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लखनऊ: सिटी बस प्रबंधन के फैसले से घटे एमएसटी धारक - लखनऊ सिटी बस प्रबंधन

राजधानी लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड प्रबंधन ने एक अजीबोगरीब फैसला किया है. जिसमें सभी श्रेणियों की एमएसटी एक समान कर दी गई है, जो कि सिटी बस के लिए घाटे का फैसला साबित हो रहा है.

कैम्प कार्यालय
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Published : Jul 5, 2019, 3:21 PM IST

लखनऊ: सिटी बस के इस फैसले में छात्र-छात्राओं और वरिष्ठ नागरिकों को भी एमएसटी में छूट खत्म कर दी गई है. अब एमएसटी काउंटरों पर जुलाई माह में छात्र-छात्राओं के एमएसटी बनवाने के लिए लगने वाली भीड़ भी गायब हो गई है. इस फैसले के बाद से एमएसटी की संख्या में जबरदस्त कमी आई है. रियायत न मिलने के कारण अब छात्र-छात्राएं एमएसटी बनवाने से भी परहेज करने लगे हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

क्या है फैसला

  • सिटी बस प्रबंधन ने सभी श्रेणियों की एमएसटी एक समान कर दी है.
  • पहले स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को 20 प्रतिशत तक की छूट मिलती थी.
  • एमएसटी का किराया जितना पहले होता था, उसमें कम होने के साथ ही अतिरिक्त छूट भी मिलती थी.
  • वरिष्ठ जनों, 21 साल से नीचे के युवक-युवतियों को भी एमएसटी पर सिटी बस प्रबंधन ने 60 ट्रिप के कुल किराए में 20% की छूट दे दी है.
  • एमएसटी काउंटरों पर छात्र-छात्राएं सिटी बसों की एमएसटी बनवाने ही नहीं आ रहे हैं.

क्या कहते हैं एमएसटी काउंटरों पर तैनात कंपनी के प्रतिनिधि

  • पहले हर रोज चारबाग बस स्टेशन पर स्थित काउंटर से ही 50 एमएसटी जारी होती थी, जिनकी संख्या सिर्फ 20 ही बची है.
  • चारबाग बस स्टेशन पर एक काउंटर से हर दिन 2 लाख रुपये की एमएसटी बनती थी.
  • सभी जगहों के काउंटर को मिलाकर 70 से 80 हजार रुपये ही बची है.
  • सिटी बस प्रबंधन के इस अजीबोगरीब फैसले से जहां एमएसटी धारकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
  • सिटी बस के इस फैसले ने सिटी बस को और भी घाटे की खाई में धकेल दिया है.

राजधानी के हंसखेड़ा से चारबाग तक की एमएसटी पहले 350 रुपये में बन जाती थी, अब वह 740 रुपये में बन रही है. इससे बहुत दिक्कत हो रही है. इतना तो मम्मी पापा हमें खर्च भी नहीं देते हैं. हम कैसे सिटी बस से चलेंगे, एमएसटी का किराया कम करना चाहिए.
-हार्दिक, छात्र, केकेवी कॉलेज

एमएसटी का थोड़ा किराया बढ़ा दिया है तो भी चलता है, लेकिन कम से कम बस तो टाइम पर मिला करें. आधे घंटे में कोई बस नहीं मिलती है, ऐसी एमएसटी का फायदा भी क्या बचता है. बस सेवा इंप्रूव करें तो किराया भी कोई इश्यू न बने. वैसे एमएसटी का किराया तो महंगा है. मैं अवध से टेढ़ी पुलिया तक पहले 1140 रुपये में जाती थी अब 1260 रुपये हो गया है.
-लक्ष्मी शर्मा, नौकरी पेशा

शासन के निर्देश पर एक समान एमएसटी लागू की गई है. सिटी बस प्रबंधन का अपना फैसला नहीं है. एकरूपता लाने के लिए ही शासन ने ऐसे निर्देश जारी किए थे.
-आरिफ सकलैन, एमडी, सिटी बस

जहां सिटी बस प्रबंधन ने एमएसटी की सुविधा एक समान करके छात्र-छात्राओं की दिक्कतों में इजाफा कर दिया है, वहीं प्रबंधन यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहा है कि यह शासन का निर्देश था. लिहाजा, एक समान एमएसटी पूरे प्रदेश में लागू की गई है.

लखनऊ: सिटी बस के इस फैसले में छात्र-छात्राओं और वरिष्ठ नागरिकों को भी एमएसटी में छूट खत्म कर दी गई है. अब एमएसटी काउंटरों पर जुलाई माह में छात्र-छात्राओं के एमएसटी बनवाने के लिए लगने वाली भीड़ भी गायब हो गई है. इस फैसले के बाद से एमएसटी की संख्या में जबरदस्त कमी आई है. रियायत न मिलने के कारण अब छात्र-छात्राएं एमएसटी बनवाने से भी परहेज करने लगे हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

क्या है फैसला

  • सिटी बस प्रबंधन ने सभी श्रेणियों की एमएसटी एक समान कर दी है.
  • पहले स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को 20 प्रतिशत तक की छूट मिलती थी.
  • एमएसटी का किराया जितना पहले होता था, उसमें कम होने के साथ ही अतिरिक्त छूट भी मिलती थी.
  • वरिष्ठ जनों, 21 साल से नीचे के युवक-युवतियों को भी एमएसटी पर सिटी बस प्रबंधन ने 60 ट्रिप के कुल किराए में 20% की छूट दे दी है.
  • एमएसटी काउंटरों पर छात्र-छात्राएं सिटी बसों की एमएसटी बनवाने ही नहीं आ रहे हैं.

क्या कहते हैं एमएसटी काउंटरों पर तैनात कंपनी के प्रतिनिधि

  • पहले हर रोज चारबाग बस स्टेशन पर स्थित काउंटर से ही 50 एमएसटी जारी होती थी, जिनकी संख्या सिर्फ 20 ही बची है.
  • चारबाग बस स्टेशन पर एक काउंटर से हर दिन 2 लाख रुपये की एमएसटी बनती थी.
  • सभी जगहों के काउंटर को मिलाकर 70 से 80 हजार रुपये ही बची है.
  • सिटी बस प्रबंधन के इस अजीबोगरीब फैसले से जहां एमएसटी धारकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
  • सिटी बस के इस फैसले ने सिटी बस को और भी घाटे की खाई में धकेल दिया है.

राजधानी के हंसखेड़ा से चारबाग तक की एमएसटी पहले 350 रुपये में बन जाती थी, अब वह 740 रुपये में बन रही है. इससे बहुत दिक्कत हो रही है. इतना तो मम्मी पापा हमें खर्च भी नहीं देते हैं. हम कैसे सिटी बस से चलेंगे, एमएसटी का किराया कम करना चाहिए.
-हार्दिक, छात्र, केकेवी कॉलेज

एमएसटी का थोड़ा किराया बढ़ा दिया है तो भी चलता है, लेकिन कम से कम बस तो टाइम पर मिला करें. आधे घंटे में कोई बस नहीं मिलती है, ऐसी एमएसटी का फायदा भी क्या बचता है. बस सेवा इंप्रूव करें तो किराया भी कोई इश्यू न बने. वैसे एमएसटी का किराया तो महंगा है. मैं अवध से टेढ़ी पुलिया तक पहले 1140 रुपये में जाती थी अब 1260 रुपये हो गया है.
-लक्ष्मी शर्मा, नौकरी पेशा

शासन के निर्देश पर एक समान एमएसटी लागू की गई है. सिटी बस प्रबंधन का अपना फैसला नहीं है. एकरूपता लाने के लिए ही शासन ने ऐसे निर्देश जारी किए थे.
-आरिफ सकलैन, एमडी, सिटी बस

जहां सिटी बस प्रबंधन ने एमएसटी की सुविधा एक समान करके छात्र-छात्राओं की दिक्कतों में इजाफा कर दिया है, वहीं प्रबंधन यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहा है कि यह शासन का निर्देश था. लिहाजा, एक समान एमएसटी पूरे प्रदेश में लागू की गई है.

Intro:सिटी बस प्रबंधन का अजीबोगरीब फैसला: फैसले से घाटे में चल रहे सिटी बसों में घट गए एमएसटी धारक

लखनऊ। लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड प्रबंधन का एक अजीबोगरीब फैसला घाटे में चल रहे सिटी बस के लिए और भी घाटे का फैसला साबित हो रहा है। पहले एमएसटी की अलग-अलग श्रेणियों में सिटी बस प्रबंधन एमएसटी पर रियायत देता था लेकिन अब ये छूट खत्म कर सभी श्रेणियों की एमएसटी एक समान कर दी। अब छात्र-छात्राओं और वरिष्ठ नागरिकों को भी एमएसटी में कोई छूट नहीं मिल रही है। लिहाजा, अब एमएसटी काउंटरों पर जुलाई माह में छात्र-छात्राओं के एमएसटी बनवाने के लिए लगने वाली भीड़ भी गायब हो गई है। एमएसटी की संख्या में जबरदस्त कमी आई है। रियायत नहीं मिलने के कारण अब छात्र-छात्राएं एमएसटी बनवाने से भी परहेज करने लगे हैं।


Body:सिटी बस प्रबंधन ने सभी श्रेणियों की एमएसटी एक समान कर दी। पहले सिटी बस का जो किराया हुआ करता था उससे इतर स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को 20 परसेंट तक की छूट मिलती थी, वहीं वरिष्ठ जनों के साथ ही 21 साल से नीचे के युवक-युवतियों को भी एमएसटी पर छूट का प्रावधान था, लेकिन अब सभी की एमएसटी एक जैसी हो गई है। इसके बदले सिटी बस प्रबंधन ने 60 ट्रिप के कुल किराए में 20% की छूट दे दी है, लेकिन इससे छात्र-छात्राओं को सीधे तौर पर घाटा हो रहा है। वजह है कि पहले जितना किराया होता था उसमें भी एमएसटी का किराया कम होने के साथ ही अतिरिक्त छूट भी मिलती थी जो अब नहीं बची है। ऐसे में छात्र-छात्राओं का सफर महंगा हो गया है। लिहाजा, एमएसटी काउंटरों पर छात्र-छात्राएं सिटी बसों की एमएसटी बनवाने ही नहीं आ रहे हैं। एमएसटी काउंटरों पर तैनात कंपनी के प्रतिनिधि बताते हैं पहले हर रोज चारबाग बस स्टेशन पर स्थित काउंटर से ही 50 एमएसटी जारी होती थी जिनकी संख्या सिर्फ 20 ही बची है। चारबाग बस स्टेशन पर ही इस काउंटर से हर दिन ₹200000 की एमएसटी बनती थी जो अब सभी जगहों के काउंटर को मिलाकर 70 से 80000 रुपए ही बची है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिटी बस प्रबंधन के इस अजीबोगरीब फैसले से जहां एमएसटी धारकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है वहीं घाटे में चल रही सिटी बस को और भी घाटे की खाई में झोक दिया गया है।

बाइट: हार्दिक छात्र, केकेवी कॉलेज

राजधानी के हंसखेड़ा से चारबाग तक की एमएसटी पहले ₹350 में बन जाती थी अब वह ₹740 में बन रही है। इससे बहुत दिक्कत हो रही है। इतना तो मम्मी पापा हमें खर्च भी नहीं देते हैं। हम कैसे सिटी बस से चलेंगे। एमएसटी का किराया कम करना चाहिए।

बाइट: लक्ष्मी शर्मा, नौकरी पेशा

एमएसटी का थोड़ा किराया बढ़ा दिया है तो भी चलता है, लेकिन कम से कम बस तो टाइम पर मिला करें। आधे घंटे में कोई बस नहीं मिलती है, ऐसी एमएसटी का फायदा भी क्या बचता है। बस सेवा इंप्रूव करें तो किराया भी कोई इश्यू न बने। वैसे एमएसटी का किराया तो महंगा है। मैं अवध से टेढ़ी पुलिया तक पहले 1140 रुपए में जाती थी अब 1260 रुपए हो गया है।

बाइट: आरिफ सकलैन, एमडी, सिटी बस

शासन के निर्देश पर एक समान एमएसटी लागू की गई है। सिटी बस प्रबंधन का अपना फैसला नहीं है। एकरूपता लाने के लिए ही शासन ने ऐसे निर्देश जारी किए थे।





Conclusion:जहां सिटी बस प्रबंधन ने एमएसटी की सुविधा एक समान करके छात्र छात्राओं की दिक्कतों में इजाफा कर दिया है, वहीं प्रबंधन यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहा है कि यह शासन का निर्देश था। लिहाजा, एक समान एमएसटी पूरे प्रदेश में लागू की गई है।
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