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कथक और नाटक में भी दिखा अटल जी का जीवन

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Published : Dec 25, 2020, 2:46 AM IST

अटल जी की 97वीं जयंती समारोह के दूसरे दिन उनके जीवन पर लगी चित्र एवं शिल्प प्रदर्शनी को देखने वालों का तांता लगा रहा. प्रदर्शनी में सांस्कृतिक दलों ने दिन भर अपनी प्रस्तुतियां दीं. लोक गायिकाओं ने पारम्परिक गीत प्रस्तुत किये. यहां, अटल जी के विद्यार्थी जीवन से लेकर साहित्यिक जीवन, पत्रकारिता और फिर राजनीतिक जीवन के बारे में बताया गया.

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कथक और नाटक में भी दिखा अटल जी का जीवन

लखनऊ: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की 97वीं जयंती के अवसर पर राजधानी में चल रहे समारोह में उन्हें चित्रों के अलावा नृत्य में, नाटकों और गीतों में भी दर्शाया जा रहा है. संगीत नाटक अकादमी के चल रहे समारोह के दूसरे दिन अटल जी कविताओं को कथक नृत्य की भाव- भंगिमाओं के साथ दिखाया गया. वहीं उनके जीवन को नाटक में भी दर्शाया गया. उनके जीवन पर लगी चित्र एवं शिल्प प्रदर्शनी को देखने वालों का तांता लगा रहा.




नाटक में कही जीवन गाथा

'मेरी यात्रा-अटल यात्रा' नाटक में अटल जी के विद्यार्थी जीवन से लेकर साहित्यिक जीवन, पत्रकारिता और फिर राजनीतिक जीवन के बारे में बताया गया. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक विपिन कुमार ने बेहतरीन अभिनय किया. नाटक परिकल्पना, लेखन व निर्देशन चन्द्रभूषण सिंह का था. मंच से परे अन्य कलाकारों में मुख सज्जा धर्मेन्द्र त्रिपाठी ने की. संगीत दिया अमर व गौरव ने, वस्त्र विन्यास सौम्या सिंह की थी.

अटल की कविताओं को कथक में दिखाया

कथक केन्द्र संगीत की ओर से 'समर्पण' नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की गयी. इसमें पचास से अधिक कलाकारों ने कथक नृत्य के माध्यम से अटल जी की कविताओं पर आधारित प्रस्तुति दी. सूत्रधार में स्वयं अटल जी के रुप में उनके संघर्षों व उदात्त विचारों को बीच बीच में मंच पर प्रस्तुत किया. अटल जी की कविता क्या खोया क्या पाया जग में, गीत नया गाता हूँ, ताजमहल यह ताजमहल, आओ फिर से दिया जलाएँ, जीवन बीत चला, कंठ कंठ में एक राग है तथा कदम मिलाकर चलना होगा पर कलाकारों ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया.

गायन व संगीत निर्देशन कमलाकान्त तथा नृत्य निर्देशन श्रुति शर्मा व नीता जोशी का रहा. वाद्य वृन्द में तबला पर राजीव शुक्ला, बांसुरी पर दीपेन्द्र कुंवर, कीबोर्ड पर विजय सैनी, कीपैड पर दीपक कुमार, पार्श्व गायन में कमलाकांत व तान्या भारद्वाज ने प्रभावी संगत की. कलाकारों में नत्या, निहारिका, आरती, विधि, प्रियांशी, भात्या, उन्नति, मनीषा, सृष्टि प्रताप, शताक्षी, अदिति, आरोही, शगुन, केसर, सपना, प्रिया, स्निग्धा, गौरांगी, प्रतिष्ठा, सान्वी, वागीशा, अनन्या, सृष्टि, शरण्या, प्रियम, निधि, प्राची, रितिका, विधि, वैष्णवी, शगुन, शिवांगी, पाखी, आकृति, आकांक्षा, अनन्या, पीहू, आश्वी, काजल, यशिका, दीप्ति, मौसम, डिम्पल, वैभवी व अनुष्का आदि प्रमुख थीं.

प्रदर्शनी में लगा रहा लोगों का तांता

संगीत नाटक अकादमी परिसर में लगी प्रदर्शनियों में दिन भर दर्शकों का तांता लगा रहा. यहां उ.प्र. राजकीय अभिलेखागार की ओर से अटल जी पर केन्द्रित अभिलेख व दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है, वहीं उ.प्र.राज्य ललित कला अकादमी की ओर से चित्रकला व म्यूरल की कार्यशाला भी चल रही है.


गीत भी गाये गये
प्रदर्शनी स्थल पर बने मंच पर हेमेन्द्र मिश्र के सांस्कृतिक दल ने दिन भर अपनी प्रस्तुतियां दीं. लोक गायिका पूनम सिंह नेगी, अंजू सिंह आदि ने पारम्परिक गीत प्रस्तुत किये, ढोलक पर सन्तोष विश्वकर्मा व हारमोनियम पर अशोक चक्रवर्ती ने संगत किया.

लखनऊ: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की 97वीं जयंती के अवसर पर राजधानी में चल रहे समारोह में उन्हें चित्रों के अलावा नृत्य में, नाटकों और गीतों में भी दर्शाया जा रहा है. संगीत नाटक अकादमी के चल रहे समारोह के दूसरे दिन अटल जी कविताओं को कथक नृत्य की भाव- भंगिमाओं के साथ दिखाया गया. वहीं उनके जीवन को नाटक में भी दर्शाया गया. उनके जीवन पर लगी चित्र एवं शिल्प प्रदर्शनी को देखने वालों का तांता लगा रहा.




नाटक में कही जीवन गाथा

'मेरी यात्रा-अटल यात्रा' नाटक में अटल जी के विद्यार्थी जीवन से लेकर साहित्यिक जीवन, पत्रकारिता और फिर राजनीतिक जीवन के बारे में बताया गया. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक विपिन कुमार ने बेहतरीन अभिनय किया. नाटक परिकल्पना, लेखन व निर्देशन चन्द्रभूषण सिंह का था. मंच से परे अन्य कलाकारों में मुख सज्जा धर्मेन्द्र त्रिपाठी ने की. संगीत दिया अमर व गौरव ने, वस्त्र विन्यास सौम्या सिंह की थी.

अटल की कविताओं को कथक में दिखाया

कथक केन्द्र संगीत की ओर से 'समर्पण' नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की गयी. इसमें पचास से अधिक कलाकारों ने कथक नृत्य के माध्यम से अटल जी की कविताओं पर आधारित प्रस्तुति दी. सूत्रधार में स्वयं अटल जी के रुप में उनके संघर्षों व उदात्त विचारों को बीच बीच में मंच पर प्रस्तुत किया. अटल जी की कविता क्या खोया क्या पाया जग में, गीत नया गाता हूँ, ताजमहल यह ताजमहल, आओ फिर से दिया जलाएँ, जीवन बीत चला, कंठ कंठ में एक राग है तथा कदम मिलाकर चलना होगा पर कलाकारों ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया.

गायन व संगीत निर्देशन कमलाकान्त तथा नृत्य निर्देशन श्रुति शर्मा व नीता जोशी का रहा. वाद्य वृन्द में तबला पर राजीव शुक्ला, बांसुरी पर दीपेन्द्र कुंवर, कीबोर्ड पर विजय सैनी, कीपैड पर दीपक कुमार, पार्श्व गायन में कमलाकांत व तान्या भारद्वाज ने प्रभावी संगत की. कलाकारों में नत्या, निहारिका, आरती, विधि, प्रियांशी, भात्या, उन्नति, मनीषा, सृष्टि प्रताप, शताक्षी, अदिति, आरोही, शगुन, केसर, सपना, प्रिया, स्निग्धा, गौरांगी, प्रतिष्ठा, सान्वी, वागीशा, अनन्या, सृष्टि, शरण्या, प्रियम, निधि, प्राची, रितिका, विधि, वैष्णवी, शगुन, शिवांगी, पाखी, आकृति, आकांक्षा, अनन्या, पीहू, आश्वी, काजल, यशिका, दीप्ति, मौसम, डिम्पल, वैभवी व अनुष्का आदि प्रमुख थीं.

प्रदर्शनी में लगा रहा लोगों का तांता

संगीत नाटक अकादमी परिसर में लगी प्रदर्शनियों में दिन भर दर्शकों का तांता लगा रहा. यहां उ.प्र. राजकीय अभिलेखागार की ओर से अटल जी पर केन्द्रित अभिलेख व दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है, वहीं उ.प्र.राज्य ललित कला अकादमी की ओर से चित्रकला व म्यूरल की कार्यशाला भी चल रही है.


गीत भी गाये गये
प्रदर्शनी स्थल पर बने मंच पर हेमेन्द्र मिश्र के सांस्कृतिक दल ने दिन भर अपनी प्रस्तुतियां दीं. लोक गायिका पूनम सिंह नेगी, अंजू सिंह आदि ने पारम्परिक गीत प्रस्तुत किये, ढोलक पर सन्तोष विश्वकर्मा व हारमोनियम पर अशोक चक्रवर्ती ने संगत किया.

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