लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) अपनी योजनाओं की किसी भी संपत्ति का म्यूटेशन यानी नामांतरण नहीं करेगा. इस संबंध में एलडीए के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने आदेश जारी कर दिया है. इस आदेश के बाद लोगों की परेशानी बढ़ सकती है. आदेश में कहा गया है कि जिन संपत्तियों के मामले में नामांतरण शुल्क जमा कर लिया गया है, उन सभी को वापस कर फाइल बंद कर दी जाए. वहीं अलग-अलग योजनाओं में लीज पर दी गई संपत्तियों में आवंटी की मृत्यु हो जाने के बाद मालिकाना हक संबंधी नामांतरण की कार्यवाही पहले की ही तरह होती रहेगी.
एलडीए के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी का कहना है कि एलडीए की योजनाएं नगर निगम को हैंडओवर हो चुकी हैं. ऐसे में यहां पर प्राधिकरण का नामांतरण करना न्यायोचित नहीं है. उनका कहना है कि जब प्राधिकरण किसी संपत्ति को आवंटी को फ्री होल्ड कर देता है तो उसके बाद नामांतरण का कोई विधिक आधार नहीं रह जाता है. ऐसे में आवंटियों को जहां नामांतरण करवाने के लिए परेशानी झेलनी पड़ती है तो वहीं प्राधिकरण के कर्मचारी भी अनावश्यक कामों में लगे रहते हैं. इसी कारण इस व्यवस्था को तत्काल बंद करने का निर्णय लिया गया है. हालांकि यह आदेश पहले से लागू है, लेकिन अभी भी कुछ योजनाओं में बाबू नामांतरण शुल्क जमा करा रहे हैं. एयरपोर्ट फ्लाईओवर के निर्माण में आ रहे मानसरोवर योजना के एक आवंटी ने भी नामांतरण शुल्क जमा कर दिया है, लेकिन अभी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.
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बता दें कि 5 दिसंबर 2008 को लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अपनी संपत्तियों के नामांतरण की व्यवस्था को समाप्त कर दिया था. इससे लोगों को काफी दिक्कतें हुईं, जिसके बाद इसमें संशोधन करते हुए इसे फिर शुरू कर दिया गया. इसके बाद 31 मार्च 2009 को भवनों के नामांतरण पर लगाई गई रोक को तो यथावत रखा गया, लेकिन भूखंडों के नामांतरण की कार्यवाही फिर से शुरू कर दी गई. इसके बाद वर्ष 2018 में प्राधिकरण ने आदेश जारी किया. अब एक बार फिर आदेश जारी किया गया है कि जिन संपत्तियों की फ्री होल्ड रजिस्ट्री हो गई है, उन्हें बेचने पर या फिर मृत्यु के बाद मालिकाना हक संबधी नामांतरण की कार्यवाही प्राधिकरण नहीं करेगा.