ETV Bharat / state

स्मार्ट सिटी दूर नौ साल में जलभराव से निजात नहीं दिला पाए नगर निगम के अफसर, सारे दावे कागजी

बीते दिनों हुई बारिश ने लखनऊ नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल दी थी. नगर निगम हर साल नाले की सफाई के लिए बजट जारी करता है, लेकिन बारिश के चलते राजधानी के कई इलाकों में पानी भर गया.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 14, 2023, 11:25 AM IST

वरिष्ठ संवाददाता धीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट

लखनऊ : जब भी थोड़ी सी तेज बारिश होती है लखनऊ नगर निगम के कामकाज और अफसरों के कागजी दावों की पोल खुल जाती है. लखनऊ को पिछले नौ साल से अधिकारियों की तरफ से स्मार्ट सिटी करने के बड़े बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन स्मार्ट सिटी तो दूर की बात है लखनऊ की जनता को अफसर जलभराव से भी निजात नहीं दिला पाए हैं. जरा सी बारिश में पूरे शहर में जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है.

नगर निगम की तैयारियों की पोल खुली
नगर निगम की तैयारियों की पोल खुली


सोमवार को बारिश हुई तो अफसरों ने मोर्चा जरूर संभाला और जलनिकासी की व्यवस्था कराने में जुट गए. प्रदेश की राजधानी होने के चलते सभी बड़े अधिकारियों के दिशा-निर्देश निरीक्षण आदि के चलते जलनिकासी कराने का काम युद्धस्तर पर चलाया गया. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की बात करें तो यह पूरी योजना हीलाहवाली का शिकार है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत लखनऊ को साफ सुथरा, हरा भरा बनाने, ड्रेनेज सिस्टम बेहतर करने का काम, साथ ही स्वच्छ भारत मिशन को भी धरातल पर उतारना था, लेकिन अफसरों की सुस्ती के चलते कुछ भी काम तेजी से नहीं हो पा रहा है. जून 2023 तक यह काम पूरा करना था, लेकिन अभी यह काम पूरा ही नहीं हो पाया है. करीब दो हजार करोड़ रुपए का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट था, लेकिन अभी तक करीब 80 फीसद पैसा खर्च हो गया है और कोई काम धरातल पर नजर नहीं आता है. कुछ समय पहले स्मार्ट सिटी में कामकाज के सुस्त रफ्तार को लेकर शासन की तरफ से भी राजधानी के अफसरों से नाराजगी जताई गई थी. प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने नगर आयुक्त को भी फटकार लगाई थी कि आखिर स्मार्ट सिटी के काम जल्द से जल्द पूरे किए जाएं, लेकिन अभी भी हाल जस का तस है.

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह


राजधानी में जब भी तेज बारिश होती है तो पूरे शहर में जलभराव की बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है. ड्रेनेज सिस्टम बेहतर करने में राजधानी के अधिकारी अभी तक फेल ही साबित हुए हैं. सोमवार को जब बारिश हुई तो पूरा लखनऊ अस्त व्यस्त हो गया और जनजीवन प्रभावित हो गया, तमाम जगहों पर सड़क धंसी तो काॅलोनियों में भयंकर पानी भरा रहा. दरअसल, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में देश के सौ शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में चिन्हित किया था, लखनऊ भी उन स्मार्ट सिटी में था, लेकिन नौ साल बाद भी लखनऊ की सूरत नहीं बदली और जगह जगह पूरी तरह से बदहाली ही नजर आती है. चौंकाने वाली बात यह है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत कोई भी एक काम अफसरों के पास बताने के लिए नहीं हैं जो पूरी तरह से धरातल पर उतर चुका हो.

नगर निगम की तैयारियों की पोल खुली
नगर निगम की तैयारियों की पोल खुली

नालों की सफ़ाई में बड़ा खेल, जांच के लिए कमेटी का गठन : शहर के 35 नालों की सफाई में खेल किया गया. वर्ष 2021 में पांच जोनों में नालों की सफाई के भुगतान के लिए फाइल लेखा विभाग भेज दी गईं. मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी ने संदेह होने पर नगर आयुक्त को जानकारी दी. नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने मामले की विस्तृत जांच के लिए पांच अधिकारियों की कमेटी बना दी है. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि 35 नालों की सफाई कराई नहीं गई और भुगतान के लिए तीन साल बाद नगर निगम लेखा विभाग में फाइल भेज दी गई. मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी ने भुगतान के लिए लगाए गए दस्तावेजों की जांच तो संदेश होने पर नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह को पत्र लिखा.

पत्र में लिखा है कि जब काम वर्ष 2021 में हुआ था तो भुगतान की पत्रावली 2023 में क्यों प्रस्तुत की गई. लेटर हेड को भी वर्ष 2021 में ही सत्यापित किया गया तो भुगतान के लिए उसी वर्ष उसे क्यों नहीं प्रस्तुत किया गया. नगर आयुक्त ने बीती नौ अगस्त को घोटाले की जांच के लिए अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव की अध्यक्षता में पांच अधिकारियों की कमेटी बना दी है. कमेटी में नगर निगम के मुख्य अभियंता सिविल, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी, जिन पांच जोनों के नगर अभियंताओं, मुख्य नगर लेखा परीक्षक शामिल किया गया है. हजरतगंज के जोन एक, ऐशबाग जोन 2, गोमती नगर जोन 4, इंदिरा नगर जोन 7 और कानपुर रोड एलडीए कॉलोनी के जोन-8 के नालों की सफाई शामिल है. घोटाले में नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों के भी शामिल होने की आशंका हैं. फाइल में टेंडर से जुड़े दस्तावेज नहीं हैं. बिल की जगह एजेंसी का बिना तारीख, नंबर का लेटर हेड है. नालों की सफाई के लिए प्रशासनिक, वित्तीय स्वीकृति के प्रमाण व एस्टीमेट नहीं लगा है. नाला सफाई का भुगतान दायित्व मद से दिखाया, सूची में यह किस श्रेणी में है, इसका उल्लेख नहीं है.

यह भी पढ़ें : नगर निगम सदन के 100 दिन पूरे होने पर विकास योजनाओं की मिलेगी सौगात, जानिए क्या है तैयारी

यह भी पढ़ें : स्वच्छता की रेटिंग में फिसड्डी है लखनऊ, अब जोनवार सफाई व्यवस्था का मॉडल अपनाएगा नगर निगम

वरिष्ठ संवाददाता धीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट

लखनऊ : जब भी थोड़ी सी तेज बारिश होती है लखनऊ नगर निगम के कामकाज और अफसरों के कागजी दावों की पोल खुल जाती है. लखनऊ को पिछले नौ साल से अधिकारियों की तरफ से स्मार्ट सिटी करने के बड़े बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन स्मार्ट सिटी तो दूर की बात है लखनऊ की जनता को अफसर जलभराव से भी निजात नहीं दिला पाए हैं. जरा सी बारिश में पूरे शहर में जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है.

नगर निगम की तैयारियों की पोल खुली
नगर निगम की तैयारियों की पोल खुली


सोमवार को बारिश हुई तो अफसरों ने मोर्चा जरूर संभाला और जलनिकासी की व्यवस्था कराने में जुट गए. प्रदेश की राजधानी होने के चलते सभी बड़े अधिकारियों के दिशा-निर्देश निरीक्षण आदि के चलते जलनिकासी कराने का काम युद्धस्तर पर चलाया गया. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की बात करें तो यह पूरी योजना हीलाहवाली का शिकार है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत लखनऊ को साफ सुथरा, हरा भरा बनाने, ड्रेनेज सिस्टम बेहतर करने का काम, साथ ही स्वच्छ भारत मिशन को भी धरातल पर उतारना था, लेकिन अफसरों की सुस्ती के चलते कुछ भी काम तेजी से नहीं हो पा रहा है. जून 2023 तक यह काम पूरा करना था, लेकिन अभी यह काम पूरा ही नहीं हो पाया है. करीब दो हजार करोड़ रुपए का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट था, लेकिन अभी तक करीब 80 फीसद पैसा खर्च हो गया है और कोई काम धरातल पर नजर नहीं आता है. कुछ समय पहले स्मार्ट सिटी में कामकाज के सुस्त रफ्तार को लेकर शासन की तरफ से भी राजधानी के अफसरों से नाराजगी जताई गई थी. प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने नगर आयुक्त को भी फटकार लगाई थी कि आखिर स्मार्ट सिटी के काम जल्द से जल्द पूरे किए जाएं, लेकिन अभी भी हाल जस का तस है.

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह


राजधानी में जब भी तेज बारिश होती है तो पूरे शहर में जलभराव की बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है. ड्रेनेज सिस्टम बेहतर करने में राजधानी के अधिकारी अभी तक फेल ही साबित हुए हैं. सोमवार को जब बारिश हुई तो पूरा लखनऊ अस्त व्यस्त हो गया और जनजीवन प्रभावित हो गया, तमाम जगहों पर सड़क धंसी तो काॅलोनियों में भयंकर पानी भरा रहा. दरअसल, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में देश के सौ शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में चिन्हित किया था, लखनऊ भी उन स्मार्ट सिटी में था, लेकिन नौ साल बाद भी लखनऊ की सूरत नहीं बदली और जगह जगह पूरी तरह से बदहाली ही नजर आती है. चौंकाने वाली बात यह है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत कोई भी एक काम अफसरों के पास बताने के लिए नहीं हैं जो पूरी तरह से धरातल पर उतर चुका हो.

नगर निगम की तैयारियों की पोल खुली
नगर निगम की तैयारियों की पोल खुली

नालों की सफ़ाई में बड़ा खेल, जांच के लिए कमेटी का गठन : शहर के 35 नालों की सफाई में खेल किया गया. वर्ष 2021 में पांच जोनों में नालों की सफाई के भुगतान के लिए फाइल लेखा विभाग भेज दी गईं. मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी ने संदेह होने पर नगर आयुक्त को जानकारी दी. नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने मामले की विस्तृत जांच के लिए पांच अधिकारियों की कमेटी बना दी है. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि 35 नालों की सफाई कराई नहीं गई और भुगतान के लिए तीन साल बाद नगर निगम लेखा विभाग में फाइल भेज दी गई. मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी ने भुगतान के लिए लगाए गए दस्तावेजों की जांच तो संदेश होने पर नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह को पत्र लिखा.

पत्र में लिखा है कि जब काम वर्ष 2021 में हुआ था तो भुगतान की पत्रावली 2023 में क्यों प्रस्तुत की गई. लेटर हेड को भी वर्ष 2021 में ही सत्यापित किया गया तो भुगतान के लिए उसी वर्ष उसे क्यों नहीं प्रस्तुत किया गया. नगर आयुक्त ने बीती नौ अगस्त को घोटाले की जांच के लिए अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव की अध्यक्षता में पांच अधिकारियों की कमेटी बना दी है. कमेटी में नगर निगम के मुख्य अभियंता सिविल, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी, जिन पांच जोनों के नगर अभियंताओं, मुख्य नगर लेखा परीक्षक शामिल किया गया है. हजरतगंज के जोन एक, ऐशबाग जोन 2, गोमती नगर जोन 4, इंदिरा नगर जोन 7 और कानपुर रोड एलडीए कॉलोनी के जोन-8 के नालों की सफाई शामिल है. घोटाले में नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों के भी शामिल होने की आशंका हैं. फाइल में टेंडर से जुड़े दस्तावेज नहीं हैं. बिल की जगह एजेंसी का बिना तारीख, नंबर का लेटर हेड है. नालों की सफाई के लिए प्रशासनिक, वित्तीय स्वीकृति के प्रमाण व एस्टीमेट नहीं लगा है. नाला सफाई का भुगतान दायित्व मद से दिखाया, सूची में यह किस श्रेणी में है, इसका उल्लेख नहीं है.

यह भी पढ़ें : नगर निगम सदन के 100 दिन पूरे होने पर विकास योजनाओं की मिलेगी सौगात, जानिए क्या है तैयारी

यह भी पढ़ें : स्वच्छता की रेटिंग में फिसड्डी है लखनऊ, अब जोनवार सफाई व्यवस्था का मॉडल अपनाएगा नगर निगम

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.