लखनऊः घरेलू हिंसा के एक मामले में अपर सत्र न्यायाधीश विवेका नंद शरण त्रिपाठी ने निचली अदालत में दाखिल पत्नी की भरण-पोषण देने वाली याचिका को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि महिला का गैर मर्द के साथ संबंध है, तो वह अपने पति से भरण-पोषण पाने की अधिकारी नहीं है.
पति की ओर से दाखिल अपील में कहा गया था कि उसकी शादी 8 फरवरी 2011 को हुई थी. शादी के कुछ दिन बाद ही उसकी पत्नी अलग रहना चाहती थी. दाखिल याचिका में यह भी बताया गया कि उसकी पत्नी का विकास नगर में एक व्यक्ति से संबंध है. वादी की पत्नी उसकी बिना सहमति के गैर मर्द के साथ रह रही है. वादी की ओर से इस मामले को लेकर थाना पीजीआई में एक रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ-साथ विवाह विच्छेदन का मामला पारिवारिक न्यायालय में दाखिल किया जा चुका है. जिसमें वादी की पत्नी और गैर मर्द को पक्षकार बनाया गया है.
सत्र अदालत ने निचली अदालत द्वारा पारित 17 फरवरी 2021 के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें पति को 12 हजार रुपये प्रतिमाह पत्नी को दिए जाने का आदेश दिया गया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि महिला द्वारा पति एवं परिवार के लोगों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला भी लिखाया गया था. जिसमें कोर्ट ने उसके अवैध संबंध के आधार पर ही 2 मार्च 2020 को पति समेत सभी ससुरालीजनों को उन्मोचित कर दिया. गैर व्यक्ति ने भी पारिवारिक न्यायालय में अपना जवाब दाखिल करते हुए स्वीकार किया है कि उसके व महिला के बीच अंतरंग संबंध थे. अपील पर सुनवाई के समय फोटोग्राफ एवं अन्य दस्तावेज भी दाखिल किए गए.
गैर मर्द से संबंध रखने वाली महिला को भरण-पोषण का कोई अधिकार नहीं: लखनऊ कोर्ट - lucknow latest news
लखनऊ जिला एवं सत्र न्यायालय ने घरेलू हिंसा के एक मामले में पत्नी को भत्ता देने वाली याचिका खारीज कर दी. कोर्ट ने कहा कि गैर मर्द से संबंध रखने वाली महिला को भरण-पोषण का कोई अधिकार नहीं है.
लखनऊः घरेलू हिंसा के एक मामले में अपर सत्र न्यायाधीश विवेका नंद शरण त्रिपाठी ने निचली अदालत में दाखिल पत्नी की भरण-पोषण देने वाली याचिका को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि महिला का गैर मर्द के साथ संबंध है, तो वह अपने पति से भरण-पोषण पाने की अधिकारी नहीं है.
पति की ओर से दाखिल अपील में कहा गया था कि उसकी शादी 8 फरवरी 2011 को हुई थी. शादी के कुछ दिन बाद ही उसकी पत्नी अलग रहना चाहती थी. दाखिल याचिका में यह भी बताया गया कि उसकी पत्नी का विकास नगर में एक व्यक्ति से संबंध है. वादी की पत्नी उसकी बिना सहमति के गैर मर्द के साथ रह रही है. वादी की ओर से इस मामले को लेकर थाना पीजीआई में एक रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ-साथ विवाह विच्छेदन का मामला पारिवारिक न्यायालय में दाखिल किया जा चुका है. जिसमें वादी की पत्नी और गैर मर्द को पक्षकार बनाया गया है.
सत्र अदालत ने निचली अदालत द्वारा पारित 17 फरवरी 2021 के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें पति को 12 हजार रुपये प्रतिमाह पत्नी को दिए जाने का आदेश दिया गया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि महिला द्वारा पति एवं परिवार के लोगों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला भी लिखाया गया था. जिसमें कोर्ट ने उसके अवैध संबंध के आधार पर ही 2 मार्च 2020 को पति समेत सभी ससुरालीजनों को उन्मोचित कर दिया. गैर व्यक्ति ने भी पारिवारिक न्यायालय में अपना जवाब दाखिल करते हुए स्वीकार किया है कि उसके व महिला के बीच अंतरंग संबंध थे. अपील पर सुनवाई के समय फोटोग्राफ एवं अन्य दस्तावेज भी दाखिल किए गए.