लखनऊ: दिव्यांगों को जीवन को सरल बनाने और उनको सहायता प्रदान करने के लिए राजधानी की अनीता गुप्ता पिछले 15 सालों से दिव्यांगों की सेवा कर रही हैं. अनीता उत्तर प्रदेश के कई जिलों में दिव्यांगों के लिए काम कर रही हैं. 2005 से लगातार वो ऐसे दिव्यांगों को मदद दे रही हैं जो सरकार की मदद से वांछित रह जाते हैं. वो उन्हें ट्राई साइकिल, आर्टिफिशियल लिंब और हियरिंग जैसे उपकरण बांट कर उनके चेहरों पर खुशी देने का काम कर रही हैं.
उनकी संस्था के माध्यम से 15 सालों में 5000 से ज्यादा विकलांग लोगों की मदद की जा चुकी है. वहीं इनके द्वारा एक गृह उद्योग भी संचालित किया जा रहा है. जहां 15 गरीब महिलाओं को रोजगार दिया गया है. इस संस्था में महिलाओं की एक ही चाहत है कि वह गरीब और विकलांग लोगों के जीवन में खुशियां लाएं. वो अपनी संस्था के द्वारा दिव्यांगों को सरकारी मदद भी दिलवाती हैं.
5000 से ज्यादा विकलांगों को दिया जीने का हौसला
60 साल की हो चुकी अनीता गुप्ता के मन में गरीब और बेसहारा लोगों को खुशी देने की चाहत थी. लेकिन उनके पास ऐसे लोगों तक पहुंचने का कोई जरिया नहीं था. घर की दहलीज से निकलकर उन्होंने कुछ महिलाओं को जोड़ा और फिर अलग-अलग जनपदों में विकलांग लोगों को मदद करना शुरू कर दिया. 2005 से लेकर अब तक 5000 से ज्यादा ऐसे विकलांग लोगों को मदद दे चुकी अनीता गुप्ता बताती हैं कि वह ऐसे विकलांग पुरुष और महिलाओं को चुनती हैं जो पूरी तरह से विकलांग हैं. गरीबी के कारण वह खुद की मदद करने में असमर्थ है. फिर इन लोगों का चुनाव करके उन्हें आर्टिफिशियल लिंब, ट्राई साइकिल, बैसाखी, जूते आदि का वितरण करती हैं.
गरीब लड़कियों की करवाती हैं शादियां
उत्तर प्रदेश सरकार गरीब लड़कियों की शादी के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का संचालन कर रही है. समाज में ऐसी भी लड़कियां हैं, जो सरकारी मदद पाने से छूट जाती हैं. ऐसे में अनीता गुप्ता अपने संगठन के माध्यम से हर साल 5 से लेकर 10 गरीब लड़कियों की शादी का करवाती है. उन्हें उपहार स्वरूप सामान भी देती हैं. उनकी संस्था की मदद से अब तक 500 से ज्यादा गरीब लड़कियों की शादी हो चुकी है.
गृह उद्योग के माध्यम से महिलाओं को दे रही हैं रोजगार
अनीता ऐसी महिलाओं की मदद भी करती हैं जो अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए दूसरों के घरों में काम करती हैं, लेकिन उनके बच्चों की पढ़ाई से लेकर बेटियों की शादी के लिए वह पैसा नहीं जुटा पाती हैं. अनीता गुप्ता अपनी संस्था प्रतिष्ठा के माध्यम से एक गृह उद्योग भी संचालित करती हैं. यहां वर्तमान में 15 महिलाओं को रोजगार दिया गया है. यह महिलाएं यहां पर काम करके अपने बच्चों की अच्छी पढ़ाई से लेकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. संस्था की ही बुजुर्ग समाज सेविका विनीता माथुर बताती हैं कि जब उन्होंने यह उद्योग शुरू किया था तो केवल तीन महिलाएं थीं. अब संख्या बढ़ते-बढ़ते अब 15 हो चुकी है.
खुद के पैसे और सरकार की योजनाओं से मिलती है मदद
समाज सेविका अनीता गुप्ता बताती हैं कि उन्हें अपनी संस्था के सदस्यों के जुटाए गए पैसे और सरकार की योजनाओं से भी मदद मिलती है. जिसके बाद वह गरीब और दिव्यांग लोगों की मदद कर पाने में सफल हो रही हैं. उनका यह प्रयास निरंतर जारी रहेगा.
ये कहते हैं मदद पाने वाले
मेट्रो सिटी के पास रहने वाले दिव्यांग संजय दोनों पैरों से विकलांग हैं. उनकी पत्नी भी दिव्यांग हैं. दोनों के पास अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए कोई सहारा नहीं था. वह दूसरों के आगे हाथ फैला नहीं चाहते थे. ऐसे में अनीता गुप्ता और उनकी संस्था ने ट्राई साइकिल की मदद देकर परिवार को जीने का सहारा दिया. दिव्यांग महिला इंद्र कला बताती हैं कि अब तो बस सरकार से इतनी मदद मिल जाए कि परिवार का भरण पोषण हो सके.