लखनऊ : जीएसटी विभाग में पंजीकृत व्यापारियों के लिए नई मुसीबत आने वाली है. व्यापारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि अगर उन लोगों ने अपने व्यवसाय के अंतर्गत ऑफलाइन मैनुअल बिल काटने का काम किया तो यह सब टैक्स चोरी के दायरे में आएगा. अब व्यापारियों को e-invoice जारी ही करनी होगी. पांच करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाले व्यापारियों को ई इनवॉइस जारी करने के दायरे में लाया गया है. अब व्यापारियों को हर हाल में इनवॉइस जारी करनी होगी. ऑफलाइन बिल जारी करने की प्रक्रिया को पूरी तरह से समाप्त करना पड़ेगा. इसके अलावा छह साल में एक बार भी टर्नओवर ₹5 करोड़ के पार होगा तो सभी व्यापारी इसके दायरे में लाए जाएंगे. करीब उत्तर प्रदेश के 9 लाख व्यापारी इस नियम के दायरे में लाए जाएंगे.
दरअसल उत्तर प्रदेश जीएसटी विभाग के अंतर्गत नया नियम लागू किया जा रहा है. ई इनवॉइस का नियम सात साल पुराने कारोबार पर भी लागू किया गया है. वर्ष 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद किसी 1 साल भी टर्नओवर अगर 5 करोड़ रुपए का व्यवसाय किया तो ई इनवाइस नियम लागू होगा. इसका मकसद तक टैक्स चोरी पर अंकुश लगाना है. मैनुअल जारी ऑफलाइन बिल में जमकर टैक्स चोरी की वजह से ही टर्नओवर ₹50 करोड़ की सीमा तक लाया गया है कि ई इनवॉइस नियम की शुरुआत वर्ष 2012 में 500 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाले कारोबारियों पर लागू करने के साथ हुई थी. फिर इसे घटाकर 50 करोड़ टर्नओवर पर लागू किया गया था. पिछले साल 1 अक्टूबर से इसकी सीमा ₹10 करोड़कर दी गई थी, लेकिन अब इसे ₹5 करोड़ कर दिया गया है. ऐसे में ₹5 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर अगर 6 साल की अवधि में किया जाएगा तो इस अवधि में ऑफलाइन बिल काटे जाने पर टैक्स चोरी मानी जाएगी.
उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता कहते हैं कि 1 अगस्त 2023 से सरकार ने जीएसटी काउंसिल के माध्यम से 5 करोड से टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए e-invoice की अनिवार्यता की है. इस नियम का हम स्वागत करते हैं कि इनवॉइस के माध्यम से व्यापार में पारदर्शिता आएगी. इसमें जो टेक्निकल पार्ट समस्या आ रही है वह ई इनवॉइस को भी इसके दायरे में ले लिया गया है. पांच करोड़ का टर्नओवर कभी रहा हो तो उसे इसके दायरे में लाया जाएगा. पहले टर्नओवर लिमिट 10 करोड़ उससे पहले 50 करोड़ थी. छोटे व्यापारियों को इससे मुक्त करना चाहिए. सेल और परचेज के मिलान में इस नियम से आसानी होगी. सरकार से आग्रह है कि जो व्यापारी जीएसटी में पंजीकृत हैं. उसके बाद का टर्नओवर शामिल किया जाए. वैट वाले टर्नओवर को इसमें शामिल न किया जाए.
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