गोरखपुर: मुख्यमंत्री ग्रीन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम यानी कि सीएम ग्रिड के तहत गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र में कई सड़कों का निर्माण होना है. वहीं इसकी शुरुआत शहर के वार्ड नंबर 18 राप्ती नगर में लोगों के घर, दुकान के तोड़े जाने से हो गई है. इसके बाद इसकी जद में आने लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. लोगों का आरोप है कि उनके दुकान और मकान को बिना नोटिस और मुआवजा दिए गिराया और तोड़ा जा रहा है. लोगों का कहना है कि वह विकास के साथ हैं लेकिन उन्हें होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति मिलनी चाहिए.
नहीं मिलेगा मुआवजा: लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर महानगर में जहां भी सड़क चौड़ी हुई लोगों को मुआवजा मिला. यहां हमारी जमीन में नाला, सड़क बन रही है पर नगर निगम का कहना है कि मुआवजा का इस योजना में कोई प्रावधान नहीं है. एक ही महानगर में दो तरह के नियम समझ से परे हैं. विकास कार्य जरूरी है लेकिन हमारी जमीन का मुआवजा भी दिया जाना चाहिए.
सीएम के जनता दरबार में भी गुहार बेकार: इस योजना की नियमावली पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के विधि विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर रामनरेश चौधरी ने सवाल खड़ा किया है. इस योजना में वह अपने घर को टूटते हुए देख रहे हैं. प्रोफेसर रामनरेश चौधरी कहते हैं कि इस सड़क में लोगों के दुकान और मकान आ रहे हैं जो बरसों से बने हैं. जमीन के साथ ही लाखों रुपये का भी नुकसान हो रहा है. इसकी तो भरपाई होनी ही चाहिए.
वहीं सड़क निर्माण की जद में आये मकान के मालिकों ने एक पोस्टर भी लगाया है जो काफी चर्चा में है. पीड़ित पारस नाथ मौर्य का कहना है कि पहले सड़क को 18 मीटर की चौड़ाई में बनाया जाना था. हम लोग लगातार इससे 12 मीटर चौड़ा किए जाने की मांग करते रहें. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब तोड़ने की सीधे प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है. सीएम के जनता दरबार में भी गुहार बेकार जा रही है.
यहां के निवासी विजय कुमार का कहना है कि उनकी जमीन 34 वर्ष पहले खरीदी गई थी. इसमें उनका मकान और दुकान भी आ रहा है जो तोड़ा जा रहा है. वह कहते हैं कि मोहल्ले के नागरिकों ने जनता दर्शन में जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विरोध पत्र सौंपा था. सभी को मुख्यमंत्री पर भरोसा है. उन्हीं के न्याय से उम्मीद है. उन्होंने जांच का भरोसा दिया है लेकिन इस बीच तोड़ फोड़ शुरू हो गई.
राप्ती नगर के चंद्रगुप्त नगर निवासी भास्कर मौर्य कहते हैं कि वर्ष 1979 में वह यहां जमीन खरीदी थी. तब राप्ती नगर उपकेंद्र से राजीव नगर कुआं तक कच्ची सड़क थी. वर्ष 1984 में गोरखपुर विकास प्राधिकरण में मोहल्ला शामिल हुआ तो सड़क बनी. इससे पहले सड़क के किनारे ट्रांसफार्मर रख दिया गया था तो नए सिरे से सड़क बना दी गई. अब इसी सड़क के बीच का हिस्सा नापकर मकान को तोड़ना शुरू कर दिया गया है.
राप्ती नगर में बनेगी तीन सड़कें: सीएम ग्रिड योजना के तहत बनने वाली सड़कों में मेडिकल कॉलेज रोड से शाहपुर थाना होते हुए ऋद्धि हॉस्पिटल तक की सड़क की लंबाई 510 मीटर है जो 24 मीटर चौड़ी बनाई जाएगी. मेडिकल कॉलेज रोड दूरदर्शन आवास होते हुए ब्रदर्स बेकरी तक सड़क की चौड़ाई 471 मीटर है. इस सड़क की चौड़ाई 18 मी रहेगी. वहीं राजीव नगर कुआं से राप्ती नगर उपेंद्र तक 1417 मीटर लंबी सड़क की चौड़ाई 18 मीटर तय की गई थी. इसी सड़क को बारह मीटर करने की मोहल्ले वासियों की मांग है.राप्ती नगर में कुल तीन सड़कें इस योजना के तहत बननी है.
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय विधि विभाग के संख्या अध्यक्ष और विभाग अध्यक्ष रहे प्रोफेसर रामनरेश चौधरी कहते हैं कि उनके मकान की चारदीवारी सड़क की जद में आ गई है. 1981 में उन्होंने जमीन खरीदी थी. वह कहते हैं कि चारदीवारी को लेकर बात कर रहा था कि अचानक ठेकेदार ने बुलडोजर चला दिया. नक्शे में सड़क 9 मीटर चौड़ी है. सड़क के दोनों तरफ सैकड़ों मकान बन चुके हैं. यहां सड़क के दोनों तरफ नाला बना है. कुछ लोगों ने तो कार्रवाई देखकर खुद ही निर्माण तोड़ना शुरू कर दिया है. लेकिन ज्यादातर लोगों को भरोसा है कि नगर निगम से न्याय मिलेगा.
इस संबंध में नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा है कि सीएम ग्रिड योजना के तहत मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है. इनको लग रहा है कि उनके मकान और दुकान को अवैध ढंग से तोड़ा जा रहा है, वह अपना दस्तावेज लेकर आयें. GDA की महयोजना के हिसाब से उस पर निर्णय किया जायेगा.
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