनके बेटे में कोरोना वायरस के लक्षण दिखे. इसके बाद वहां के डॉक्टरों ने कोरोना वायरस की जांच करवाने की सलाह दी, जिसके बाद उनके बेटे में कोरोना के संक्रमण दिखे, जिसे तुरंत राजधानी कोविड अस्पताल में भर्ती कर दिया गया.
मंत्री सुरेश खन्ना ने भी एसजीपीजीआई का निरीक्षण किया. कहा जा रहा था कि श्रीवास्तव के साथ वह डॉक्टर भी इस निरीक्षण में शामिल रहे, जिनके पास बेटे को लक्षणों की जांच के लिए लाया गया था. डॉक्टर आरके धीमन ने इस पूरे मामले पर कहा है कि केपी श्रीवास्तव शुक्रवार के निरीक्षण कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे. उनके बेटे को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है और पूरे परिवार को क्वारंटाइन कर दिया गया है. केपी श्रीवास्तव के अभी कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट नहीं आई है. इसलिए अभी किसी और के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया है.
केपी श्रीवास्तव की रिपोर्ट न आने की वजह से किसी भी अन्य डॉक्टर या हेल्थ केयर वर्कर के लिए कोई कदम न उठाने के बाद डायरेक्टर कह रहे हैं, लेकिन यदि रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ जाती है तो ऐसे में निरीक्षण में शामिल मंत्रियों समेत तमाम स्वास्थ्य कर्मचारियों के ऊपर संक्रमण का खतरा फैलेने की पूरी आशंका कही जा सकती है.