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हाईस्कूल में 3 बार हुए फेल; स्वच्छता मिशन से प्रेरणा लेकर बनाने लगे पोर्टेबल टॉयलेट, आज है करीब 2 करोड़ का टर्नओवर - SUCCESS STORY IN MEERUT

2022 में स्टार्टअप योजना से जुड़कर फरमान ने इस काम को आगे बढ़ाया है.

पोर्टेबल टॉयलेट
पोर्टेबल टॉयलेट (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 6, 2025, 6:11 PM IST

मेरठ : जिले के सरधना क्षेत्र के जसर सुल्ताननगर गांव के रहने वाले फरमान एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी मेहनत के बल पर खुद को स्थापित किया है, बल्कि अपने काम से अपनी अलग पहचान बनाई. फरमान पोर्टेबल टॉयलेट बनाते हैं. इनके उत्पाद देश भर में सप्लाई हो रहे हैं, वहीं अपनी खुद की कंपनी बनाकर लोगों को भी काम दे रहे हैं. फरमान की कंपनी का टर्नओवर करीब 2 से तीन करोड़ रुपये है. फरमान अब कई और भी दैनिक उपयोग के उत्पाद ये बना रहे हैं. अपने काम में माहिर फरमान ने लगभग 25 से अधिक लोगों को भी रोजगार दिया है.

ईटीवी भारत संवाददाता ने फरमान से की बातचीत (Video credit: ETV Bharat)


ईटीवी भारत से फरमान ने बताया कि उनकी शुरुआत तब हुई थी, जब वह हाईस्कूल में तीन बार लगातार फेल होते चले गए. इसके बाद उनके परिवार को उनकी चिंता हो गई. पिता खेती करते थे और सभी भाई, बहनों को भी चिंता रहती थी कि आखिर वह क्या करेंगे? फरमान कहते हैं कि उनके अंदर पहले से ही कला के प्रति रुझान था. वह एक आर्टिस्ट के तौर पर ही अपनी पहचान बनाना चाहते थे, लेकिन जब फ्लेक्स मशीनों के आने से पेंटिंग का काम कम होता चला गया. उनको यह हुनर भी न चाहकर छोड़ना पड़ा, क्योंकि गुजारा नहीं हो पा रहा था.


फरमान ने बताया कि वह दिल्ली चले गये, वहां उन्हें शौचालय के रखरखाव का काम मिल गया. जिसके बाद वह पल-पल यही सोचते थे कि आखिर कुछ तो करना पड़ेगा, ऐसे गुजारा नहीं होगा. जिसके बाद पोर्टेबल टॉयलेट के कॉन्सेप्ट को समझा और इसी दिशा में काम शुरु कर दिया. पहले स्थानीय स्तर पर लोगों को पोर्टेबल टॉयलेट पसंद आए तो हिम्मत बढ़ी, फिर धीरे-धीरे अपना काम बढ़ाते चले गये. वह बताते हैं कि उनका सालाना टर्नओवर दो से तीन करोड़ है. उन्होंने बताया कि अब वह अलग-अलग कई और भी अपने प्रोडक्ट बना रहे हैं. सेना के लिए ये भी खास तरह के पोर्टेबल टॉयलेट बनाते हैं.

फरमान कहते हैं कि जो टॉयलेट वह बनाते हैं वह अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं जो वर्तमान समय की मांग है. उन्होंने कहा कि 2022 में उन्होंने स्टार्ट अप योजना से जुड़कर अपने इस काम को बढ़ाया है. सीएम योगी द्वारा युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए कई योजना चलाई जा रही हैं, जो कि बेहद ही उपयोगी हैं. वहीं वह कहते हैं कि पीएम मोदी से प्रभावित हैं और स्वच्छ भारत अभियान में वह भी चाहते हैं कि अपने इस खास उत्पाद के माध्यम से स्वच्छता के लिए कार्य करें.

फरमान कहते हैं कि उन्होंने अपने लिए कुछ लक्ष्य भी निर्धारित किए हैं, जिसमें उनकी कोशिश है कि और भी युवाओं को साथ जोड़ते हुए उन्हें हुनरमंद बनाकर काम को बड़े स्तर पर करके देश के बाहर तक भी अपने मोबाइल टॉयलेट पहुंच सकें. वह बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वच्छता मिशन से प्रेरणा लेते हुए ही उन्होंने इस दिशा में कोशिश की है. वह बताते हैं कि युवाओं को नौकरी की चिंता रहती है, जरूरत है कि युवा कोई न कोई हुनर सीखें और नौकरी देने वाले बनें. वह कहते हैं कि देश के अधिकतर बड़े शहरों में उनके खास उत्पाद पहुंच रहे हैं, वहीं उन्होंने प्रयागराज में भी पोर्टेबल टॉयलेट बनाए हैं.

विशेष रूप से ये पोर्टेबल टॉयलेट सेना के उन जवानों के लिए बेहद ही उपयोगी साबित हो रहे हैं जो माइनस 30 डिग्री तक में सेवा देते हैं. उन्होंने बताया कि DRDO के मार्गदर्शन में वह काम कर रहे हैं. जिला उद्योग अधिकारी दीपेंद्र कुमार का कहना है कि फरमान ने अपना काम अब काफी बढ़ा लिया है और उनके द्वारा जो ख़ास टॉयलेट बनाए जा रहे हैं वह काफी पसंद तो किये ही जा रहे हैं वर्तमान में इनकी उपयोगिता भी अधिक है.


यह भी पढ़ें : बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बनें चौकियां, दवाई के साथ पोर्टेबल टॉयलेट की हो व्यवस्था : रविंद्र जायसवाल - वरुणा नदी में आई बाढ़

मेरठ : जिले के सरधना क्षेत्र के जसर सुल्ताननगर गांव के रहने वाले फरमान एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी मेहनत के बल पर खुद को स्थापित किया है, बल्कि अपने काम से अपनी अलग पहचान बनाई. फरमान पोर्टेबल टॉयलेट बनाते हैं. इनके उत्पाद देश भर में सप्लाई हो रहे हैं, वहीं अपनी खुद की कंपनी बनाकर लोगों को भी काम दे रहे हैं. फरमान की कंपनी का टर्नओवर करीब 2 से तीन करोड़ रुपये है. फरमान अब कई और भी दैनिक उपयोग के उत्पाद ये बना रहे हैं. अपने काम में माहिर फरमान ने लगभग 25 से अधिक लोगों को भी रोजगार दिया है.

ईटीवी भारत संवाददाता ने फरमान से की बातचीत (Video credit: ETV Bharat)


ईटीवी भारत से फरमान ने बताया कि उनकी शुरुआत तब हुई थी, जब वह हाईस्कूल में तीन बार लगातार फेल होते चले गए. इसके बाद उनके परिवार को उनकी चिंता हो गई. पिता खेती करते थे और सभी भाई, बहनों को भी चिंता रहती थी कि आखिर वह क्या करेंगे? फरमान कहते हैं कि उनके अंदर पहले से ही कला के प्रति रुझान था. वह एक आर्टिस्ट के तौर पर ही अपनी पहचान बनाना चाहते थे, लेकिन जब फ्लेक्स मशीनों के आने से पेंटिंग का काम कम होता चला गया. उनको यह हुनर भी न चाहकर छोड़ना पड़ा, क्योंकि गुजारा नहीं हो पा रहा था.


फरमान ने बताया कि वह दिल्ली चले गये, वहां उन्हें शौचालय के रखरखाव का काम मिल गया. जिसके बाद वह पल-पल यही सोचते थे कि आखिर कुछ तो करना पड़ेगा, ऐसे गुजारा नहीं होगा. जिसके बाद पोर्टेबल टॉयलेट के कॉन्सेप्ट को समझा और इसी दिशा में काम शुरु कर दिया. पहले स्थानीय स्तर पर लोगों को पोर्टेबल टॉयलेट पसंद आए तो हिम्मत बढ़ी, फिर धीरे-धीरे अपना काम बढ़ाते चले गये. वह बताते हैं कि उनका सालाना टर्नओवर दो से तीन करोड़ है. उन्होंने बताया कि अब वह अलग-अलग कई और भी अपने प्रोडक्ट बना रहे हैं. सेना के लिए ये भी खास तरह के पोर्टेबल टॉयलेट बनाते हैं.

फरमान कहते हैं कि जो टॉयलेट वह बनाते हैं वह अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं जो वर्तमान समय की मांग है. उन्होंने कहा कि 2022 में उन्होंने स्टार्ट अप योजना से जुड़कर अपने इस काम को बढ़ाया है. सीएम योगी द्वारा युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए कई योजना चलाई जा रही हैं, जो कि बेहद ही उपयोगी हैं. वहीं वह कहते हैं कि पीएम मोदी से प्रभावित हैं और स्वच्छ भारत अभियान में वह भी चाहते हैं कि अपने इस खास उत्पाद के माध्यम से स्वच्छता के लिए कार्य करें.

फरमान कहते हैं कि उन्होंने अपने लिए कुछ लक्ष्य भी निर्धारित किए हैं, जिसमें उनकी कोशिश है कि और भी युवाओं को साथ जोड़ते हुए उन्हें हुनरमंद बनाकर काम को बड़े स्तर पर करके देश के बाहर तक भी अपने मोबाइल टॉयलेट पहुंच सकें. वह बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वच्छता मिशन से प्रेरणा लेते हुए ही उन्होंने इस दिशा में कोशिश की है. वह बताते हैं कि युवाओं को नौकरी की चिंता रहती है, जरूरत है कि युवा कोई न कोई हुनर सीखें और नौकरी देने वाले बनें. वह कहते हैं कि देश के अधिकतर बड़े शहरों में उनके खास उत्पाद पहुंच रहे हैं, वहीं उन्होंने प्रयागराज में भी पोर्टेबल टॉयलेट बनाए हैं.

विशेष रूप से ये पोर्टेबल टॉयलेट सेना के उन जवानों के लिए बेहद ही उपयोगी साबित हो रहे हैं जो माइनस 30 डिग्री तक में सेवा देते हैं. उन्होंने बताया कि DRDO के मार्गदर्शन में वह काम कर रहे हैं. जिला उद्योग अधिकारी दीपेंद्र कुमार का कहना है कि फरमान ने अपना काम अब काफी बढ़ा लिया है और उनके द्वारा जो ख़ास टॉयलेट बनाए जा रहे हैं वह काफी पसंद तो किये ही जा रहे हैं वर्तमान में इनकी उपयोगिता भी अधिक है.


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