पूर्वी गोदावरी: अपने दुर्लभ पौधों और पेड़ों तथा बागवानी कला के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध आंध्र प्रदेश की कडियाम नर्सरी एक बार फिर चर्चा में है. कडियापुलंका में शिवंजनेया नर्सरी ने 135 साल पुराने दो रेशम के पेड़ (silk floss tree) खरीदे हैं. मिली जानकारी के अनुसार प्रत्येक पेड़ की कीमत 35 लाख रुपये है.
कैसे लाया गयाः रेशम का फूल या सीबा स्पेशिओसा एक पर्णपाती पेड़ की प्रजाति है. आमतौर पर दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जंगलों में उगता है. नर्सरी के प्रमुख मल्लू पोलाराजू ने बताया कि इन दुर्लभ पेड़ों को समुद्र के रास्ते विदेश से विशेष कंटेनरों में आयात किया गया था. उन्होंने बताया कि पेड़ों को नर्सरी तक पहुंचने में करीब 75 दिन लगे.
कितना खर्च पड़ाः मल्लू पोलाराजू बताया कि इन पेड़ों को लाने में प्रति पेड़ खर्च 10 लाख रुपये आया. उन्होंने कहा कि इन दुर्लभ और बड़े पेड़ों की मांग लक्जरी होटलों, विला और वाणिज्यिक स्थानों में काफी अधिक होने की उम्मीद है. जिससे प्रीमियम सजावटी हरियाली के केंद्र के रूप में कडियम की प्रतिष्ठा में इजाफा होगा.
कडियाम नर्सरी क्या हैः देशी और विदेशी पौधों की प्रदर्शनी के लिए जाना जाता है. इस बार नए साल की पूर्व संध्या पर, अयोध्या राम मंदिर की प्रतिकृति काडियापुलंका पुल्लू अंजनेयुलु में श्री सत्यदेव नर्सरी में हजारों पौधों और फूलों के साथ उत्सव के हिस्से के रूप में प्रदर्शित की गई थी. प्रदर्शनी में भारी भीड़ उमड़ी थी. लोगों ने प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लिया था.
कैसा होता है रेशमी पेड़ः एक बड़ा अर्ध-पर्णपाती पौधा है जो लगभग 15 मीटर (50 फीट) की ऊंचाई तक बढ़ता है. इसका तना दिखने में सूजा हुआ हो सकता है और अक्सर बड़े शंक्वाकार कांटों से जड़ा होता है. युवा पेड़ों के तने कुछ हद तक हरे रंग के होते हैं और परिपक्व होने पर भूरे रंग के होते हैं.
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