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आमजन को देना होगा प्राकृतिक संसाधनों के सतत विकास पर ध्यान : डाॅ. शासनी - एनबीआआई लखनऊ में वाद विवाद प्रतियोगिता

वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित हुई. इस दौरान राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक समेत कई वक्ताओं ने प्राकृतिक संसाधनों के विकास पर चर्चा की.

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Published : May 19, 2023, 7:11 PM IST

लखनऊ : हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग पर ध्यान देना होगा. हमें अपनी जीवन शैली को पर्यावरण के अनुकूल करना होगा. ताकि हम आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण को स्वच्छ बना सकें. यह बातें वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने कहीं. इस मौके पर वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ एवं लखनऊ विश्वविद्यालय का वन्य जीव विज्ञान संस्थान द्वारा संचालित पर्यावरण सूचना, जागरूकता, क्षमता निर्माण और आजीविका कार्यक्रम केंद्र (ईएआईसीपी) द्वारा संयुक्त रूप से वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित हुई.

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बता दें, पर्यावरण सूचना, जागरूकता, क्षमता निर्माण और आजीविका कार्यक्रम केंद्र (ईएआईसीपी) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पर्यावरण और वन क्षेत्रों के विषयों पर विशिष्ट कार्य करने विभिन्न संस्थानों, विश्वविद्यालयों वह संगठनों में स्थापित किया गया है. लखनऊ में ऐसे दो ईएआईसीपी केंद्र बनाए गए हैं. इनमें पहला राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ‘पौधों एवं प्रदूषण’ विषय पर एवं दूसरा लखनऊ विश्वविद्यालय का वन्य जीव विज्ञान संस्थान ‘जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान’ विषय पर मिशन लाइफ के अंतर्गत कार्य रहे हैं.

आमजन को देना होगा प्राकृतिक संसाधनों के सतत विकास पर ध्यान : डाॅ. शासनी
आमजन को देना होगा प्राकृतिक संसाधनों के सतत विकास पर ध्यान : डाॅ. शासनी

लखनऊ विश्वविद्यालय के वन्य जीव विज्ञान संस्थान द्वारा संचालित ईएआईसीपी केंद्र की समन्वयक प्रो. अमिता कनौजिया ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया 'मिशन लाइफ' दरअसल पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन जीने पर केंद्रित है. ये चीजों के अपव्यय वाले उपभोग के बजाय सुलझे हुए और जागरूक उपयोग को बढ़ावा देता है. इस पहल का उद्देश्य ऐसे लोगों का एक वैश्विक नेटवर्क बनाना है जिन्हें प्रो-प्लैनेट पीपल (पी3) कहा जाता है. जो पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने और बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. इसी के तहत छात्र-छात्राओं को पर्यावरण एवं वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रति जागरूक करने के उदेश्य से भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, भोपाल द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे कार्यकमों का आयोजन किया जा रहा है.



संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं एनबीआरआई-ईएआईसीपी केंद्र के समन्वयक डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि इस वाद-विवाद प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं कालेजों से करीब 90 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. प्रतियोगिता का थीम ‘पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर व्यक्तिगत व्यवहार और आदतों का प्रभाव पड़ता है’ रखा गया था. इस प्रतियोगिता का आयोजन युवा संसद (स्टेज -I) के अंतर्गत किया जा रहा है. जिसका स्टेज-II का कार्यक्रम मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में किया जाएगा. इस प्रतियोगिता के अंतिम विजयी छात्रों को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आगामी विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सम्मानित किया जाएगा. डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि करीब 24 मंत्रालयों के 140 विभाग मिशन लाइफ से जुड़े हुए हैं. इस मौके पर डॉ. शासनी ने सभी प्रतिभागियों पर्यावरण के लिए अनुकूल जीवनशैली की शपथ भी दिलाई.

यह भी पढ़ें : रेलवे कॉलोनियों से अवैध कब्जा हटाया जाएगा, कराई जाएगी ऑडिटिंग

लखनऊ : हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग पर ध्यान देना होगा. हमें अपनी जीवन शैली को पर्यावरण के अनुकूल करना होगा. ताकि हम आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण को स्वच्छ बना सकें. यह बातें वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने कहीं. इस मौके पर वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ एवं लखनऊ विश्वविद्यालय का वन्य जीव विज्ञान संस्थान द्वारा संचालित पर्यावरण सूचना, जागरूकता, क्षमता निर्माण और आजीविका कार्यक्रम केंद्र (ईएआईसीपी) द्वारा संयुक्त रूप से वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित हुई.

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बता दें, पर्यावरण सूचना, जागरूकता, क्षमता निर्माण और आजीविका कार्यक्रम केंद्र (ईएआईसीपी) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पर्यावरण और वन क्षेत्रों के विषयों पर विशिष्ट कार्य करने विभिन्न संस्थानों, विश्वविद्यालयों वह संगठनों में स्थापित किया गया है. लखनऊ में ऐसे दो ईएआईसीपी केंद्र बनाए गए हैं. इनमें पहला राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ‘पौधों एवं प्रदूषण’ विषय पर एवं दूसरा लखनऊ विश्वविद्यालय का वन्य जीव विज्ञान संस्थान ‘जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान’ विषय पर मिशन लाइफ के अंतर्गत कार्य रहे हैं.

आमजन को देना होगा प्राकृतिक संसाधनों के सतत विकास पर ध्यान : डाॅ. शासनी
आमजन को देना होगा प्राकृतिक संसाधनों के सतत विकास पर ध्यान : डाॅ. शासनी

लखनऊ विश्वविद्यालय के वन्य जीव विज्ञान संस्थान द्वारा संचालित ईएआईसीपी केंद्र की समन्वयक प्रो. अमिता कनौजिया ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया 'मिशन लाइफ' दरअसल पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन जीने पर केंद्रित है. ये चीजों के अपव्यय वाले उपभोग के बजाय सुलझे हुए और जागरूक उपयोग को बढ़ावा देता है. इस पहल का उद्देश्य ऐसे लोगों का एक वैश्विक नेटवर्क बनाना है जिन्हें प्रो-प्लैनेट पीपल (पी3) कहा जाता है. जो पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने और बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. इसी के तहत छात्र-छात्राओं को पर्यावरण एवं वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रति जागरूक करने के उदेश्य से भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, भोपाल द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे कार्यकमों का आयोजन किया जा रहा है.



संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं एनबीआरआई-ईएआईसीपी केंद्र के समन्वयक डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि इस वाद-विवाद प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं कालेजों से करीब 90 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. प्रतियोगिता का थीम ‘पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर व्यक्तिगत व्यवहार और आदतों का प्रभाव पड़ता है’ रखा गया था. इस प्रतियोगिता का आयोजन युवा संसद (स्टेज -I) के अंतर्गत किया जा रहा है. जिसका स्टेज-II का कार्यक्रम मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में किया जाएगा. इस प्रतियोगिता के अंतिम विजयी छात्रों को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आगामी विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सम्मानित किया जाएगा. डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि करीब 24 मंत्रालयों के 140 विभाग मिशन लाइफ से जुड़े हुए हैं. इस मौके पर डॉ. शासनी ने सभी प्रतिभागियों पर्यावरण के लिए अनुकूल जीवनशैली की शपथ भी दिलाई.

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