लखनऊ : प्रदेश में विधान परिषद की 20 और राज्यसभा की 11 सीटों के लिए जल्द ही चुनाव होने हैं. इन 31 सीटों के लिए भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ ही अपना दल, राष्ट्रीय लोक दल, निषाद पार्टी और भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी (सुभासपा) जैसे छोटे दल भी अपना दावा ठोक रहे हैं. यही नहीं विधायक-सांसद के रूप में माननीय बनने की उम्मीद में सभी दलों के नेता अपनी-अपनी पेशबंदी में भी जुट गए हैं. इन सभी पदों के लिए जुलाई माह तक चुनाव हो जाना है.
गौरतलब है कि विगत 28 अप्रैल को बलवंत सिंह रामूवालिया, वसीम बरेलवी और मधुकर जेटली की विधान परिषद की सदस्यता समाप्त हुई है. वहीं सपा के कद्दावर नेता रहे अहमद हसन के निधन के कारण विधान परिषद की सीट रिक्त है. विधान परिषद के एक और सदस्य ठाकुर जयवीर सिंह विधानसभा चुनाव जीतकर आए हैं. इस कारण उन्होंने परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इसके अतिरिक्त आगामी 26 मई को राजपाल कश्यप, अरविंद कुमार और डॉ संजय लाठर की विधान परिषद की सदस्यता भी खत्म होने वाली है.
छह जुलाई को 12 और विधान परिषद की सीटें खाली हो रही हैं. इनमें अतर सिंह, सुरेश कुमार कश्यप, जगजीवन प्रसाद, दिनेश चंद्रा, डॉ कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, शतरुद्र प्रकाश, बलराम यादव, राम सुन्दर दास निषाद, भूपेंद्र सिंह, दीपक सिंह और केशव प्रसाद मौर्य के नाम शामिल हैं. इन बीस विधान परिषद की सीटों के लिए दावेदार पार्टी नेतृत्व से संपर्क साधने में जुटे हैं कि कैसे उन्हें उच्च सदन पहुंचने का मौका मिले.
दूसरी ओर चार जुलाई को राज्यसभा की 11 सीटें रिक्त हो रही हैं, इनमें शिव प्रताप शुक्ला, सुरेंद्र सिंह नागर, संजय सेठ, रेवती रमण, विशम्भर प्रसाद निषाद, सुखराम सिंह यादव, सतीश चंद्र मिश्रा, अशोक सिद्धार्थ, कपिल सिब्बल, सैय्यद जफर इस्लाम और जय प्रकाश निषाद के नाम शामिल हैं. इन सीटों के लिए भी भाजपा और सपा के नेता पैरवी में लगे हुए हैं. छोटे दलों के नेता भी, जिनके पास यह सीटें पाने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है, सहयोगी दलों पर दबाव बनाने में जुटे हैं. उन्हें लगता है कि दबाव बनाकर सीट हथियाने में वह कामयाब हो सकते हैं.
वर्तमान विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की 255, समाजवादी पार्टी की 111, अपना दल की 12, राष्ट्रीय लोक दल की आठ, सुभासपा की छह, निषाद पार्टी की छह, कांग्रेस की दो, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की दो और बसपा की एक सीट है. इस अनुपात से भाजपा के पाले में सबसे अधिक सीटें आने वाली हैं. शेष सीटें सपा व गठबंधन के दलों को मिल सकती हैं. विधानसभा चुनाव में लचर प्रदर्शन के कारण इस बार उत्तर प्रदेश से कांग्रेस और बसपा का एक भी सदस्य विधान परिषद और राज्य सभा नहीं पहुंच पाएगा.
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