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लखनऊ: वामपंथी नेताओं का एलान, 11 मई को प्रदेश भर में सरकार के खिलाफ देंगे धरना - कम्युनिस्ट पार्टी

यूपी में वामपंथी दल के नेताओं ने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है. नेताओं ने भाजपा पर अपना एजेंडा थोपने का आरोप लगाया है. इन्होंने एलान किया है कि सरकार के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए आगामी 11 मई को अपने आवासों, कार्यालयों पर भूख हड़ताल पर बैठेंगे और धरना देंगे.

लखनऊ समााचार.
वामपंथी दल.
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Published : May 9, 2020, 10:40 AM IST

लखनऊ: यूपी के वामपंथी दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भाकपा माले और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नेताओं ने केंद्र सरकार और यूपी सरकार पर हमला बोला है. आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार, यूपी सरकार और भाजपा की अन्य राज्य सरकारें कोरोना संकट की आड़ में मजदूरों, किसानों और आम जनता पर अपना एजेंडा थोप रही हैं. वहीं जनता की परेशानियों में इजाफा करने वाले और तानाशाहीपूर्ण कदम उठा रही भाजपा सरकार विपक्षी दलों पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में लोगों की आर्थिक हालत खराब हो चुकी है. फिर भी केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया है. ऊपर से उत्तर प्रदेश सरकार ने पेट्रोल पर दो रुपये और डीजल पर एक रुपये प्रति लीटर वैट बढ़ाकर रही-सही कसर पूरी कर दी. वामपंथी नेताओं ने 11 मई को प्रदेश भर में धरना देने का एलान किया है.

मजदूरों को घर वापस आने से रोकने का आरोप
उन्होंने आरोप लगाया है कि पेट्रोल-डीजल पर 69 प्रतिशत टैक्स हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है. यह सब उस समय किया जा रहा है, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बेहद कम हैं. कीमतें बढ़ाकर सरकार ने जनता को कच्चे तेल की कीमत के लाभ से वंचित कर दिया है. डॉ. गिरीश ने कहा कि पूंजीपतियों के कहने पर प्रवासी मजदूरों को अपने घरों को वापस आने से रोका जा रहा है. कर्नाटक सरकार ने मजदूरों को लाने वाली रेल गाड़ियां रद करा दीं. गुजरात और भाजपा की अन्य राज्य की सरकारें मजदूरों के घर लौटने में तरह-तरह की बाधाएं खड़ी कर रही हैं.

श्रम कानून रद करने का विरोध
उन्होंने कहा कि तमाम मजदूर अपने परिवार के साथ पैदल और साइकिलों से ही घर पहुंचने को मजबूर हैं. अनेक लोगों की भूख-प्यास, बीमारी और दुर्घटनाओं से रास्ते में ही मौत हो गई. उत्तर प्रदेश सरकार ने तो एक कदम और आगे बढ़कर तीन साल के लिये श्रम कानूनों को ही रद कर दिया. काम के घंटे बढ़ा दिये, जबकि काम के घंटे घटाये जाने चाहिए. विशेष ट्रेनों में उनसे किराया भी वसूला जा रहा है. कई लोगों को तो रास्ते में खाना पानी तक नहीं मिला.

स्वास्थ्यकर्मियों को नहीं मिल रही सुविधा
वाम दलों के नेताओं ने कहा कि इन तीन महीनों में कोरोना से निपटने में सरकार ने अक्षम्य गलतियां की हैं. कोरोना के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. यह सरकार कोरोना के इलाज में लगे स्वास्थ्यकर्मियों को अच्छी और पर्याप्त पीपीई किट और अन्य जरूरी उपकरण समय पर नहीं दे पाई. कई स्वास्थ्यकर्मियों की जान चली गई.

उन्होंने कहा कि बीमारी छिपाने, यात्रा करने, थूकने और कोरोना योद्धाओं की रक्षा के नाम पर कड़ी सजा वाले कानून बना दिये. आरोग्य सेतु को जबरिया लोगों पर थोपा जा रहा है. गौतम बुद्ध नगर में तो आरोग्य सेतु डाउनलोड न करने पर मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान कर दिया गया है.

लखनऊ: यूपी के वामपंथी दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भाकपा माले और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नेताओं ने केंद्र सरकार और यूपी सरकार पर हमला बोला है. आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार, यूपी सरकार और भाजपा की अन्य राज्य सरकारें कोरोना संकट की आड़ में मजदूरों, किसानों और आम जनता पर अपना एजेंडा थोप रही हैं. वहीं जनता की परेशानियों में इजाफा करने वाले और तानाशाहीपूर्ण कदम उठा रही भाजपा सरकार विपक्षी दलों पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में लोगों की आर्थिक हालत खराब हो चुकी है. फिर भी केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया है. ऊपर से उत्तर प्रदेश सरकार ने पेट्रोल पर दो रुपये और डीजल पर एक रुपये प्रति लीटर वैट बढ़ाकर रही-सही कसर पूरी कर दी. वामपंथी नेताओं ने 11 मई को प्रदेश भर में धरना देने का एलान किया है.

मजदूरों को घर वापस आने से रोकने का आरोप
उन्होंने आरोप लगाया है कि पेट्रोल-डीजल पर 69 प्रतिशत टैक्स हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है. यह सब उस समय किया जा रहा है, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बेहद कम हैं. कीमतें बढ़ाकर सरकार ने जनता को कच्चे तेल की कीमत के लाभ से वंचित कर दिया है. डॉ. गिरीश ने कहा कि पूंजीपतियों के कहने पर प्रवासी मजदूरों को अपने घरों को वापस आने से रोका जा रहा है. कर्नाटक सरकार ने मजदूरों को लाने वाली रेल गाड़ियां रद करा दीं. गुजरात और भाजपा की अन्य राज्य की सरकारें मजदूरों के घर लौटने में तरह-तरह की बाधाएं खड़ी कर रही हैं.

श्रम कानून रद करने का विरोध
उन्होंने कहा कि तमाम मजदूर अपने परिवार के साथ पैदल और साइकिलों से ही घर पहुंचने को मजबूर हैं. अनेक लोगों की भूख-प्यास, बीमारी और दुर्घटनाओं से रास्ते में ही मौत हो गई. उत्तर प्रदेश सरकार ने तो एक कदम और आगे बढ़कर तीन साल के लिये श्रम कानूनों को ही रद कर दिया. काम के घंटे बढ़ा दिये, जबकि काम के घंटे घटाये जाने चाहिए. विशेष ट्रेनों में उनसे किराया भी वसूला जा रहा है. कई लोगों को तो रास्ते में खाना पानी तक नहीं मिला.

स्वास्थ्यकर्मियों को नहीं मिल रही सुविधा
वाम दलों के नेताओं ने कहा कि इन तीन महीनों में कोरोना से निपटने में सरकार ने अक्षम्य गलतियां की हैं. कोरोना के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. यह सरकार कोरोना के इलाज में लगे स्वास्थ्यकर्मियों को अच्छी और पर्याप्त पीपीई किट और अन्य जरूरी उपकरण समय पर नहीं दे पाई. कई स्वास्थ्यकर्मियों की जान चली गई.

उन्होंने कहा कि बीमारी छिपाने, यात्रा करने, थूकने और कोरोना योद्धाओं की रक्षा के नाम पर कड़ी सजा वाले कानून बना दिये. आरोग्य सेतु को जबरिया लोगों पर थोपा जा रहा है. गौतम बुद्ध नगर में तो आरोग्य सेतु डाउनलोड न करने पर मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान कर दिया गया है.

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