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विवाहित बेटी को भी मृतक आश्रित कोटे का दिया जा सकता है लाभ: HC

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Published : Jul 23, 2021, 10:46 PM IST

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकारी कर्मचारियों के मृतक आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति देने के मामले में एक अहम आदेश दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि डाइंग इन हार्नेस रूल के तहत विवाहित बेटी को भी अनुकम्पा नियुक्ति पाने का अधिकार है.

'विवाहित बेटी को भी अनुकम्पा नियुक्ति पाने का अधिकार'
'विवाहित बेटी को भी अनुकम्पा नियुक्ति पाने का अधिकार'

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकारी कर्मचारियों के मृतक आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति देने के मामले में एक आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि डाइंग इन हार्नेस रूल के तहत विवाहित बेटी को भी अनुकम्पा नियुक्ति पाने का अधिकार है. कोर्ट ने इस पर टिप्पणी के साथ नगर आयुक्त लखनऊ को याची के दावे पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है.

ये आदेश न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की एकल पीठ ने अंजु यादव की याचिका पर पारित किया है. याची की ओर से दलील दी गई कि उसकी मां नगर निगम में गैंगमैन के पद पर तैनात थीं. उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी आश्रित होने के नाते उसने नगर निगम में अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया. लेकिन नगर आयुक्त ने 30 जून को उसके दावे को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि याची विवाहित बेटी है इसलिए उसे मृतक आश्रित नहीं माना जा सकता. न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विनय कुमारी मामले में पारित निर्णय को बताते हुए कहा कि शीर्ष अदालत इस बात को स्पष्ट कर चुकी है कि अनुकम्पा नियुक्ति के मामले में विवाहित पुत्री भी ‘परिवार के सदस्य’ के तौर पर परिभाषित है.

इसे भी पढ़ें- प्रेम की सनक में पूरे परिवार की हत्या करने वाली शबनम को फांसी न देने की राज्यपाल से गुहार, ये है दलील

लिहाजा वर्तमान मामले में याची के सिर्फ विवाहित होने के कारण उसके दावे को खारिज नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने नगर आयुक्त को परमादेश जारी करते हुए कहा कि तीन महीने में याची के दावे पर वर्तमान आदेश और सर्वोच्च न्यायालय के विनय कुमारी मामले में पारित आदेश पर गौर करते हुए पुनर्विचार किया जाए.

इसे भी पढ़ें- आरोप, दलित लड़की से रेप करने में असफल युवक ने पार की हैवानियत की सारी हदें, जानें फिर क्या हुआ

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकारी कर्मचारियों के मृतक आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति देने के मामले में एक आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि डाइंग इन हार्नेस रूल के तहत विवाहित बेटी को भी अनुकम्पा नियुक्ति पाने का अधिकार है. कोर्ट ने इस पर टिप्पणी के साथ नगर आयुक्त लखनऊ को याची के दावे पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है.

ये आदेश न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की एकल पीठ ने अंजु यादव की याचिका पर पारित किया है. याची की ओर से दलील दी गई कि उसकी मां नगर निगम में गैंगमैन के पद पर तैनात थीं. उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी आश्रित होने के नाते उसने नगर निगम में अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया. लेकिन नगर आयुक्त ने 30 जून को उसके दावे को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि याची विवाहित बेटी है इसलिए उसे मृतक आश्रित नहीं माना जा सकता. न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विनय कुमारी मामले में पारित निर्णय को बताते हुए कहा कि शीर्ष अदालत इस बात को स्पष्ट कर चुकी है कि अनुकम्पा नियुक्ति के मामले में विवाहित पुत्री भी ‘परिवार के सदस्य’ के तौर पर परिभाषित है.

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लिहाजा वर्तमान मामले में याची के सिर्फ विवाहित होने के कारण उसके दावे को खारिज नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने नगर आयुक्त को परमादेश जारी करते हुए कहा कि तीन महीने में याची के दावे पर वर्तमान आदेश और सर्वोच्च न्यायालय के विनय कुमारी मामले में पारित आदेश पर गौर करते हुए पुनर्विचार किया जाए.

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