लखनऊ : आलमबाग स्थित रेलवे काॅलोनी में शुक्रवार देर रात छत गिरने से उसके नीचे सो रहे पति पत्नी तथा उनके तीन बच्चों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई. सूचना मिलने के बाद रेलवे काॅलोनी में हड़कंप मच गया. थोड़ी ही देर में घर के आसपास लोगों की भीड़ लग गई. सभी लोग रेलवे अधिकारियों को कोस रहे थे कि यदि रेलवे प्रशासन ने सख्ती के साथ यह कमरा खाली करा लिया होता तो आज इतना भीषण हादसा न होता.
काॅलोनी के ही रहने वाले सुनील ने बताया कि वह पेशे से ड्राईवर है. आज सुबह 06ः30 बजे जैसे ही उसे हादसे की सूचना मिली तो वह और वहीं पर रहने वाला सोनू भी उसके साथ हादसे वाले कमरे में गए. कमरे के अंदर का नजारा देखते ही सुनील सदमे में आ गया. कमरे के अंदर बैठे विनोद एक बच्चे के चेहरे पर पड़े मलबे को हटा रहे थे और उसके चेहरे को गोद में लेकर रो रहे थे उनकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था. सुनील ने बताया कि हम लोगों ने मिलकर अन्य परिजनों के ऊपर से मलबा हटाया और एक-एक करके सभी को बाहर निकाला, लेकिन उनमें कोई जीवित नहीं था. एक साथ पांच लोगों के शव देखकर हम लोगों के आंसू निकल पड़े. हमारे दिमाग में सन्नाटा सा छाया हुआ था. इसके अलावा घटनास्थल पर मौजूद कोई भी अपने आंसू रोक नहीं पा रहे थे.
उन्नाव जिले के कांथा गांव का था परिवार : सतीश के बहनोई ने बताया कि सतीश का एक भाई अमित व तीन बहनें थीं. जिसमें से दो बहनों की पहले ही मृत्यु हो चुकी है. इनके माता-पिता भी रेलवे में नौकरी करते थे. पिता की मृत्यु के पश्चात छोटे भाई अमित की मृतक आश्रित में नौकरी लग गई थी. अमित का परिवार सतीश के परिवार से अलग रहता था. करीब एक वर्ष पहले सतीश की माता की भी मौत हो गई. मृतक आश्रित की नौकरी पाने के लिए सतीश लगातार पैरवी कर रहा था. सतीश के तीनों बच्चे पास के ही रेलवे के सरकारी स्कूल में पढ़ते थे. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए सतीश लोगों के छोटे मोटे काम करके अपना तथा अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था. मां की मृत्यु के बाद से सतीश को मृतक आश्रित में सरकारी नौकरी मिलने के बाद आर्थिक स्थिति सुधरने की उम्मीद थी. जिसके लिए वह रेलवे में पैरवी भी कर रहा था. उसका सपना अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में शिक्षा दिलवाना था, लेकिन हादसे पूरा परिवार ही उजड़ गया.
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रेलवे कॉलोनी में मकान की छत गिरने से मलबे में दबकर पांच लोगों की मौत