लखनऊ : लखनऊ विकास प्राधिकरण की संपत्तियों में हेराफेरी करके भूखंड घोटाला करने के मामले में अभी तक जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. हालांकि बताया जा रहा है कि जांच एजेंसी को कुछ ऐसे भी तथ्य मिले हैं. निजी एजेंसी, एलडीए के कर्मचारी व अफसरों के बैंक डिटेल से पैसों के लेनदेन की बात सामने आ रही है. इसके अलावा कर्मचारियों और एजेंसी के कर्मचारियों के कॉल डिटेल भी खंगाले जा रहे हैं, लेकिन कार्रवाई की रफ्तार शून्य है.
कंपनी के खिलाफ एलडीए ने कराई एफआईआर
एलडीए की वेबसाइट देखने वाली एजेंसी डीजी टेक प्रा. लि. के सीईओ अजीत कुमार व इंजीनियर दीपक मिश्रा के खिलाफ मिलीभगत से कर्मचारियों की आइडी का गलत इस्तेमाल कर हेराफेरी की गई. इस मामले के खुलासे के बाद तहसीलदार राजेश शुक्ला ने गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. अभी तक इस मामले में पुलिस ने कोई छानबीन नहीं की है. साथ ही न तो किसी कर्मचारी से पूछताछ की गई और न ही एजेंसी के प्रतिनिधियों को पकड़ा गया है. गोमती नगर के वास्तु खंड की 6 संपत्तियों में हुए हेरफेर के बाद पचास संपत्तियों का घोटाला सामने आया था.
सचिव की जांच में 498 संपत्तियों में हुई है छेड़छाड़
सचिव लविप्रा पवन कुमार गंगवार ने जांच कराई तो 498 की नई संपत्तियों की सूची सामने आई. ये संपत्तियां प्राधिकरण की अलग-अलग योजनाओं की थीं. अभी तक जांच एजेंसी तह तक नहीं पहुंच सकी है. पूरा मामला 9 नवंबर को शुरू हुई जांच व 12 फरवरी को मुकदमा दर्ज कराने तक सीमित है. वहीं तथ्य जुटाने के बाद कार्रवाई की बात कही जा रही है.
संयुक्त सचिव को चार्जशीट देकर मांगा गया है जवाब
डीएम व लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने पूरे घोटाले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश सचिव लविप्रा को दिए थे. सचिव लविप्रा पवन कुमार गंगवार ने कंप्यूटर सेल के प्रभारी व एक्जीक्यूटिव कम्प्यूटर एसबी भटनागर मामले की जांच स्वयं कर रहे हैं. इस मामले में सचिव ने भटनागर को चार्जशीट देते हुए पंद्रह दिन में जवाब मांगा था. सचिव के मुताबिक अभी तक जवाब नहीं आया है. जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी.